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Lack Of Sleep And Mood Swings: नींद की कमी हमारे स्वास्थ्य के लिए बिल्कुल सही नहीं है। इसकी वजह से हमारा शारीरिक स्वास्थ्य धीरे-धीरे खराब होने लगता है, जो भविष्य में किसी गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है। विशेषज्ञों की मानें, तो जब आप पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं, तो इसकी वजह से पाचन क्रिया खराब होने लगती है, जिससे अपच, पेट में ब्लोटिंग और स्वेलिंग जैसी परेशानियां होनी शुरू हो जाती हैं। National Heart Lung And Blood Institute की मानें तो सही नींद लेने से शरीर के सभी फंक्शन सही तरह से काम करते हैं। क्या आप जानते हैं कि पर्याप्त नींद न लेने से हमारी मेंटल हेल्थ पर भी इसका बुरा असर पड़ता है। जी, हां! यह पूरी तरह सच है। सवाल है, इनका आपस में क्या कनेक्शन है? आइए, जानते हैं इस लेख में तमाम जरूरी बातें।
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नींद की कमी मेंटल हेल्थ को कैसे इफेक्ट करती है?- Mental Effects Of Not Getting Enough Sleep
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जिस तरह नींद की कमी की वजह से हमारा शारीरिक स्वास्थ्य खराब होता है, उसी तरह हमारी मेंटल हेल्थ पर भी इसका नेगेटिव असर पड़ता है। नींद की कमी की वजह से चिड़चिड़ापन, एंग्जाइटी और मूड स्विंग्स बढ़ जाते हैं, जिससे अपनी इमोशंस को कंट्रोल करना काफी मुश्किल हो जाता है। यहां तक कि जब आप 7-8 घंटे की अच्छी और गहरी नींद नहीं लेते हैं, तो इसकी वजह से तनाव से डील करने की हमारी क्षमता भी प्रभावित होने लगती है। ऐसे में याददाश्त कमजोर होना, रोजमर्रा की चीजें याद रखना भी काफी चुनौतीपूर्ण हो जाता है। हां, अगर व्यक्ति पहले से ही किसी मानसिक समस्या से जूझ रहा है और वह गहरी नींद भी नहीं लेता है, तो ऐसे में अवसाद भी होने का जोखिम बढ़ सकता है।
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नींद की कमी का मूड पर असर
बार-बार मूड स्विंग होना
जब आप अच्छी और गहरी नींद नहीं लेते हैं, तो ऐसे में सुबह उठकर आपको फ्रेश फील नहीं होता है। ऐसे में पूरा दिन एनर्जी का स्तर लो रहता है और मूड स्विंग भी होने लगता है। असल में, नींद की कमी के कारण हमारे इमोशनल ब्रेन पर नेगेटिव असर पड़ता है। इसी वजह से हम बात-बात पर चिड़चिड़े हो जाते हैं।
एंग्जाइटी या डिप्रेशन होना
वैसे तो नींद की कमी अपने आप में एंग्जाइटी का कारण नहीं बनती है, लेकिन किसी वजह से आपको नींद नहीं आ रही है, तो धीरे-धीरे यह आपके मूड को प्रभावित करती है। समस्या का समाधान न होने पर वह स्थिति डिप्रेशन या एंग्जाइटी में बदल सकती है। ऐसे में नींद आने में भी तकलीफ हो सकती है और मरीज के मन में बुरे-बुरे ख्याल भी आ सकते हैं।
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ब्रेन फॉगिंग
आपको यह जानकर हैरानी होगी, लेकिन यह सच है कि नींद पूरी न होने के कारण ब्रेन फॉगिंग की समस्या भी हो सकती है। कई बार चीजें समझने में, फोकस करने में या किसी चीज के प्रति प्रतिक्रिया करने में भी देरी हो सकती है। असल में, नींद की वजह से याददाश्त से जुड़ी प्रॉब्लम होने लगती है। ऐसे में चीजों को सही तरह से समझने में दिक्कत होती है।
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निष्कर्ष
कम नींद लेना सही नहीं है। हर व्यक्ति को रोजाना 7-8 घंटे की नींद जरूर लेनी चाहिए। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं, तो इससे आपकी ओवर ऑल हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है। खासकर, मेंटल हेल्थ पर इसका बुरा असर पड़ता है। चीजों को याद रखने में दिक्कत आने लगती है, फोकस होकर काम करने में परेशानी होने लगती है। ऐसे में चिड़चिड़ापन, एंग्जाइटी बढ़ जाती है। इस तरह की दिक्कतें आपके साथ न हो, इसके लिए जरूरी है कि नींद के साथ समझौता न करें। अगर नींद लेने में दिक्कत हो, तो प्रोफेशनल की मदद लेने में देरी न करें।
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FAQ
नींद की कमी मानसिक स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करती है?
स्टेनफॉर्ड में प्रकाशित एक लेख से पता चलता है कि मेंटल हेल्थ और नींद के बीच गहरा संबंध है। इस अध्ययन से पता चलता है कि जो लोग इनसोमनिया का शिकार होते हैं, उनमें अवसाद की संभावना सामान्य लोगों की तुलना में 10 गुणा अधिक होती है। वहीं, स्लीप एपनिया भी इन स्थितियों के जोखिम को बढ़ा देती है।नींद की बीमारी से कौन सा अंग प्रभावित होता है?
नींद पूरी न होने पर हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, अनियमित दिल की धड़कन और स्ट्रोक जैसी समस्याएं हो सकती हैं। असल में, नींद पूरी न लेने के कारण ब्लड शुगर का स्तर असंतुलित हो जाता है, जिससे कोलेस्ट्रॉल भी बढ़ सकता है।नींद की कमी चिंता को कैसे प्रभावित करती है?
अगर किसी में एंग्जाइटी पहले से ही है, तो उन्हें नींद आने में परेशानी होती है। वहीं, नींद पूरी न लेने पर एंग्जाइटी की कंडीशन भी बिगड़ती रहती है। यही कारण है कि एंग्जाइटी के मरीजों को पर्याप्त नींद लेने की सलाह दी जाती है।
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Dec 21, 2025 16:12 IST
Published By : Meera Tagore