ब्रेस्टफीडिंग या स्तनपान न केवल एक नवजात बच्चे को स्वस्थ और तंदुस्त रखने के लिए जरूरी होता है। बल्कि यह एक नवजात बच्चे के साथ-साथ ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिला के लिए भी उतना ही जरूरी है। जी हां ब्रेस्टफीडिंग आपकी नवजात बच्चे को पोषण देने के साथ स्तनपान कराने वाली महिला के स्वास्थ्य से जुड़ा है। ऐसा माना जाता है कि यदि कोई नई मां बनी महिला बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग नहीं कराती है, तो वह कुछ गंभीर बीमारियों का शिकार हो सकती है। हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें, तो आजकल महिलाएं अपने फिगर खराब होने जैसी अन्य कई गलत धारणाओं के चलते बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराने से बचती हैं। जबकि महिलाएं ये नहीं जानती कि वह ब्रेस्टफीडिंग करवाने से बचकर अपने ही स्वास्थ्य को खतरे में डाल रही हैं।
1. लैक्टेशनल अमनोरिया
ब्रेस्ट फीडिंग न करवाने से महिलाओं में एक नहीं कई बीमारियां हो सकती हैं। ऐसा माना जाता है कि अगर एक माँ अपने बच्चे को स्तनपान नहीं कराती है, तो ओवुलेशन प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इसके बाद महिलाओं में और फिर उसे अनियमित पीरियड्स होने लगते हैं। इसका मतलब है कि वह फिर से एक और गर्भावस्था के लिए तैयार नहीं है, जो उसके गर्भाशय और समग्र कल्याण को नुकसान पहुंचा सकती है। लैक्टेशनल अमनोरिया गर्भवती या मेनोपॉज होने के बगैर भी अपने 3 या 3 से अधिक पीरियड्स को मिस कर सकती हैं, जो कि एक आम बात नहीं है।
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2. ब्रेस्ट कैंसर
यह माना जाता है कि यदि कोई महिला प्रसव के बाद अपने नवजात शिशु को स्तनपान नहीं कराती है, तो उसमें ब्रेस्ट कैंसर का खतरा अधिक होता है। यह एक ज्ञात तथ्य है, जिस पर डॉक्टर भी सलाह देते हैं।
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3. ओवेरियन कैंसर
ओवेरियन कैंसर महिलाओं में होने वाले एक कैंसर का रूप है। ओवेरियन कैंसर का मुख्य कारण ओवुलेशन है। ओवुलेशन मासिक चक्र का एक हिस्सा है। जब ओवरी में एग रिलीज होता है, तब ओवुलेशन होता है। ब्रेस्टफीडिंग, ओवुलेशन प्रक्रिया में देरी करता है, जो एक सुरक्षा तंत्र के रूप में कार्य करता है। लेकिन अगर माँ स्तनपान नहीं करती है तो इससे उसका स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है और साथ ही ओवेरियन कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
4. पोस्टपार्टम डिप्रेशन
ब्रेस्टफीडिंग न कराने के एक नुकसान में पोस्टपार्टम डिप्रेशन भी शामिल है। जो महिलाएं अपने नवजात को ब्रेस्टफीडिंग नहीं करवाती हैं, उनमें मुख्य रूप से पोस्टपार्टम डिप्रेशन देखा जा सकता है। पोस्टपार्टम डिप्रेशन के प्रमुख लक्षणों में है: गुमशुम रहना, नींद न आना, भूख न लगना, चिड़चिड़ापन, अपने आप में खोए रहना और अपने बच्चे के साथ संबंध बनाने में कठिनाई। पोस्टपार्टम डिप्रेशन महिला और उसके बच्चे के लिए खतरनाक हो सकत है। इसके अलावा, कई महिलाओं में स्तनपान न कराने से ऑस्टियोपोरोसिस, रूमटाईड आर्थराइटिस और अन्य हृदय रोगों का विकास हो सकता है।
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5. पोस्टपार्टम हेमरेज
पोस्टपार्टम हेमरेज भी ब्रेस्टफीडिंग न कराने के स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। यदि कोई महिला ब्रेस्टफीडिंग नहीं कराती है, तो उसे पोस्टपार्टम हेमरेज यानि प्रसव के बाद होने वाले स्कतस्राव से गुजरना पड़ सकता है। ऐसा इसलिए होता है, यदि महिला प्रसव के बाद स्तनपान नहीं कराती है, तो गर्भाशय अपने मूल आकार या स्थिति में वापस आने में बहुत समय लेता है, जो स्तनपान कराने वाली महिलाओं में नहीं होता है।
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