आज की तेज रफ्तार जिंदगी में नींद की कमी (Lack Of Sleep) एक आम समस्या बन चुकी है। लोग देर रात तक मोबाइल, लैपटॉप या टीवी पर समय बिताते हैं और सुबह जल्दी उठना पड़ता है, जिससे नींद अधूरी रह जाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि नींद की कमी का सीधा असर न सिर्फ दिमाग और शरीर पर पड़ता है, बल्कि आंखों की सेहत भी इससे बुरी तरह प्रभावित होती है। अगर लगातार नींद पूरी न हो, तो आंखें लाल होना, ड्राईनेस, डार्क सर्कल्स और धुंधला दिखना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। लंबे समय तक नींद की कमी रहने से ग्लूकोमा और ड्राई आई सिंड्रोम जैसी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। एक्सपर्ट की राय है कि रोजाना 7-8 घंटे की नींद लेना आंखों को हेल्दी रखने के लिए उतना ही जरूरी है, जितना सही खानपान और हाइजीन। आइए जानते हैं कि नींद की कमी आंखों को किस तरह नुकसान पहुंचा सकती है। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के केयर इंस्टिट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज की एमडी फिजिशियन डॉ. सीमा यादव से बात की।
1. आंखों में रेडनेस और जलन- Eye Redness And Irritation
नींद पूरी न होने पर आंखों के रेड ब्लड वैसल्स फैल जाते हैं, जिससे आंखें लाल हो जाती हैं और आंखों में जलन होने लगती है। लगातार ऐसा होना आंखों की नमी को कम करता है और आंखों में थकान के लक्षण महसूस होते हैं।
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2. डार्क सर्कल्स और सूजन- Dark Circles And Puffiness
नींद की कमी से ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है, जिससे आंखों के नीचे काले घेरे और सूजन बन जाती है। ये समस्या लंबे समय तक रहने से चेहरे पर थकान और एजिंग साइन्स दिखाई देने लगते हैं।
3. धुंधला दिखाई देना- Blurry Vision
कम नींद से आंखों की मांसपेशियां रिलैक्स नहीं हो पातीं, जिससे फोकस करने की क्षमता घटती है। नतीजतन धुंधला दिखाई देता है और कंप्यूटर या मोबाइल पर काम करने में दिक्कत होने लगती है।
4. ड्राई आई सिंड्रोम- Dry Eye Syndrome
नींद की कमी से आंखों में आंसू की परत (Tear Film) कम बनती है, जिससे ड्राई आई की समस्या होती है। इससे आंखों में खुजली, चुभन और जलन महसूस हो सकती है।
5. ग्लूकोमा का खतरा बढ़ जाता है- Increased Risk Of Glaucoma
एक्सपर्ट्स के अनुसार, क्रॉनिक स्लीप डेप्रिवेशन आंखों के प्रेशर को प्रभावित करता है, जिससे ग्लूकोमा का खतरा बढ़ सकता है। यह स्थिति धीरे-धीरे आंखों की रोशनी को प्रभावित कर सकती है।
6. आंखों की रिकवरी क्षमता पर असर- Affects Eye Recovery Ability
नींद के दौरान आंखों की कोशिकाएं रिपेयर होती हैं। अगर नींद अधूरी रहे, तो यह प्राकृतिक रिपेयरिंग प्रक्रिया में रुकावट हो जाती है, जिससे आंखें जल्दी थक जाती हैं और उनका हेल्दी रहना मुश्किल हो जाता है।
निष्कर्ष:
नींद की कमी सिर्फ थकान या आलस का कारण नहीं है, बल्कि यह आंखों की सेहत को गहराई से नुकसान पहुंचाती है। रेडनेस, सूजन, ड्राई आई और ग्लूकोमा का खतरा नींद पूरी न करने पर बढ़ सकता है। इसलिए एक्सपर्ट की राय है कि रोजाना 7 से 8 घंटे की नींद लेना आंखों के स्वास्थ्य और रोशनी को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए जरूरी है।
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