किशोरावस्था से लेकर मेनोपॉज तक महिलाओं के शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं। हार्मोन में होने वाले इन बदलावों के कारण महिलाओं को कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं कई बार महिलाएं बीमारियों का शिकार भी हो जाती है। इन्हीं बीमारियों में से एक है पीसीओएस। यह एक हार्मोनल डिसऑर्डर है, जिसके कारण महिलाओं को अनियमित पीरियड्स, पीरियड के दौरान पेट में बहुत ज्यादा दर्द होना, वजन बढ़ना, स्किन और बालों से जुड़ी समस्याएं होने लगती है। लेकिन अगर आप समय रहते पीसीओएस के बारे में पता लगा लें तो इसे बढ़ने से रोका जा सकता है। आज इस आर्टिकल में हम आपको कुछ ऐसे ही ब्लड टेस्ट के बारे में बताएंगे, जिसकी मदद से आपक आसानी से पीसीओएस होने का पता लगा सकती हैं। तो आइए राज होम्योपैथिक क्लिनिक (पुणे) की हार्मोन एवं फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉ. जैनब ताजिर ( Dr. Zainab Tajir, Hormone and Fertility Specialist, Raj Homeopathic Clinic, Pune) से जानते हैं कि पीसीओएस के लिए कौन सा ब्लड टेस्ट जरूरी है?
कौन सा ब्लड टेस्ट पीसीओएस दिखाता है?
प्रोलैक्टिन
पीसीओएस का पता लगाने में प्रोलैक्टिन ब्लड टेस्ट होता है, जिसका सामान्य स्तर 25 एनजी/एमएल से कम होना चाहिए, लेकिन अगर आपको पीसीओएस है तो इसका स्तर 25 एनजी/एमएल से ज्यादा होगा। बता दें कि हाई प्रोलैक्टिन पीसीओएस में अक्सर देखे जाने वाले हार्मोनल असंतुलन का संकेत दे सकता है।
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टीएसएच (थायरायड हार्मोन)
TSH का बढ़ा हुआ स्तर पीसीओएस होने का संकेत हो सकता है। टीएसएच का सामान्य स्तर 0.4 से 3.8 µIU/ml होता है, लेकिन अगर इसका लेवल 4 µIU/ml से अधिक है तो मतलाब आपको हाइपोथायरायडिज्म है। हाइपोथायरायडिज्म पीसीओएस के लक्षणों की नकल कर सकता है, इसलिए टीएसएच की जांच करने से थायराइड संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद मिलती है।
एलएच/एफएसएच
एलएच या एफएसएच का बढ़ा हुआ स्तर शरीर में पीसीओएस होने का संकेत हो सकता है, क्योंकि यह आपके शरीर में हार्मोनल असंतुलन को दिखाता है। सामान्य तौर पर आपके शरीर में एलएच या एफएसएच का स्तर 1.5 से कम होना चाहिए, लेकिन अगर इसका स्तर बढ़ा हुआ है यानी 1.5 से ज्यादा है तो आपको पीसीओएस हो सकता है।
SHBG (सेक्स हार्मोन-बाइंडिंग ग्लोब्युलिन)
सेक्स हार्मोन बाइंडिंग ग्लोब्युलिन का स्तर पीसीओएस के दौरान कम होना आम है, जिससे आपके शरीर में फ्री टेस्टोस्टेरोन का स्तर बढ़ जाता है। SHBG
का सामान्य स्तर 19 से 145 nmol/L होता है, लेकिन पीसीओएस होने पर यह लेवल 18 nmol/L से कम हो सकता है।
CRP (C-रिएक्टिव प्रोटीन)
शरीर में CRP का बढ़ा हुआ स्तर इंफ्लेमेशन का संकेत हो सकता है, जो अक्सर पीसीओएस से जुड़ा हुआ है। ऐसे में शरीर में CRP का सामान्य स्तर 1 mg/L से कम होता है, लेकिन पीसीओएस में इसका लेवल बढ़ जाता है।
DHEAS (डीहाइड्रोएपिएन्ड्रोस्टेरोन सल्फेट)
DHEAS का बढ़ा हुआ स्तर शरीर में हाई एंड्रोजन हार्मोन को दिखाता है, जो पीसीओएस वाली महिलाओं में सामान्य है। PCOS के मरीजों में DHEAS का स्तर 200 µg/dl से ज्यादा होता है।
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प्रोजेस्टेरोन
ल्यूटियल फेज में महिलाओं के शरीर में कम प्रोजेस्टेरोन अनियमित ओव्यूलेशन का संकेत दे सकता है, जो पीसीओएस का एक लक्षण है। इसलिए आपके शरीर में प्रोजेस्टेरोन का सामान्य स्तर ल्यूटियल फेज में 6 एनजी/एमएल से ज्यादा होना चाहिए और अगर ल्यूटियल फेज में प्रोजेस्टेरोन का स्तर 2 एनजी/एमएल से कम है तो ये पीसीओएस का संकेत है।
इंसुलिन
पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में इंसुलिन रेजिस्टेंस की समस्या आम है। ऐसे में अगर खाली पेट और खाना खाने के बाद शरीर में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ा हुआ है तो ये पीसीओएस के कारण हो सकता है।
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पीसीओएस के बारे में पता लगाने के लिए आप ये ब्लड टेस्ट करवा सकती हैं और इनमें सामान्य स्तर से बढ़े हुए लेवल के बारे में जानकर खुद को पीसीओएस होने का पता लगा सकती है।
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