मां बनना हर औरत का सपना होता है... और जब यह सपना अधूरा रह जाए, तो सिर्फ शरीर नहीं, आत्मा भी टूटने लगती है। कुछ ऐसी ही कहानी है शशि की। शशि एक साधारण सी लड़की, लेकिन असाधारण संघर्ष की मिसाल है। जो दर्द सिर्फ शरीर में नहीं, आत्मा में उतर कर दिल को रुलाता है, उसे शशि ने झेल और फिर एक दिन, आयुर्वेद के स्पर्श ने उसकी टूटी उम्मीदों में रंग भर दिए।
कम उम्र में शशि को हुआ PCOD
आशु की उम्र तब केवल 22 साल थी, जब उनके पीरियड्स इन रेगुलर होने लगे। शुरुआत में उसने इसे नजरअंदाज कर दिया। सोचा- शायद पढ़ाई का स्ट्रेस है, या मौसम का असर। लेकिन धीरे-धीरे महीने-दर-महीने उसके पीरियड्स 6-6 महीने तक गायब हो जाते। पेट के नीचे तेज दर्द, चेहरे पर बाल उगना, वजन बढ़ना, और सबसे बड़ी बात पीरियड्स के दौरान उन्हें असहनीय दर्द झेलना पड़ा। लंबे समय तक पीरियड्स के दर्द को झेलने के बाद एक दिन उन्होंने डॉक्टर से सलाह ली है। डॉक्टर ने उनकी सोनोग्राफी करवाई और रिपोर्ट आई। जिसमें शशि को पॉलीसिस्टिक ओवरी डिजीज (PCOD) का पता चला। पीसीओडी शब्द शशि के न सिर्फ नया था बल्कि काफी डरावना भी था।
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PCOD का दर्द कम करने के लिए लिया इंजेक्शन
पीसीओडी के कारण पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द को बर्दाश्त करने के लिए शशि को हर महीने इंजेक्शन लेना पड़ता था। हर इंजेक्शन उसके शरीर में सिर्फ दवा नहीं, उम्मीद भी भरता। लेकिन हर बार जब पीरियड्स नहीं आते, तो वह टूट जाती थी।
6 साल तक मां न बन पाने की टीस
पीसीओडी का दर्द झेलने वाली शशि उस समय ज्यादा टूटने लगीं, जब उनकी शादी को लंबा समय बीत गया। शादी के कुछ सालों बाद जब उनकी सास की नजरें कहतीं- "कब गुड न्यूज दोगी?" रिश्तेदार कान में फुसफुसाते- "अब तो इलाज करवा लो... वरना देर हो जाएगी।" इस तरह की बातों को सुनने के बाद शशि आईने के सामने खड़ी होकर खुद से पूछती - "क्या मैं अधूरी हूं? क्या एक औरत का अस्तित्व सिर्फ मां बनने तक ही सीमित है?" वह रोती, लेकिन चुपचाप सब कुछ सहती रहीं।
IVF के जरिए मां बनने का सपना भी टूटा
पीसीओडी के कारण नेचुरली कंसीव न कर पाने वाली शशि ने आईवीएफ का भी सहारा लिया। शारीरिक तौर पर परेशानी और आईवीएफ के प्रोसेस में लाखों रुपये खर्च करने के बावजूद उनका मां बनने का सपना अधूरा रह गया। आईवीएफ फेल होने के बाद शशि मां बनने का सपना छोड़ चुकी थीं और अब सिर्फ अपने टीचिंग करियर पर फोकस कर रही थीं।
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आयुर्वेदिक इलाज से शशि बनीं मां
एक दिन यूं ही बातों-बातों में शशि को एक दोस्त के जरिए आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट के जरिए मां बनने का पता चला था। इसके बाद उन्होंने दिल्ली के आशा आयुर्वेदा की सेंटर पर डॉ. चंचल शर्मा से इलाज करवाया। शशि की प्रेग्नेंसी कंसीव न पाने की हिस्ट्री जानने के बाद डॉ. चंचल शर्मा ने उन्हें कुछ जांच करवाने की सलाह दी। इन टेस्ट में पता चला कि शशि को सिर्फ पीसीओडी नहीं, बल्कि प्रेग्नेंसी कंसीव करने के लिए उनके एग्स भी उतने हेल्दी नहीं हैं।
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मां बनने के लिए दिनचर्या में किया बदलाव
शशि की केस हिस्ट्री जानने के बाद डॉ. चंचल शर्मा ने उन्हें अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव करने के लिए कहा। आयुर्वेदिक इलाज के दौरान शशि ने खानपान, एक्सरसाइज, थेरेपी और विभिन्न प्रकार के आयुर्वेदिक हर्ब्स का सेवन किया। मां बनने के आयुर्वेदिक इलाज के पहले महीने शशि के जीवन में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ। लेकिन शरीर में हल्कापन महसूस होने लगा। दूसरा महीना आते-आते उसका वजन धीरे-धीरे कम होने लगा, चेहरे पर चमक लौटी और सबसे बड़ी बात उनके पीरियड्स रेगुलर हो गए। इससे शशि के एग्स की क्वालिटी भी सुधर गई।
कुछ महीनों के आयुर्वेदिक इलाज के बाद शशि एक दिन वह क्लिनिक गई। डॉक्टर ने रिपोर्ट देखी और मुस्कुरा कर कहा- बधाई हो, आप प्रेग्नेंट हैं। उस दिन शशि फूट-फूटकर रोई। यह आंसू दर्द के नहीं, सालों की तपस्या के फल थे। मां बनने का सपना जो धुंधला हो चला था, अब साकार हो रहा था। शादी के 6 साल के बाद शशि ने एक सुंदर-प्यारे से बच्चे को जन्म दिया। जब से शशि मां बनीं तब से उनके आत्मबल, भरोसे और धैर्य को भी पुनर्जन्म हुआ है।
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दूसरों को दे रहीं प्ररेणा
आयुर्वेदिक इलाज के जरिए मां बनने के बाद अब शशि सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं। शशि अब लोगों को पीसीओडी और प्रेग्नेंसी से जुड़ी परेशानियों के लिए एलोपैथी की बजाय आयुर्वेद का सहारा लेने के लिए कहती हैं। शशि की कहानी हमें बताती है कि खुद पर भरोसा रखना और उम्मीदों के साथ जीने से हर मुश्किल को हल किया जा सकता है।
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शशि की ये कहानी दिल्ली के आशा आयुर्वेदा की डायरेक्टर और आयुर्वेदिक डॉ. चंचल शर्मा ने हमारे साथ शेयर की है। अगर आपको भी पीसीओडी, पीसीओएस या कोई अन्य स्वास्थ्य समस्या है और उससे उबरने के लिए आपने किसी प्रकार का ट्रीटमेंट लिया है, तो आप अपनी कहानी हमारे साथ शेयर कर सकते हैं। अपनी कहानी बताने के लिए मुझे ashu.kumar@jagrannewmedia.com पर मेल करें।
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