आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी, अनियमित खानपान और लगातार बढ़ता मानसिक तनाव हमारी सेहत को अंदर से नुकसान पहुंचा रहा है। खासतौर पर हार्मोनल संतुलन पर इसका सीधा असर देखने को मिल रहा है। थायराइड से जुड़ी समस्याएं पहले सिर्फ उम्रदराज लोगों में देखी जाती थीं, लेकिन अब यह समस्या कम उम्र के लोगों में भी तेजी से फैल रही हैं। हाइपोपैराथायरायडिज्म एक ऐसी हार्मोनल डिसऑर्डर है जिसमें शरीर की पैराथायराइड ग्रंथियां पर्याप्त मात्रा में पैराथॉर्मोन (PTH) नहीं बना पातीं। जब PTH का लेवल गिर जाता है, तो मांसपेशियों में ऐंठन, झुनझुनी, हड्डियों में दर्द और मानसिक थकान जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं।
आज के समय में लोगों के बीच इस बीमारी को लेकर जागरूकता कम है, इसलिए अक्सर इसके लक्षणों को नजरअंदाज कर दिया जाता है। लेकिन सही समय पर पहचान और इलाज से इस स्थिति को बेहतर ढंग से कंट्रोल किया जा सकता है। इस लेख में मेट्रो हॉस्पिटल, नोएडा के इंटरनल मेडिसिन विभाग के कंसल्टेंट डॉ. अक्षय (Dr. Akshay Chugh, Consultant - Internal Medicine, Metro Hospital, Noida) से जानिए, हाइपोपैराथायरायडिज्म क्या है?
हाइपोपैराथायरायडिज्म क्या है? - What is hypoparathyroidism
डॉ. अक्षय बताते हैं कि पैराथायराइड ग्रंथियां गर्दन में थायराइड ग्रंथि के पास स्थित होती हैं और इनका काम शरीर में कैल्शियम, फॉस्फेट और विटामिन D के लेवल को कंट्रोल करना है। हाइपोपैराथायरायडिज्म में ये ग्रंथियां पर्याप्त मात्रा में PTH नहीं बनातीं, जिससे हाइपोकैल्सीमिया यानी ब्लड में कैल्शियम की कमी जैसी समस्याएं हो जाती हैं। यह बीमारी लंबे समय तक शरीर के कई अंगों को प्रभावित कर सकती है, खासकर हड्डियों, मांसपेशियों और तंत्रिका तंत्र को।
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हाइपोपैराथायरायडिज्म के कारण - Causes of Hypoparathyroidism
- कई मामलों में ऐसा देखा गया है कि शरीर का इम्यून सिस्टम ऑटोइम्यून रोग के कारण गलती से पेराथायराइड ग्रंथियों पर हमला कर देता है, जिससे समस्या होने लगती है।
- कुछ लोगों में यह विकार जन्म से ही हो सकता है, जिसमें पेराथायराइड ग्रंथियां विकसित नहीं होतीं या काम नहीं करतीं।
- शरीर में बहुत कम मैग्नीशियम होने पर भी पेराथायराइड हार्मोन का उत्पादन रुक सकता है।
- विटामिन डी की कमी से कैल्शियम अवशोषण कम होता है, जो हाइपोपैराथायरायडिज्म को बढ़ावा दे सकता है।
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हाइपोपैराथायरायडिज्म के लक्षण - Symptoms of hypoparathyroidism
- मांसपेशियों में ऐंठन और झुनझुनी महसूस हो सकती है। इसके अलावा हाथ-पैरों में चुभन या झनझनाहट महसूस होना भी इसका लक्षण है।
- मांसपेशियों का अकड़ना भी हाइपोपैराथायरायडिज्म का लक्षण है।
- हाइपोपैराथायरायडिज्म की समस्या है लगातार कमजोरी महसूस हो सकती है और व्यक्ति को थकान हो सकती है।
- जोड़ों और हड्डियों में दर्द भी हाइपोपैराथायरायडिज्म का लक्षण है।
- हाइपोपैराथायरायडिज्म के कारण भूलने की बीमारी, चिंता, डिप्रेशन और मानसिक भ्रम जैसी दिक्कतें भी हो सकती हैं।
- स्किन का ड्राई होना और बालों का झड़ना भी हाइपोपैराथायरायडिज्म का लक्षण है।
हाइपोपैराथायरायडिज्म का इलाज - Treatment of hypoparathyroidism
हाइपोपैराथायरायडिज्म की समस्या में शरीर में कैल्शियम का लेवल संतुलित रखना होता है। इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है। मरीज को कैल्शियम की कमी को पूरा करने के लिए कैल्शियम की दवा दी जाती है, इसके साथ ही विटामिन डी सप्लीमेंट भी दिए जाते हैं। यह कैल्शियम के अवशोषण में मदद करता है। कुछ मामलों में कृत्रिम पैराथॉर्मोन हार्मोन दिया जा सकता है। इसके अलावा डाइट में बदलाव, नियमित टेस्ट जरूरी होते हैं।
निष्कर्ष
हाइपोपैराथायरायडिज्म को कंट्रोल किया जा सकता है। सही समय पर पहचान, नियमित दवा, बैलेंस डाइट और डॉक्टर की सलाह के अनुसार लाइफस्टाइल अपनाकर मरीज एक सामान्य और हेल्दी जीवन जी सकते हैं। इस रोग के लक्षण यदि समय पर पहचान लिए जाएं, तो समस्याओं से बचा जा सकता है। अगर आपको बार-बार मांसपेशियों में ऐंठन, झुनझुनी या थकान महसूस होती है, तो अनदेखा न करें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और जांच करवाएं।
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FAQ
पैराथाइरॉइड हार्मोन ज्यादा होने पर क्या होता है?
जब शरीर में पैराथायरॉइड हार्मोन (PTH) का लेवल सामान्य से ज्यादा हो जाता है, तो इसे हाइपरपैराथायरॉइडिज्म (Hyperparathyroidism) कहते हैं। इसके कारण हड्डियां कमजोर होने लगती हैं, पेशाब में कैल्शियम की मात्रा बढ़ती है जिससे गुर्दे की पथरी, कमजोरी, थकान, पेट दर्द, और मानसिक भ्रम जैसी समस्याएं हो सकती हैं।PTH लेवल कैसे कम करें?
PTH का लेवल कम करने के लिए सबसे पहले उसके बढ़ने के कारण का पता लगाना जरूरी होता है। अगर यह विटामिन D की कमी या कैल्शियम की कमी के कारण है, तो डॉक्टर की सलाह अनुसार विटामिन D और कैल्शियम सप्लीमेंट दिए जाते हैं। इलाज हमेशा डॉक्टर की निगरानी में ही करें।थायराइड क्यों होता है?
थायराइड हार्मोनल असंतुलन के कारण होने वाली एक आम बीमारी है, जो थायराइड ग्रंथि के सही तरीके से काम न करने पर होती है। यह ग्रंथि गर्दन के सामने हिस्से में होती है। थायराइड के दो मुख्य प्रकार हैं, हाइपोथायरायडिज्म और हाइपरथायरायडिज्म। इसके कारणों में आटोइम्यून बीमारी, आयोडीन की कमी, तनाव, अनुवांशिकता और हार्मोनल बदलाव शामिल हो सकते हैं।
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