
एक गर्भवती महिला का स्वास्थ्य, उसकी लाइफस्टाइल से जुड़ी आदतों और गर्भावस्था से पहले और उस दौरान की गई देखभाल, गर्भावस्था के परिणामों पर बहुत बड़ा असर डालते हैं। इसके बावजूद, कई होने वाली मांएं अनजाने में ऐसी गलतियां कर देती हैं, जो प्रेग्नेंसी को हाई-रिस्क बना सकती हैं। ऐसी कुछ गलतियों के बारे में आगे विस्तार से बात करेंगे। इस विेषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने Dr. Sarada Vani, Senior Consultant Obstetrics & Gynaecology, High-Risk Pregnancy Specialist, Robotic Laparoscopic SurgeonYashoda Hospitals, Hyderabad से बात की।
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1. ज्यादा उम्र तक प्रेग्नेंसी टालना- Delaying Pregnancy
गर्भधारण को 35 साल या उससे ज्यादा उम्र तक टालना सही नहीं है। Dr. Sarada Vani ने बताया कि ज्यादा उम्र में गर्भधारण से फर्टिलिटी कम हो सकती है, बच्चे में क्रोमोसोम से जुड़े दोषों का खतरा बढ़ सकता है और मां को जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational Diabetes) या हाई ब्लड प्रेशर होने की संभावना बढ़ जाती है।
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2. सेहत की अनदेखी करना- Ignoring health In Pregnancy
Dr. Sarada Vani ने बताया कि एक और आम गलती है प्री-कन्सेप्शन हेल्थ की अनदेखी। जिन महिलाओं को पहले से डायबिटीज, थायरॉयड या हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं हैं, उन्हें गर्भधारण से पहले ही अपनी सेहत को संतुलित कर लेना चाहिए, ताकि आगे चलकर समस्याएं न हों।
3. नियमित जांच न करवाना- No Regular Check Up In Pregnancy
नियमित प्रसवपूर्व जांच (Antenatal Check Ups) छोड़ना भी एक गंभीर गलती है। जांच के दौरान डॉक्टर गर्भवती महिला का वजन, ब्लड प्रेशर, बच्चे की ग्रोथ और किसी भी शुरुआती खतरे के संकेतों वगैरह की जांच कर सकते हैं। कुछ महिलाएं बिना डॉक्टर की सलाह के दवाएं या घरेलू नुस्खे भी अपनाने लगती हैं, जिससे गर्भस्थ शिशु की सेहत को नुकसान हो सकता है।
4. गलत लाइफस्टाइल की आदतें अपनाना- Following Unhealthy Lifestyle
लाइफस्टाइल की आदतों को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। गलत खान-पान, एक्सरसाइज की कमी, धूम्रपान, एल्कोहल का सेवन और नींद की कमी, ये सभी आदतें मां और होने वाले बच्चे की सेहत पर बुरा प्रभाव डालते हैं। अच्छा और संतुलित भोजन, भरपूर पानी और हल्की-फुल्की एक्सरसाइज, गर्भावस्था को हेल्दी बनाते हैं। प्रेग्नेंसी में मानसिक स्वास्थ्य भी ध्यान देना भी जरूरी है, क्योंकि ज्यादा स्ट्रेस लेने से समय से पहले प्रसव या बच्चे का वजन कम होने की समस्या हो सकती है।
5. दो प्रेग्नेंसी के बीच कम अंतर होना- Short Gap Between Two Pregnancy
दो गर्भधारण के बीच बहुत कम अंतर रखना भी हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का जोखिम बढ़ाता है। शरीर को पहली डिलीवरी के बाद ठीक होने के लिए समय चाहिए और बहुत जल्दी दोबारा प्रेग्नेंट होने से एनीमिया और प्रीमेच्योर डिलीवरी जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं।
निष्कर्ष:
सही मेडिकल केयर, समय पर इलाज और डॉक्टर की सलाह का पालन करके ज्यादातर हाई-रिस्क प्रेग्नेंसी को सुरक्षित रूप से संभाला जा सकता है। इसलिए, गर्भधारण की योजना बनाते समय ही सेहत के प्रति जागरूक और सक्रिय रहना बेहद जरूरी है।
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Nov 15, 2025 10:40 IST
Published By : Yashaswi Mathur