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कंसीव करने से पहले जरूर करवाएं ये 2 प्रकार के टेस्ट, जेनेटिक और हार्मोनल बीमारियों से होगा बच्चों का बचाव

Pre pregnancy test: प्रेग्नेंसी से पहले कुछ टेस्ट करवाना आपके बच्चे के भविष्य को सुरक्षित कर सकता है। आप इन टेस्ट के जरिए बच्चे को जेनेटिक और हार्मोनल बीमारियों से बचा सकते हैं। क्या हैं यह टेस्ट, जानते हैं इस बारे में विस्तार से। 
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कंसीव करने से पहले जरूर करवाएं ये 2 प्रकार के टेस्ट, जेनेटिक और हार्मोनल बीमारियों से होगा बच्चों का बचाव


Pre pregnancy test: अगर आप मां बनने की प्लानिंग कर रही हैं तो आपको पहले अपनी सेहत पर खास ध्यान देने की जरूरत है। आपको यह चेक करने करने की जरूरत है आपका शरीर प्रेग्नेंसी के लिए कितना तैयार है। दरअसल, जब आप स्वस्थ होंगी तभी आपके शरीर में एक स्वस्थ बच्चे का निर्माण हो सकता है। अगर आपकी सेहत अच्छी नहीं है तो आपके बच्चे की सेहत भी प्रभावित हो सकती है। इसलिए, प्रेग्नेंसी से पहले हर जोड़े को अपने कुछ आनुवंशिक और हार्मोन टेस्ट करवाना चाहिए ताकि आप अपने होने वाले बच्चे को इन दोनों स्थितियों से बचा सकें। इस बारे में विस्तार से जानने के लिए और स्थिति को समझने के लिए हमने Dr. Veronica Arora, Consultant Clinical Genetics & Asst. Prof, Institute of Medical Genetics & genomics Sir Ganga Ram hospital, New Delhi से बात की।

गर्भधारण करने से पहले आनुवंशिक और हार्मोन टेस्ट करवाना क्यों जरूरी?

Dr. Veronica Arora, बताती हैं कि गर्भधारण से पहले टेस्ट करवाना, एक स्वस्थ गर्भावस्था की योजना बनाने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह संभावित आनुवंशिक और हार्मोनल जोखिमों की पहचान करने में मदद करता है जो प्रजनन क्षमता, गर्भावस्था के परिणाम या बच्चे के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं। यह जोड़ों को सही प्रजनन विकल्प चुनने, निवारक उपायों पर विचार करने और उपलब्ध हस्तक्षेपों का पता लगाने में मदद कर सकता है। इसके अलावा यह आपके बच्चे को भविष्य में होने वाली समस्याओं से बचा सकता है। जैसे कि

1. प्री प्रेग्नेंसी जेनेटिक टेस्ट-Genetic test

गर्भावस्था से पहले जेनेटिक टेस्ट यानी आनुवंशिक परीक्षण का मुख्य उद्देश्य यह पता लगाना है कि क्या भावी माता-पिता वंशानुगत बीमारियों के वाहक हैं जो उनके बच्चों में भी आ सकती हैं। इसके लिए माता-पिता में आनुवंशिक बीमारियों के पहचान के लिए Carrier Screening की जाती है। यह स्क्रीनिंग एक आनुवंशिक परीक्षण है जिसका उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि क्या किसी व्यक्ति में कुछ वंशानुगत विकारों, विशेष रूप से ऑटोसोमल रिसेसिव या एक्स-लिंक्ड स्थितियों के लिए जीन है। इसमें कई चीजों के बारे में पता लगाया जा सकता है जैसे कि

  • -थैलेसीमिया (अल्फा और बीटा): भारत के कई हिस्सों में होने वाला एक आम हीमोग्लोबिन विकार, जेनेटिक है और माता-पिता से बच्चों में भी जा सकता है। इसलिए इसकी जांच करवाएं।
  • -स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA): यह एक ऑटोसोमल रिसेसिव विकार जो प्रगतिशील मांसपेशियों की कमजोरी का कारण बनता है। अगर माता-पिता दोनों साथी वाहक हैं, तो बच्चे को 25% जोखिम होता है।
  • -डचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (Duchenne Muscular Dystrophy-DMD): एक एक्स-लिंक्ड विकार जो मुख्य रूप से लड़कों को प्रभावित करता है। अगर पारिवारिक इतिहास है तो इसका टेस्ट जरूर करवाएं।
  • -फ्रैजाइल एक्स सिंड्रोम (Fragile X Syndrome): इस टेस्ट को करवाना बेहद जरूरी है। यह बौद्धिक अक्षमता का कारण बनने वाली एक एक्स-लिंक्ड स्थिति है। परीक्षण पर विशेष रूप से विचार किया जाता है कहीं बच्चे में विकास संबंधी देरी या ऑटिज्म जैसी स्थिति तो नहीं होगी।

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विभिन्न वंशानुक्रम पैटर्न में 100 से अधिक आनुवंशिक स्थितियों की जांच के लिए अगली पीढ़ी के अनुक्रमण का उपयोग करता है। जबकि, Expanded Carrier Screening (ECS) व्यापक जानकारी प्रदान करता है। 

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2. प्री-प्रेग्नेंसी हार्मोनल टेस्ट-Hormonal Tests

हार्मोनल टेस्ट, प्रजनन क्षमता का आकलन करने और अंतःस्रावी स्थितियों का पता लगाने में मदद करते हैं जो गर्भावस्था के परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं। यह टेस्ट बेहद जरूरी होता है। इसमें शरीर के जरूरी हार्मोन्स के लिए टेस्टिंग की जाती है। जैसे कि

  • -थायरॉइड फंक्शन टेस्ट (TSH, FT4): हाइपोथायरायडिज्म या हाइपरथायरायडिज्म प्रजनन क्षमता और प्रारंभिक गर्भावस्था को प्रभावित कर सकता है। गर्भधारण से पहले की अवधि में TSH आदर्श रूप से <2.5 mIU/L होना चाहिए।
  • -प्रोलैक्टिन (Prolactin): बढ़ा हुआ प्रोलैक्टिन ओव्यूलेशन में बाधा डाल सकता है। इसलिए इसका भी टेस्ट करवाएं।
  • -एंटी-मुलरियन हार्मोन (AMH): प्रजनन क्षमता का आकलन करने में उपयोगी, विशेष रूप से 30 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं या अनियमित चक्र वाली महिलाओं के लिए यह टेस्ट बेहद जरूरी है।

इसके अलावा आप Follicle Stimulating Hormone (FSH) & Luteinizing Hormone (LH) के लिए टेस्ट करवा सकती हैं। आमतौर पर ओवरी के कार्य का मूल्यांकन करने के लिए पीरियड्स के 2-3 दिन पर किया जाता है।

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साथ ही विटामिन डी और बी 12 की कमी को चेक करने के लिए टेस्ट जरूरी है। इनकी कमी से गर्भधारण और गर्भावस्था के स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है। इसक अलावा माता-पिता दोनों ही प्रेग्नेंसी से पहले डायबिटीज टेस्ट जरूर करवाएं ताकि आपकी प्रेग्नेंसी में कोई दिक्कत न आए और आपका बच्चा स्वस्थ रहे। इन तमाम चीजों के अलावा आजकल पुरुषों तो एंड्रोजन खासकर कि टेस्टोस्टेरोन टेस्ट जरूर करवाना चाहिए। अगर पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS) का संदेह है तो इसके लिए भी महिलाओं को टेस्ट करवा लेना चाहिए ताकि समय पर इसका इलाज हो सके। दरअसल, पीसीओडी एक ऐसी बीमारी है जो कि महिलाओं में फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकती है।

निष्कर्ष-Conclusion:

गर्भावस्था से पहले आनुवंशिक और हार्मोनल परीक्षण जोखिम को कम करने और स्वस्थ गर्भावस्था की तैयारी में मददगार हो सकते हैं। जबकि थैलेसीमिया और स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) वाहक स्क्रीनिंग सभी जोड़ों के लिए बेहद जरूरी है। जबकि, अन्य जेनेटिक टेस्वैट कल्पिक हैं। हार्मोनल टेस्ट, प्रजनन स्वास्थ्य और किसी भी अंतर्निहित स्थिति की पहचानकर, समय से पहले इसे प्रबंधित करने में मदद कर सकता है।

FAQ

  • प्रेगनेंसी का पहला संकेत क्या है?

    प्रेग्नेंसी का पहला संकेत है पीरियड्स का न आना और शरीर में अलग-अलग तरीके से बदलाव महसूस होना। जैसे कि ब्रेस्ट में बदलाव या दर्द महसूस होना, मतली, कमजोरी और मूड स्विंग्स।
  • प्रेगनेंसी में भूख कब बढ़ती है?

    प्रेग्नेंसी में भूख दूसरी तिमाही में बढ़ सकती है। भूख पहली तिमाही और आखिरी तिमाही कम हो जाती है और कुछ महिलाओं को ज्यादा दिक्कत होती है।
  • प्रेगनेंसी के लक्षण कितने दिन में दिखते है

    फर्टिलाइजेशन के 10-14 दिन के भीतर प्रेग्नेंसी के लक्षण दिखने लगते हैं हालांकि, कुछ महिलाओं में यह लंबा समय भी ले सकता है। 

 

 

 

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