संतान सुख प्राप्ति हर मां के लिए किसी वरदान से कम नहीं होता। लेकिन इसमें देर करने से यह स्तन कैंसर का कारण बन सकता है। स्तन कैंसर यदि प्रेग्नेंसी या बच्चे के जन्म के पहले साल के दौरान विकसित हो तो उसे प्रेग्नेंसी एसोसिएटेड ब्रेस्ट कैंसर (पीएबीसी) कहा जाता है। हालांकि, यह बीमारी प्रजनन वाली उम्र की महिलाओं में होने वाली दूसरी सबसे आम समस्या है, जो प्रति 3000 में से एक महिला को प्रभावित करती है।
दरअसल, आजकल के कामकाजी पेरेंट्स व्यस्तता के चलते देर से गर्भधारण करना पसंद करते हैं जिसके कारण उनमें पीएबीसी होने की संभावना ज्यादा होती है। गर्भधारण में देरी करने से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ता है।जो आने वाले समय में बहुत अधिक मामलों के साथ उभर कर सामने आएगा।
शुरुआती निदान (Early diagnosis)
प्रेग्नेंट महिला में ब्रेस्ट कैंसर का निदान शुरुआती चरणों में किया जा सकता है। पहली तिमाही में डॉक्टर पूरी गर्भावस्था के दौरान अपने खुद के मूल्यांकन की मदद से स्तन का फिजिकल टेस्ट करता है।
डॉक्टर को स्तन के आकार में बदलाव, सूजन या घाव नज़र आ सकते हैं, जिसके बाद वह रेडियोलॉजी टेस्ट की मदद लेता है। हालांकि, 80% मामलों में पैथोलॉजी सामान्य पाई जाती है। लेकिन एक पूर्ण स्तन अल्ट्रासाउंड घावों में फर्क करने में मदद करता है और पीएबीसी की पहचान करने का एक सफल विकल्प है।
क्योंकि कुछ गर्भवती महिलाओं में स्तन कैंसर की पहचान एडवांस स्टेज में हो सकती है, इसलिए डॉक्टर इस बात की जांच करते हैं कि यह कैंसर शरीर के दूसरे अंगों तक फैला है या नहीं।
प्रेग्नेंसी के दौरान निम्नलिखित टेस्ट नहीं किए जाने चाहिए (The Following Tests Should Not Be Done During Pregnancy)
गेडोलीनियम एमआरआई (Gadolinium MRI)
हालांकि, गेडोलीनियम वाले एमआरआई के कारण भ्रूण पर कोई बुरा असर नहीं देखा गया है लेकिन जबतक कोई गंभीर समस्या न हो तबतक एक प्रेग्नेंट महिला पर यह टेस्ट नहीं किया जाना चाहिए।
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ट्यूमर मार्कर टेस्ट (Tumor marker test)
कुछ ट्यूमर मार्कर टेस्ट गर्भवती महिलाओं में स्तन ट्यूमर को लेकर संदेह पैदा कर सकते हैं इसलिए यह टेस्ट नहीं किया जाना चाहिए। इस प्रकार के परीक्षण केवल एडवांस स्टेज के कैंसर की पुष्टि करने के लिए किया जाता है।
पेल्विक सीटी या एक्स-रे (Pelvic CT or x-ray )
क्योंकि, भ्रूण पर रेडिएशन का बुरा असर पड़ सकता है इसलिए एक्स-रे, पेल्विक सीटी या हड्डी की स्कैनिंग आदि जैसे कुछ रेडियोलॉजिकल परीक्षणों की सलाह नहीं दी जाती है।
पीएबीसी के बीच डिलीवरी की योजना बनाना (Planning delivery between PABC)
हालांकि, यह देखा गया है कि अधिकतर प्रेग्नेंट महिलाएं अपनी गर्भावस्था को पूरा कर पाती हैं जिसके बाद वे प्रसव की योजना बना सकती हैं। लेकिन यदि मां कीमोथेरेपी सेशन पर है तो सर्जन कीमोथेरेपी के आखरी सेशन के बाद प्रसव के लिए 2 से 3 हफ्तों के लिए रुकने की सलाह देता है।
यह ऑन्कोलॉजिस्ट, स्तन कैंसर सर्जन और ऑब्सट्रीशियन के आपसी परामर्श में किया जाता है। कुछ मेडिकेशन के लिए कंसीव करने से पहले 3 महीने का अंतराल जरूरी है, जिससे तबतक आधा उपचार पूरा हो चुका हो। ऐसे मामलों में जो कपल्स कंसीव करने की कोशिश कर रहे हैं उन्हें रुटीन इमेजिंग की सलाह दी जाती है।
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इलाज (Treatment)
पिछले एक दशक में, हालांकि स्तन कैंसर के मामलों में वृद्धि हुई है लेकिन कैंसर केयर में प्रगति और जागरुकता के साथ मृत्युदर में कमी भी आई है। हालांकि, निदान के दौरान लक्षण एक समान नहीं हो सकते हैं और कई बार स्क्रीनिंग की जरूरत शुरुआती चरण में पड़ती है। इसके लिए विभिन्न प्रकार के उपचारों की आवश्यकता पड़ सकती है।
इसलिए विशेषज्ञ बीमारी के अनुसार सबसे उचित इलाज की सलाह देता है। हालांकि, स्तन कैंसर के इलाज में बड़ी सफलता मिली है लेकिन इसका इलाज और उपचार पूरी तरह से बीमारी के चरण और गंभीरता पर निर्भर करता है। इसके अनुसार, आपको इनमें से किसी एक उपचार की सलाह दी जा सकती है: सर्जरी, रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी, हार्मोन थेरेपी और बायोलॉजिकल थेरेपी (टार्गेटेड थेरेपी)।
समस्या के आकार, फैलाव और गंभीरता के आधार पर निम्नलिखित उपचार उपलब्ध हैं-
सर्जरी (Surgery)
मास्टेक्टॉमी के नाम से चर्चित सर्जरी एडवांस मामलों में की जाती है, जहां ट्यूमर पूरी तरह फैल चुका होता है। कैंसर को फैलने से रोकने के लिए यह एक या दोनों स्तनों में किया जा सकता है। हालांकि, शुरुआती चरणों में इलाज के लिए मेडिकेशन, कीमोथेरेपी, सर्जरी आदि शामिल हैं।
रेडियोथेरेपी (Radiotherapy)
रेडिएशन के असर के कारण इसे डिलीवरी तक इस्तेमाल नहीं किया जाता है, लेकिन जब बात जीने-मरने तक पहुंच जाए तो इस विकल्प को चुनना आवश्यक हो जाता है।
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कीमोथेरेपी (chemotherapy)
पहली तिमाही में कीमोथेरेपी का उपयोग नहीं किया जाता है, लेकिन दूसरी तिमाही में इसका उपयोग किया जा सकता है।
चूंकि अधिकतर महिलाओं में कैंसर की पहचान एडवांस स्टेज में होती है इसलिए स्तन कैंसर की समय पर पहचान के लिए लोगों के बीच जागरुकता पैदा करना जरूरी है। कैंसर के मेटास्टेटिक या एडवांस स्टेड में इसे पूरी तरह ठीक करना संभव नहीं होता है और इलाज का लक्ष्य ट्यूमर को गायब करना या सुखाना होता है।
डॉक्टर नुपुर गुप्ता, निदेशक, ऑब्स्टट्रिशन एंड गाइनोकोलॉजिस्ट, वेल वुमन क्लिनिक से बातचीत पर आधारित।
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