Ovarian Cancer Causes: ओवेरियन कैंसर महिलाओं को होने वाला दूसरा सबसे आम कैंसर है। यह अंडाशय का कैंसर है, जो प्रजनन तंत्र से जुड़ा हुआ है। ओवेरियन कैंसर को साइलेंट कैंसर के नाम से भी जाना जाता है। यह कैंसर शुरुआत में बिना किसी लक्षण के होता है। जिसकी वजह से महिलाओं में ओवेरियन कैंसर का पता लगाने में काफी साल निकल जाते हैं और इसका इलाज मुश्किल हो जाता है।
हरियाणा के सोनीपत स्थित एंडोमेड्रा अस्पताल के वरिष्ठ ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. रमन नारंग (Dr. Raman Narang, Medical & Radiation Oncologist) का कहना है कि 10 में से 7 महिलाओं में ओवेरियन कैंसर का पता स्टेज 3 और 4 में चलता है। पिछले कुछ सालों में ओवेरियन कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके प्रति महिलाओं में जागरूकता लाने के लिए हर साल 8 मई को वर्ल्ड ओवेरियन कैंसर डे मनाया जाता है। वर्ल्ड ओवेरियन कैंसर डे (World Ovarian Cancer Day 2025) का खास मौके पर डॉ. रमन नारंग बता रहे हैं ओवेरियन कैंसर के लक्षणों के बारे में।
1. फैमिली हिस्ट्री- Role of Family history in Ovarian Cancer
डॉ. रमन नारंग के अनुसार, जिन महिलाओं के परिवार में मां, बहन या किसी अन्य नजदीकी रिश्तेदार को ओवेरियन कैंसर हुआ है, तो उनमें इस कैंसर के होने की संभावना ज्यादा होती है। BRCA1 और BRCA2 जीन में बदलाव ओवेरियन कैंसर का खतरा बढ़ाने में योगदान देते हैं। ओवेरियन कैंसर के अलावा फैमिली हिस्ट्री में अगर ब्रेस्ट कैंसर रहा है, तो महिलाओं को इसके होने का खतरा रहता है।
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2. ज्यादा उम्र होने के कारण- Ovarian cancer due to old age
ओवेरियन कैंसर के मामले 50 साल की उम्र के बाद महिलाओं में ज्यादा देखे जाते हैं। इस उम्र में महिलाओं में मेनोपॉज शुरू हो जाता है। मेनोपॉज के समय महिलाओं में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्तर तेजी से घटता है। यह हार्मोनल असंतुलन के साथ-सा अंडाशय की कोशिकाओं को भी बढ़ाता है। जिससे कैंसर की संभावना ज्यादा होती है।
3. जीवनशैली और मोटापा- Lifestyle and Obesity cause Ovarian Cancer
डिलीवरी के बाद बढ़े हुए वजन, मोटापे और असंतुलित जीवनशैली भी महिलाओं में विभिन्न प्रकार के कैंसर का खतरा बढ़ाती है। डॉ. रमन नारंग का कहना है कि जो महिलाएं नियमित तौर पर प्रोसेस्ड फूड, अधिक तेल और मसाले व चीनी का सेवन ज्यादा मात्रा में करती हैं, उनमें ओवेरियन कैंसर का जोखिम कई गुणा होता है। इतना ही नहीं रोजमर्रा की लाइफस्टाइल में फिजिकल तौर पर एक्टिव न रहने से इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। इससे शरीर कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने में असमर्थ हो जाता है।
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4. हार्मोनल थेरेपी- Role of Hormonal therapy in Ovarian Cancer
40 से 45 साल की उम्र में महिलाओं को जब मेनोपॉज शुरू होता है, तब उन्हें हार्मोन को संतुलित करने के लिए हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT) दी जाती है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन द्वारा की गई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि जो महिलाएं 5 साल या उससे अधिक समय तक HRT (Hormone Replacement Therapy) का इस्तेमाल करती हैं, उनमें ओवेरियन कैंसर का खतरा ज्यादा होता है। हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी की वजह से सेरोस टाइप ओवेरियन कैंसर (Serious type) का खतरा अधिक है।
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5. अनियमित पीरियड्स
महिलाओं में होने वाले अनियमित पीरियड्स और पीरियड्स के दौरान हैवी ब्लीडिंग के कारण भी ओवेरियन कैंसर का खतरा बढ़ता है। अनियमित पीरियड्स महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के असंतुलन को दर्शाते हैं। इसके कारण अंडाशय की कोशिकाओं के असामान्य विकास हो जाता है। जिसकी वजह से ओवेरियन कैंसर का खतरा बढ़ता है। विशेषकर अगर महिला की उम्र 40 वर्ष से ज्यादा है और उसे लगातार पीरियड्स संबंधी परेशानी, पेट में सूजन और भूख की कमी का अनुभव होता है, तो यह ओवेरियन कैंसर का पहला संकेत हो सकता है। ऐसे में महिलाओं को डॉक्टर से सलाह लेकर मेडिकल टेस्ट जरूर (Medical Test for Ovarian Cancer) करना चाहिए।
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निष्कर्ष
महिलाओं को होने वाले ओवेरियन कैंसर एक साइलेंट किलर है। इस कैंसर के लक्षणों काफी देरी से सामने आते हैं। लेकिन इसके कारणों का पता समय के साथ लगा लिया जाए और इस बारे में डॉक्टर से बात की जाए, तो ओवेरियन कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है। रेगुलर मेडिकल टेस्ट, जागरूकता और संतुलित जीवनशैली ही ओवेरियन और विभिन्न प्रकार के कैंसर से बचाव का एकमात्र तरीका है।