
मानव शरीर का हर कार्य दिमाग से कंट्रोल होता है और इसमें न्यूरोट्रांसमीटर (Neurotransmitters) की भूमिका सबसे अहम होती है। इन्हीं न्यूरोट्रांसमीटर में से एक है डोपामिन (Dopamine), जिसे आमतौर पर "फील-गुड केमिकल" भी कहा जाता है। यह न केवल हमें खुशी और संतुष्टि का एहसास कराता है, बल्कि दिमाग और शरीर के बीच संदेश पहुंचाने, मूवमेंट, नींद, ध्यान (focus) और मोटिवेशन जैसे कई जरूरी कार्यों को भी कंट्रोल करता है। जब शरीर में डोपामिन का लेवल सामान्य रहता है, तो इंसान एनर्जेटिक, प्रेरित और स्वस्थ महसूस करता है। लेकिन अगर इसकी कमी हो जाए, तो धीरे-धीरे शरीर और दिमाग दोनों प्रभावित होने लगते हैं। डोपामिन की कमी से मूड स्विंग्स, डिप्रेशन, थकान और याददाश्त की समस्या जैसी हल्की परेशानियां तो होती ही हैं, साथ ही यह कुछ गंभीर बीमारियों का भी कारण बन सकती है। इस लेख में एनआईटी फरीदाबाद में स्थित संत भगत सिंह महाराज चैरिटेबल हॉस्पिटल के जनरल फिजिशियन डॉ. सुधीर कुमार भारद्वाज से जानिए, डोपामाइन की कमी से होने वाले रोग कौन से हैं?
डोपामाइन की कमी से होने वाले रोग - What diseases are caused by low dopamine
डोपामाइन एक केमिकल मैसेंजर यानी न्यूरोट्रांसमीटर है, यह दिमाग के उन हिस्सों को एक्टिव करता है जो हमें खुशी, प्रेरणा और संतुष्टि का एहसास कराते हैं। साथ ही यह हमारे शरीर की मांसपेशियों को कंट्रोल करने में भी अहम भूमिका निभाता है। जब डोपामाइन का लेवल सामान्य रहता है, तो व्यक्ति एनर्जेटिक, एक्टिव और खुश महसूस करता है। लेकिन जब इसका लेवल कम हो जाता है, तो थकान, उदासी, याददाश्त की समस्या और मूवमेंट से जुड़ी कठिनाइयां सामने आने लगती हैं।
1. पार्किंसंस डिजीज
डोपामाइन की कमी से जुड़ी सबसे गंभीर और आम बीमारी है पार्किंसंस डिजीज। यह एक न्यूरोडीजेनेरेटिव डिसऑर्डर (Neurodegenerative Disorder) है, जिसमें दिमाग की कोशिकाएं (neurons) धीरे-धीरे नष्ट होने लगती हैं। जब दिमाग का वह हिस्सा, जो डोपामाइन बनाता है, क्षतिग्रस्त हो जाता है, तब शरीर में डोपामाइन की मात्रा कम हो जाती है और मूवमेंट संबंधी समस्याएं शुरू हो जाती हैं। पार्किंसंस डिजीज के अलावा भी डोपामिन की कमी कई अन्य मानसिक और शारीरिक स्थितियों से जुड़ी हो सकती है, जैसे-
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2. डिप्रेशन - Depression
3. स्किजोफ्रेनिया - Schizophrenia
4. एडिक्शन - Addiction
5. अनिद्रा - Insomnia
डोपामाइन की कमी के कारण
- बढ़ती उम्र के साथ डोपामाइन बनाने वाली कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं।
- आनुवांशिक कारणों से भी परिवार में किसी को पार्किंसंस होने पर जोखिम बढ़ जाता है।
- सिर पर चोट लगने से डोपामाइन बनाने वाली कोशिकाएं प्रभावित हो सकती हैं।
- नींद की कमी, असंतुलित डाइट, तनाव और नशे की लत।
- स्किजोफ्रेनिया और डिप्रेशन भी डोपामाइन असंतुलन से जुड़े हैं।
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डोपामाइन का स्तर बढ़ाने के नेचुरल तरीके
- म्यूजिक और डांस डोपामाइन का प्राकृतिक स्तर बढ़ाते हैं।
- एक्सरसाइज में साइकिलिंग और योगा।
- संतुलित डाइट लें इसमें केले, बादाम, डार्क चॉकलेट और प्रोटीन से भरपूर चीजें खाएं।
- ध्यान और मेडिटेशन करें इससे मानसिक शांति और खुशी मिलती है।
निष्कर्ष
डोपामाइन की कमी सिर्फ मूड स्विंग्स या थकान की वजह नहीं होती, बल्कि यह पार्किंसंस डिजीज जैसी गंभीर बीमारी का कारण बन सकती है। इस बीमारी के शुरुआती लक्षणों को पहचानकर समय पर डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। सही दवाइयों, लाइफस्टाइल में बदलाव और नियमित जांच से इस स्थिति को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है। डोपामाइन संतुलन बनाए रखना न केवल मानसिक स्वास्थ्य बल्कि शारीरिक सेहत के लिए भी बेहद जरूरी है।
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