गर्भवती महिला के स्वास्थ्य का सीधा असर भ्रूण के विकास पर पड़ता है। चाहे स्वास्थ्य अच्छा हो या खराब असर पेट में पल रहे बच्चे पर भी होता है। ऐसी ही एक समस्या प्री-एक्लेम्पसिया (Preeclampsia in pregnancy) है, जिसके बारे में हर गर्भवती महिला और उनके परिजनों को पता होना चाहिए। प्री-एक्लेम्पसिया, हाई ब्लड प्रेशर का एक गंभीर रूप है, जो प्रेग्नेंसी के 20वें हफ्ते के बाद एक गर्भवती महिला को परेशान कर सकता है। इस स्थिति में महिला का ब्लड प्रेशर अचानक बढ़ने लगता है। इससे यूरिन में प्रोटीन की मात्रा भी बढ़ जाती है। प्रेग्नेंसी का यह विकार गंभीर माना जाता है, क्योंकि यह गर्भवती के लिवर और किडनी को प्रभावित करते हुए मां और बच्चा दोनों के लिए जानलेवा हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि आप जानें कि प्रेग्नेंसी में आप अपने ब्लड प्रेशर को कैसे ठीक रख सकते हैं (tips to maintain blood pressure in pregnancy)।
पहचानें प्री-एक्लेम्पसिया के लक्षण
प्री-एक्लेम्पसिया प्रेग्नेंसी के 20वें सप्ताह के बाद गंभीर रूप से परेशान करना शुरू कर सकता है। ऐसे में जरूरी है कि गर्भवती महिला और उसके परिवार वालों को इसके बारे में जरूर पता हो, ताकि वो इसके संकेतों को देखते हुए डॉक्टर से तुरंत ही मदद ले सकें। इसके लिए जरूरी है कि आप प्री-एक्लेम्पसिया के लक्षणों का आप पहचानना सीखें। जैसे कि
- -हाई ब्लड प्रेशर
- -पेशाब में प्रोटीन
- -वजन का बढ़ने लगना
- -हाथों-पैरों और आंखों के आस-पास सूजन
- -लगातार सिरदर्द
- -मॉर्निंग सिकनेस से अलग ज्यादा उल्टी होना और जी मिचलाना
- -पेट दर्द
- -सांस लेने में तकलीफ
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प्रेग्नेंसी में ब्लड प्रेशर को हेल्दी रखने के आसान तरीके
जीवनशैली में करें ये जरूरी बदलाव
जीवनशैली में बदलाव करना, जैसे अधिक व्यायाम करना और अधिक संतुलित आहार लेना, उच्च रक्तचाप को रोकने में मदद कर सकता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कुछ जोखिम कारक, जैसे पारिवारिक इतिहास, पुरानी बीमारी और पिछले गर्भावस्था के इतिहास हाई ब्लड प्रेशर के खतरे को बढ़ा सकता है। गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप के जोखिम को कम करने के कुछ तरीकों अपनाएं
- -समय से सोए और समय से जागे
- -नमक का सेवन सीमित करें।
- -हाइड्रेटेड रहें।
- -संतुलित आहार खाएं, जो पौधे आधारित खाद्य पदार्थों में समृद्ध हो।
- -नियमित व्यायाम करें।
- -चेकअप करवाते रहें।
- -सिगरेट पीने और शराब पीने से बचें।
चिंता और अवसाद से बचें
ज्यादा चिंता करने से उच्च रक्तचाप की समस्या हो सकती है, जो गंभीर होने पर प्री-एक्लेम्पसिया का रूप ले सकती है। ऐसे में तनाव को कम करने की आदत डालें। किसी भी बात पर बहुत सोचे नहीं और अगर आप गुस्सेल स्वभाव के हैं, तो गुस्सा कंट्रोल करने के लिए रोजाना योगा करें।
खान-पान में इन चीजों को करें शामिल
फल और सब्जियां लें
गर्भवती महिलाओं को फलों और सब्जियों को खाने पर ध्यान देना चाहिए, विशेष रूप से दूसरे और तीसरे तिमाही के दौरान। हर दिन रंगीन खाद्य पदार्थ जो कैलोरी में कम होते हैं और फाइबर, विटामिन और खनिजों से भरे होते हैं उनका सेवन करें।
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सही मात्रा में प्रोटीन लें
गर्भवती महिलाओं को बच्चे के विकास का समर्थन करने के लिए हर भोजन में अच्छे प्रोटीन स्रोतों को शामिल करना बेहद जरूरी है। प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों में मांस, पोल्ट्री, मछली, अंडे, सेम, टोफू, पनीर, दूध, नट और बीज आदि को खान-पान में शामिल करें। दूध, दही और पनीर जैसे डेयरी खाद्य पदार्थ कैल्शियम, प्रोटीन और विटामिन डी के अच्छे आहार स्रोत हैं।
साबुत अनाज और अंडे
ये खाद्य पदार्थ आहार में ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं, और वे फाइबर, लोहा और बी-विटामिन भी प्रदान करते हैं। एक गर्भवती महिला के कार्बोहाइड्रेट विकल्पों को हेल्दी होना बेहद जरूरी है। अंडे अविश्वसनीय रूप से पौष्टिक होते हैं और आपके संपूर्ण पोषक तत्वों के सेवन को बढ़ाने का एक शानदार तरीका है। इनमें कुछ ऐसे तत्व होते हैं, जो भ्रूण के मस्तिष्क स्वास्थ्य और विकास के लिए बेहद जरूरी है।
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