Medically Reviewed by Dr Shrey Sharma

प्राणायाम के तीन चरण पूरक, कुंभक और रेचक क्‍या हैं? एक्‍सपर्ट से जानें फायदे

प्राणायाम के तीन चरण पूरक, कुंभक और रेचक, फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाते हैं, तनाव कम करते हैं और मन को शांत करते हैं। जानें ये क्या हैं? इनके फायदे और इन्हें सही तरीके से करने का तरीका।
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प्राणायाम के तीन चरण पूरक, कुंभक और रेचक क्‍या हैं? एक्‍सपर्ट से जानें फायदे

प्राणायाम के तीन मुख्‍य चरण होते हैं। पहला है पूरक (Puraka), यानी सांस को गहराई से अंदर लेना। दूसरा चरण है कुंभक (Kumbhaka), यानी सांस को कुछ क्षण रोककर रखना। तीसरा चरण है रेचक (Rechaka) यानी सांस को धीरे-धीरे बाहर छोड़ना। यह तीनों चरण मिलकर शरीर के ल‍िए फायदा पहुंचाते हैं। प्राणायाम के तीन मुख्‍य चरण पूरक, कुंभक और रेचक को योगिक श्वास (Yogic Breath) भी कहा जाता है। योगिक श्वास वह तरीका है जिसमें सांस को धीरे, गहराई से और नियंत्रित रूप से लिया और छोड़ा जाता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेड‍िस‍िन का शोध बताता है क‍ि नियंत्रित श्वास-प्रक्रिया फेफड़ों और हृदय स्‍वास्‍थ्‍य के ल‍िए फायदेमंद है, ऑक्सीजन क्षमता, मानसिक स्वास्थ्य एवं स्‍ट्रेस को कम करने में भी यह कारगर है। इस लेख में जानेंगे प्राणायाम के तीन चरण पूरक, कुंभक और रेचक शरीर के ल‍िए क्‍यों फायदेमंद हैं और उनका अभ्‍यास करने का सही तरीका क्‍या है? इस व‍िषय पर बेहतर जानकारी के ल‍िए हमने Ayurveda Expert Dr. Shrey Sharma, Ramhans Charitable Hospital, Haryana से बात की।


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पूरक, कुंभक और रेचक से शरीर को ऑक्‍सीजन म‍िलता है: Dr. Shrey Sharma

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हमारे शरीर को 3 चीजों की सबसे ज्‍यादा जरूरत होती है- ऑक्‍सीजन, पानी और न्‍यूट्र‍िशन। Dr. Shrey Sharma ने बताया क‍ि पानी और आहार, तो हमें आहार या सप्‍लीमेंट्स से म‍िल जाता है, लेक‍िन ऑक्‍सीजन के ल‍िए प्राणायाम करना जरूरी है। अगर शरीर में पर्याप्‍त ऑक्‍सीजन रहेगी, तो बॉडी में सारी प्रक्र‍ियाएं बेहतर ढंग से होंगी। शरीर की हर प्रक्र‍िया के ल‍िए ऑक्‍सीजन जरूरी है। थकान दूर करना हो, भूख लगना हो या कोई अन्‍य क्रि‍या हो, सभी के ल‍िए ऑक्‍सीजन चाह‍िए। सूर्योदय के आसपास जब पूरक, कुंभक और रेचक का अभ्‍यास करते हैं, तो शरीर में ऑक्‍सीजन लेवल बढ़ता है, ज‍िससे हार्ट और ब्रेन को ऑक्‍सीजन म‍िलता है और सेहत अच्‍छी रहती है।

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पूरक, कुंभक और रेचक कैसे करें?- How to Practice Puraka, Kumbhaka, Rechaka

  • शांत जगह पर सीधा बैठें, रीढ़ को सीधा रखें और सांसों पर फोकस करें।
  • सबसे पहले पूरक करें। 4 सेकंड तक गहरी और धीमे से सांस अंदर लें।
  • फिर कुंभक करें। 4 से 6 सेकंड तक सांस को आराम से रोककर रखें, शरीर में किसी भी प्रकार का दबाव न बनाएं।
  • अब रेचक करें। 6 से 8 सेकंड में धीरे-धीरे पूरी सांस बाहर छोड़ें।
  • इस चक्र को 10 से 12 बार दोहरा सकते हैं।
  • शुरुआत में कम समय से शुरू करें और धीरे-धीरे अवधि बढ़ाएं और रोज 15 से 20 म‍िनट अभ्‍यास करें।
  • भोजन के तुरंत बाद, बहुत गर्म मौसम में या ज्‍यादा थकान होने पर प्राणायाम न करें।
  • किसी भी मेडिकल कंडीशन में डॉक्‍टर की सलाह जरूर लें।

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पूरक, कुंभक और रेचक के फायदे- Health Benefits Of Puraka, Kumbhaka, Rechaka

पूरक, कुंभक और रेचक का अभ्यास शरीर और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए फायदेमंद माना जाता है-

  • फेफड़ों की क्षमता बढ़ाकर शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह सुधारता है।
  • थकान-कमजोर दूर होती है और शरीर की एनर्जी बढ़ती है।
  • हृदय की धड़कन कंट्रोल होती है और स्‍ट्रेस (Stress), चिंता व घबराहट कम होती है।
  • नियमित अभ्यास से ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है, नींद में सुधार होता है और इम्यून सिस्टम मजबूत होता है।

निष्कर्ष:

प्राणायाम के तीन चरण पूरक, कुंभक और रेचक, ऑक्‍सीजन लेवल को बढ़ाने, स्‍ट्रेस घटाने, फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने और शरीर को एनर्जी देने का काम करते हैं। इसे रोज 15 से 20 म‍िनट करना फायदेमंद होता है।

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  • Nov 28, 2025 13:35 IST

    Published By : Yashaswi Mathur

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