
हमारे दिमाग और शरीर में कई तरह के हार्मोन और न्यूरोट्रांसमीटर काम करते हैं, जो रोजमर्रा की एक्टिविटी से लेकर हमारी भावनाओं और सोचने-समझने की क्षमता तक को प्रभावित करते हैं। इन्हीं में से एक है डोपामाइन (Dopamine), जिसे आमतौर पर हैप्पी हार्मोन कहा जाता है। सरल शब्दों में कहें तो जब भी हम कोई पसंदीदा काम करते हैं, टारगेट हासिल करते हैं या कोई अच्छा अनुभव लेते हैं, तो डोपामाइन हार्मोन एक्टिव हो जाता है और हमें अच्छा महसूस कराता है। लेकिन महिलाओं के जीवन में डोपामाइन की भूमिका केवल खुशी तक सीमित नहीं है। यह हार्मोन मूड, आत्मविश्वास, नींद, एनर्जी, यौन स्वास्थ्य और यहां तक कि फर्टिलिटी पर भी असर डालता है। खासकर महिलाओं के शरीर में समय-समय पर होने वाले हार्मोनल बदलाव, जैसे पीरियड्स, प्रेग्नेंसी और मेनोपॉज के दौरान डोपामाइन का लेवल सीधा प्रभावित होता है। यही वजह है कि कुछ महिलाएं इन अवस्थाओं में मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ापन, थकान या उदासी जैसी समस्याओं का अनुभव करती हैं। इस लेख में दिल्ली के आनंद निकेतन में स्थित गायनिका: एवरी वुमन मैटर क्लीनिक की सीनियर कंसल्टेंट, ऑब्सटेट्रिक्स और गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. (कर्नल) गुंजन मल्होत्रा सरीन (Dr. (Col.) Gunjan Malhotra Sarin, Senior Consultant, Obstetrics and Gynecologist, Gynecology: Every Woman Matters Clinic, located in Anand Niketan, Delhi) से जानिए, डोपामाइन महिलाओं में क्या करता है?
डोपामाइन महिलाओं में क्या करता है? - What does dopamine do for a woman
डोपामाइन हमारे दिमाग की उन केमिकल्स में से है जो न्यूरॉन्स के बीच संदेश पहुंचाने का काम करते हैं। यह हमें रिवॉर्ड सिस्टम यानी खुशी और संतुष्टि की भावना से जोड़ता है। जब भी कोई महिला अपनी पसंदीदा चीज खाती है, टारगेट हासिल करती है, एक्सरसाइज करती है या पसंदीदा लोगों के साथ समय बिताती है, तो डोपामाइन का लेवल बढ़ जाता है। यही वजह है कि डोपामाइन को अक्सर फील-गुड हार्मोन भी कहा जाता है।
1. महिलाओं में डोपामाइन और मूड का कनेक्शन
महिलाओं में मूड स्विंग्स अक्सर हार्मोनल बदलावों की वजह से होते हैं, जैसे पीरियड्स, प्रेग्नेंसी या मेनोपॉज के दौरान। ऐसे समय में डोपामाइन का लेवल सीधे तौर पर प्रभावित होता है। पर्याप्त डोपामाइन होने पर महिला को उत्साह, खुशी और मानसिक शांति महसूस होती है। वहीं इसकी कमी से चिड़चिड़ापन, एंग्जायटी, उदासी और डिप्रेशन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
इसे भी पढ़ें: डोपामाइन क्या है? जानें इस हार्मोन का स्तर कम होने पर कौन-से लक्षण नजर आते हैं
2. डोपामाइन और महिला का आत्मविश्वास
डोपामाइन मोटिवेशन और आत्मविश्वास को बढ़ाने में मदद करता है। जब डोपामाइन संतुलित रहता है, तो महिलाएं अपने काम को लेकर ज्यादा आत्मविश्वासी और फोकस्ड रहती हैं। ऑफिस, पढ़ाई या घरेलू जिम्मेदारियों को संभालने में यह हार्मोन अहम भूमिका निभाता है।
3. प्रेग्नेंसी और डोपामाइन का असर
प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं के हार्मोन में कई बदलाव आते हैं। इस समय डोपामाइन का लेवल भी उतार-चढ़ाव करता है। डोपामाइन का असंतुलन प्रेग्नेंसी में मूड डिसऑर्डर और कभी-कभी मिसकैरिज के खतरे से भी जुड़ा हो सकता है। वहीं सही डोपामाइन लेवल से महिला को एनर्जी मिलती है, पॉजिटिव सोच बनी रहती है और भ्रूण के विकास में भी मदद मिलती है।
इसे भी पढ़ें: खुश रहने के लिए जरूरी हैं ये 4 हैप्पी हार्मोन्स, जानें इन्हें बढ़ाने का तरीका
4. डोपामाइन और पीरियड्स
पीरियड्स के दौरान महिलाओं को अक्सर थकान, मूड स्विंग्स और कमजोरी महसूस होती है। इस समय डोपामाइन का लेवल गिर सकता है। यदि महिलाएं इस दौरान बैलेंस डाइट, हल्की एक्सरसाइज और पर्याप्त नींद लेती हैं, तो डोपामाइन का लेवल ठीक रहता है और PMS (Premenstrual Syndrome) के लक्षण भी कम हो जाते हैं।
5. मेनोपॉज और डोपामाइन का संबंध
मेनोपॉज के समय महिलाओं में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन में भारी बदलाव आते हैं, जिससे डोपामाइन का लेवल भी प्रभावित होता है। इसकी कमी से महिलाओं को डिप्रेशन, भूलने की बीमारी, चिड़चिड़ापन और नींद न आने जैसी दिक्कतें होती हैं। ऐसे समय में डोपामाइन को बढ़ाने वाले नेचुरल तरीके बेहद मददगार साबित हो सकते हैं।
निष्कर्ष
डोपामाइन महिलाओं के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों के लिए बेहद जरूरी है। यह न सिर्फ मूड और आत्मविश्वास को प्रभावित करता है बल्कि फर्टिलिटी, यौन स्वास्थ्य, नींद और एनर्जी लेवल को भी कंट्रोल करता है। इसकी कमी महिलाओं की दिनचर्या और जीवन की क्वालिटी पर नकारात्मक असर डाल सकती है। इसलिए महिलाओं को अपनी डाइट, लाइफस्टाइल और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए डोपामाइन को नेचुरल रूप से संतुलित बनाए रखना चाहिए।
All Images Credit- Freepik
FAQ
डोपामाइन हार्मोन का क्या काम है?
डोपामाइन एक न्यूरोट्रांसमीटर हार्मोन है जो मस्तिष्क में संदेश भेजने का काम करता है। यह खुशी, मोटिवेशन, ध्यान और सीखने की प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाता है। डोपामाइन की सही मात्रा व्यक्ति को खुश और एनर्जेटिक महसूस कराती है।डोपामाइन की कमी से क्या लक्षण होते हैं?
डोपामाइन की कमी से व्यक्ति में कई मानसिक और शारीरिक लक्षण देखे जा सकते हैं। इसमें थकान, मोटिवेशन की कमी, उदासी, फोकस में कमी, नींद की समस्या शामिल हैं। व्यक्ति को आनंद की अनुभूति नहीं होती और वह सुस्त महसूस करता है।शरीर में डोपामाइन कैसे बढ़ाएं?
शरीर में डोपामाइन बढ़ाने के लिए बैलेंस डाइट लें, जैसे प्रोटीन युक्त भोजन। नियमित एक्सरसाइज, ध्यान और योग करने से भी डोपामाइन का लेवल बढ़ता है। पर्याप्त नींद लें और सूरज की रोशनी में समय बिताएं। पसंदीदा संगीत सुनना, नई चीजें सीखना और छोटे टारगेट हासिल करना भी फायदेमंद होता है।
Read Next
45 के पार बहुत ज्यादा पसीने आने का कारण मेनोपॉज नहीं, हो सकती है ये भी बीमारियां, जानें डॉक्टर से
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version