दशकों के निरंतर शोध से कैंसर के निदान और उपचार क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। हालांकि, इस प्रगति के बावजूद, अभी भी कुछ प्रकार के कैंसर का सटीक कारण, जिसमें एक्यूट माइलॉयड ल्यूकेमिया (AML) भी शामिल है, एक रहस्य ही बना हुआ है। हालांकि विशेषज्ञ एएमएल का सटीक कारण अभी भी जान नहीं पाए हैं, लेकिन यह पता चला है कि पर्यावरणीय, आनुवंशिकी और जीवनशैली कारकों का संयोजन इस तेजी से फैलने वाली बीमारी के पनपने के जोखिम को काफी हद तक बढ़ा सकता है। इन कारणों को समझना महत्वपूर्ण है क्योंकि शुरुआती जागरूकता और समय पर निदान उपचार में काफी बड़ी भूमिका निभा सकती है। एक्यूट माइलॉयड ल्यूकेमिया का खतरा बढ़ाने वाले कारकों की जानकारी के लिए हमने बात की आर्टेमिस हॉस्पिटल के डीएम, यूनिट हेड हेमेटो- ऑन्कोलॉजी डॉ. गौरव दीक्षित से।
AML क्या है और कैसे होता है?
एएमएल, ल्यूकेमिया रक्त कैंसर का एक आक्रामक रूप है, जो आमतौर पर वयस्कों को प्रभावित करता है और समय पर उपचार नहीं होने से तेजी से बढ़ सकता है। दरअसल रक्त कोशिकाएं, अस्थि मज्जा द्वारा निर्मित होती हैं, जिसमें मूल कोशिकाएं होती हैं। इन्हें स्टेम सेल या माइलॉयड सेल्स कहा जाता है। ये कोशिकाएं ही परिपक्व होकर स्वस्थ रक्त कोशिकाएं बनती हैं जैसे:
लाल रक्त कोशिकाएं: ये शरीर में ऑक्सीजन के सर्कुलेशन में मदद करती हैं
श्वेत रक्त कोशिकाएं: ये शरीर को संक्रमण से बचाती हैं
प्लेटलेट्स: ये चोट या कट लगने पर खून का थक्का जमाने में मदद करते हैं, जिससे शरीर से बहुत ज्यादा खून बहकर न निकल जाए।
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एक्यूट माइलॉयड ल्यूकेमिया में, अस्थि मज्जा प्रभावित होती है। इस रोग में व्यक्ति के शरीर में असामान्य कोशिकाओं का उत्पादन होने लगता है, जिन्हें ब्लास्ट कहा जाता है। ये बढ़ते-बढ़ते एक समय के बाद स्वस्थ रक्त कोशिकाओं की संख्या से भी अधिक हो जाती हैं। स्वस्थ रक्त कोशिकाओं की कमी से शरीर में इंफेक्शन, एनीमिया और आसानी से रक्तस्राव होने जैसे लक्षण सामने आने लगते हैं। इसके अलावा, असामान्य रक्त कोशिकाएं त्वचा, मसूड़ों और सेंट्रल नर्वस सिस्टम सहित अन्य अंगों में भी फैल सकती हैं।
AML के मामले में भारत दुनिया का तीसरा सबसे ज्यादा मरीजों वाला देश
पिछले कुछ दशकों में AML के केस काफी बढ़ गए हैं। नवीनतम वैश्विक अनुमानों के अनुसार, वर्ष 1990 से 2021 के बीच इसके मरीजों की संख्या 79,372 से बढ़कर 144,645 हो गई, जिसमें बुजुर्ग और पुरुष रोगी असामान्य रूप से ज्यादा प्रभावित हुए हैं। वर्ष 2021 में 11,040 रोगियों के साथ भारत दुनिया में AML के मामले में तीसरे स्थान पर है।
AML का जोखिम किसे अधिक है?
एएमएल रोग में उम्र एक महत्वपूर्ण जोखिम कारक है, क्योंकि निदान के समय लगभग 74% रोगी 55 वर्ष या उससे अधिक उम्र के पाए गए हैं। इसके अलावा, महिलाओं की तुलना में पुरुषों में इसकी संख्या अधिक मिली है। बीमारी का पारिवारिक इतिहास भी बढ़े हुए जोखिम से जुड़ा पाया गया है। साथ ही, धूम्रपान करने वालों में इस कैंसर के पनपने का अधिक जोखिम होता है।
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अन्य रक्त विकार, जैसे कि मायलोप्रोलिफेरेटिव नियोप्लाज्म, अप्लास्टिक एनीमिया, या मायलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम भी एएमएल का कारण बन सकते हैं। लगभग 19% मामलों में ये कारण मिले हैं। एएमएल के 8% मामलों में रेडिएशन थेरेपी या कीमोथेरेपी से गुजरने का पिछला इतिहास देखा गया है। कुछ दवाओं (जैसे एल्काइलेटिंग एजेंट, टोपोइज़ोमेरेज़ II अवरोधक) के साथ इलाज किए जाने से भी कुछ साल बाद रोगियों में एएमएल पनपने का खतरा बढ़ सकता है। कुछ आनुवंशिक स्थितियां भी एएमएल से जुड़ी पाई गई हैं (जैसे ली-फ़्रॉमेनी सिंड्रोम, डाउन सिंड्रोम और फ़ैंकोनी एनीमिया); हालाँकि, लगभग 74% रोगियों में कोई ज्ञात जोखिम कारक नहीं मिला है।
कई अन्य कैंसर की तरह, एएमएल भी अचानक से उभर सकता है। हालांकि, जोखिम बढ़ाने वाले कारणों को जानने से लोगों को नियमित जांच करवाने में मदद मिल सकती है, जिससे समय पर निदान और उपचार संभव हो सके। एएमएल के खिलाफ लड़ाई में जागरूकता महत्वपूर्ण है। यह रोगियों, विशेष रूप से अधिक जोखिम वाले लोगों को अपने स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकती है।