CBSE Class X Result 2025 and Class XII Result 2025: सीबीएसई ने 13 मई को कक्षा 10वीं और 12वीं का रिजल्ट घोषित कर दिया है। इसी के साथ महाराष्ट्र बोर्ड की 10वीं परीक्षा के परिणाम भी जारी कर दिए गए हैं। इस रिजल्ट सीजन में कई पेरेंट्स और स्टूडेंट्स ने देखा कि उनके अपेक्षित नंबर नहीं आए या बच्चा पढ़ाई में पिछड़ गया है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या पढ़ाई में पिछड़ने की वजह सिर्फ पढ़ाई की कमी है या नींद की भी अहम भूमिका है? अगर आपका बच्चा पढ़ाई में ध्यान नहीं दे पा रहा, बार-बार चीजें भूल जाता है या टेस्ट में नंबर गिरते जा रहे हैं, तो इसकी एक बड़ी वजह नींद की कमी हो सकती है। आज के समय में बच्चे मोबाइल, टीवी, गेम और होमवर्क के दबाव में इतने उलझे रहते हैं कि नींद को समय देना भूल जाते हैं। 6 से 16 साल के बच्चों को हर दिन कम से कम 8 से 10 घंटे की नींद की जरूरत होती है, लेकिन बहुत से बच्चे मुश्किल से 5 से 6 घंटे ही सो पाते हैं। डॉक्टर्स मानते हैं कि नींद सिर्फ शरीर को आराम नहीं देती, बल्कि दिमाग को रिचार्ज करती है ताकि बच्चा अगली सुबह बेहतर तरीके से सीख सके। इस लेख में जानेंगे कि नींद और बच्चे की करियर ग्रोथ के बीच क्या कनेक्शन हो सकता है। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के बोधिट्री इंडिया सेंटर की काउन्सलिंग साइकोलॉजिस्ट डॉ नेहा आनंद से बात की।
नींद और दिमाग का कनेक्शन- Sleep and Brain Function
नींद के दौरान बच्चों का दिमाग, दिनभर की सीखी हुई जानकारियों को प्रोसेस करता है और मेमोरी में स्टोर करता है। जब बच्चा पूरी नींद नहीं लेता, तो उसकी याद रखने की क्षमता कमजोर हो जाती है, इससे उनका दिमाग ही नहीं बल्कि बच्चों की सेहत भी प्रभावित होती है। इससे पढ़ा हुआ जल्दी भूलने लगता है। नींद की कमी बच्चों के दिमागी विकास को भी धीमा कर सकती है।
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फोकस और ध्यान पर असर- Impact on Focus and Concentration
नींद पूरी न होने से बच्चों का ध्यान पढ़ाई में नहीं लगता। वे क्लास में बैठे-बैठे ऊंघते हैं, होमवर्क में गलतियां करते हैं और आसान से सवाल भी हल नहीं कर पाते। नींद, दिमाग की एनर्जी को रिस्टोर करती है, जिससे बच्चा लंबे समय तक फोकस कर पाता है।
मूड स्विंग्स और स्वभाव में बदलाव- Mood Swings and Behavioural Changes
कम नींद लेने वाले बच्चों में चिड़चिड़ापन, गुस्सा, और बेचैनी जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं। कई बार ये बदलाव पढ़ाई में रुचि कम होने का कारण बनते हैं। बच्चा छोटी-छोटी बातों पर रिएक्ट करता है और टीचर्स या पेरेंट्स की बात भी नहीं सुनता।
बच्चों को कितने घंटों की नींद की होती है?- Ideal Sleep Duration for Children
6 से 12 साल के बच्चों को रोजाना 9 से 11 घंटे की नींद और 13 से 18 साल के किशोरों को 8 से 10 घंटे की नींद लेनी चाहिए। अगर बच्चा देर रात तक जाग रहा है और सुबह जल्दी उठ रहा है, तो उसका शरीर और दिमाग पूरा रेस्ट नहीं कर पाता।
पेरेंट्स बच्चों का सही स्लीप रूटीन कैसे बनाएं?- How Parents Can Set a Healthy Sleep Routine
- सोने और उठने का एक तय समय रखें।
- सोने से कम से कम 1 घंटा पहले स्क्रीन बंद कर दें।
- सोने से पहले किताब पढ़ने या संगीत सुनने की आदत डालें।
- बच्चे के कमरे का वातावरण शांत रखें और कमरे में अंधेरा रखें।
- कैफीन या भारी खाना रात में खाने से बचना चाहिए।
डॉक्टर की सलाह- What Doctor Recommends
डॉ नेहा आनंद यह मानती हैं कि अगर बच्चा लगातार पढ़ाई में पीछे रह रहा है, तो सिर्फ ट्यूशन या एक्स्ट्रा क्लास से हल नहीं निकलेगा। सबसे पहले उसके सोने के पैटर्न को ठीक करें। बेहतर नींद से ही बेहतर परफॉर्मेंस आएगा। अगर बच्चा बार-बार थका हुआ या सुस्त दिखता है, तो एक बार डॉक्टर से नींद से संबंधित जांच कराना भी जरूरी हो जाता है।
बच्चों की पढ़ाई में सुधार लाना है, तो नींद को नजरअंदाज करना बंद करें। एक हेल्दी स्लीप रूटीन ही आपके बच्चे को मानसिक रूप से मजबूत बनाएगा और उसे एक बेहतर स्टूडेंट बनने में मदद करेगा।
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FAQ
पढ़ाई करते समय नींद आने लगे तो क्या करना चाहिए?
पढ़ाई करते समय नींद आ रही हो, तो कुछ देर के लिए उठकर हल्का ब्रेक लें, पानी पिएं, टहलने जाएं, या गहरी सांसें लें। इससे ध्यान और एनर्जी दोबारा आएगी।क्या नींद की कमी पढ़ाई को प्रभावित कर सकती है?
हां, नींद की कमी से ध्यान केंद्रित करने में समस्या होती है, याददाश्त कमजोर होती है और मानसिक थकान बढ़ जाती है, जिससे पढ़ाई पर असर पड़ता है।बच्चों को जल्दी सुलाने का क्या तरीका है?
बच्चों को जल्दी सुलाने के लिए एक नियमित स्लीप रूटीन बनाएं, हल्का म्यूजिक चलाएं, कमरे को शांत रखें, कमरे में अंधेरा रखें और सोने से पहले स्क्रीन टाइम कम करें।