17 वर्षीय साक्षी मौर्या ने ओवेरियन ट्यूमर को हराकर बड़ी जीत हासिल की। डॉक्टर ने साक्षी का ऑपरेशन करके उसके शरीर से 4 साल पुराने ट्यूमर को अलग किया गया। आमतौर पर ट्यूमर की आशंका 30 से 40 वर्ष की उम्र में महिलाओं को सबसे ज्यादा होती है पर अब कम उम्र में भी लड़कियों में ये बीमारी तेजी से बढ़ रही है। लखनऊ की रहने वाली साक्षी बीते चार सालों से अंडाशय (ओवरी) के ट्यूमर से पीड़ित थी पर किसी भी तरह के लक्षण न होने पर उसे इसकी जानकारी नहीं मिल पाई। ओवेरियन ट्यूमर, ओवरीज में धीरे-धीरे बढ़ने वाला एक टिशू होता है जो कि मांस से ही बनता है। ये ट्यूमर कैंसर भी बन जाता है। ओवेरियन ट्यूमर होने पर मरीज को एब्डॉमिनल पेन, प्राइवेट पॉर्ट में दर्द या सूजन महसूस हो सकती है। केजीएमयू में ट्यूमर की इस जटिल सर्जरी को लखनऊ में स्थित केजीएमयू में प्रोफेसर, लखनऊ ओबीजी सोसाइटी की सेक्रेटरी और गाइनोकॉलोजिस्ट डॉ निशा सिंह ने सफल बनाया।
ट्यूमर के लक्षण समझना मुश्किल था
साक्षी ने बताया कि ट्यूमर (Tumor) का पता चलना बेहद मुश्किल था। मुझे बीते 4 सालों से ट्यूमर था पर मैं बिल्कुल सामान्य जिंदगी जी रही थी, ऐसा कोई लक्षण मुझे महसूस नहीं हुआ जिससे मुझे बीमारी की आशंका होती। पहला लक्षण मुझे बीते साल अक्टूबर में महसूस हुआ जब मुझे प्राइवेट पार्ट में सफेद पानी आने की शिकायत हुई। कुछ दिन तो मुझे ये सामान्य लगा पर जब ये परेशानी ठीक नहीं हुई तो डॉक्टर को दिखाया। डॉक्टर की दवा से पानी निकलने की समस्या बंद हो गई पर साल का अंत होने के साथ दिसंबर में तकलीफ बढ़ गई। इस बार मुझे सूजन भी महसूस होने लगी। होमियोपैथी में दिखाया तो डॉक्टर ने दवा लिखी जिससे सूजन कम हुई पर लीवर में दर्द था।
4 साल पुराने ट्यूमर का पता कैसे चला?
साक्षी ने बताया कि उन्होंने अल्ट्रासाउंड करवाया पर उसमें कुछ पता नहीं चला। जब एक्स-रे हुआ तो पता चला कि लंग्स में पानी भर रहा था। डॉक्टर ने तुरंत लखनऊ के मेडिकल कॉलेज केजीएमयू रेफर किया। वहां साक्षी को इस साल फरवरी में एडमिट किया गया। उनकी बायोप्सी हुई पर उससे कुछ पता नहीं चला फिर ब्लड टेस्ट हुआ जिसके बाद डॉक्टर ने बताया ओवेरियन ट्यूमर है। पहले एंटी-बायोटिक दी ताकि पानी सूख जाए। उसके बाद फरवरी माह के अंत में ऑपरेशन कर दिया गया। ऑपरेशन के बाद से ही साक्षी चिकित्सकों की निगरानी में है। अभी कीमोथैरेपी चल रही है ताकि कैंसर के सैल न बन जाएं। साक्षी ने बताया कि ये ट्यूमर मेरे अंदर 4 सालों से था पर इसके बारे में मुझे कभी अहसास तक नहीं हुआ इसलिए लड़कियों को छोटे-छोटे लक्षणों पर भी गौर करना चाहिए।
अब सामान्य दिनचर्या में लौट रही हैं साक्षी
साक्षी ने बताया कि ऑपरेशन के बाद अब मैं धीरे-धीरे सामान्य दिनचर्या में लौट रही हूं। डॉक्टर ने मुझे अपनी डाइट पर ध्यान देने की सलाह दी है। मैं दवाओं को स्किप नहीं होने देती। इसके साथ ही मैंने अपनी डाइट में ढेर सारे फल एड किए हैं ताकि मेरी इम्यूनिटी मजबूत रहे। इसके साथ ही मेरी डाइट में आयरन भी एड किया गया है। मैं सिविल इंजीनियरिंग पढ़ रही हूं, इसके साथ ही मैं बॉल हॉकी प्लेयर हूं उम्मीद है कि अब जल्द ही मैं फिर से अपनी टीम के साथ खेल शुरू कर सकूंगी।
ओवेरियन ट्यूमर के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Ovarian Tumor)
ओवेरियन ट्यूमर होने पर कई मरीजों को खाने में दिक्क्त होती है, कुछ लोग पेट फूलने की शिकायत लेकर डॉक्टर के पास आते हैं। पेट या निचले हिस्से में सूजन भी ओवेरियन ट्यूमर के लक्षण हो सकते हैं। इसके अलावा कॉन्स्टिपेशन, पीरियड्स में गड़बड़ी, बैक पेन या एब्डॉमिनल पेन भी ट्यूमर के लक्षण हो सकते हैं।
इसे भी पढ़ें- महिलाओं के लिए जरूरी हैं ये 5 सप्लीमेंट्स, डॉक्टर से जानें इनसे मिलने वाले फायदे और जरूरी बातें
क्यों हो जाता है ओवेरियन ट्यूमर? (Causes of Ovarian Tumor)
डॉ निशा सिंह के मुताबिक अंडाशय में कैंसर की स्थिति तब जटिल बन जाती है, जब उसके इलाज में देरी हो। लोग बीमारी का इलाज कराने के बजाए दूसरे तरीके अपनाने में लग जाते हैं। नतीजतन, समस्या गंभीर हो जाती है। इससे बचने के लिए आप जल्द से जल्द इलाज करवाएं। ओवेरियन ट्यूमर अनुवांशिक कारणों से हो सकता है, अगर आपके परिवार में किसी को है तो ये आशंका हो सकती है कि आपको ओवेरियन ट्यूमर हो। महिलाओं में ओवेरियन कैंसर होने का एक कारण इनफर्टिलिटी भी होता है हालांकि ये ठोस कारण नहीं है। एक अनुमान के चलते डॉक्टर इसे एक कारण मानते हैं।
ओवेरियन ट्यूमर का पता लगाने के लिए कौनसे टेस्ट किए जाते हैं? (Diagnosis of Ovarian Tumor)
ओवेरियन ट्यूमर का पता लगाना आसान नहीं है। ओवरीज एब्डॉमिनल कैविटी के डीप साइड में होती है इसलिए मरीज को ट्यूमर होने का अहसास नहीं होता। इसलिए आपको कुछ भी अलग महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। डॉक्टर पैल्विक एग्जाम के जरिए ओवरी में बदलाव की जांच करते हैं। जैसे-जैसे ट्यूमर का साइज बढ़ता है, ब्लैडर और रैक्टम पर प्रेशर बढ़ता है। इसके लिए डॉक्टर ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड भी कर सकते हैं। इसके अलावा पैल्विक सीटी-स्कैन, पैल्विक एमआरआई स्कैन, कैंसर एंटीजन 125 नाम का ब्लड टेस्ट भी किया जाता है। ट्यूमर का पता लगाने के लिए डॉक्टर बायोप्सी भी करते हैं। जितना जल्दी ट्यूमर का पता चलेगा, इलाज उतना आसान होगा।
इसे भी पढ़ें- पिता के स्पर्श ने फूंकी बेटी के शरीर में जान, बच्ची को कंगारू मदर केयर थेरेपी देने के लिए पिता ने छोड़ा काम
ओवेरियन ट्यूमर का इलाज क्या है? (Treatment of Ovarian Tumor)
ओवेरियर ट्यूमर का इलाज सर्जरी द्वारा ही किया जा सकता है क्योंकि ज्यादातर मरीज अर्ली स्टेज पर इलाज नहीं करवा पाते इसलिए ऑपरेशन ही आखिरी विकल्प बचता है। महिलाओं को समय रहते लक्षणों की पहचान करनी चाहिए क्योंकि अगर केस ज्यादा जटिल है तो ओवरी निकालने की जरूरत भी पड़ सकती है। अगर समय रहते ट्यूमर का पता चल जाए तो टार्गेट थैरेपी, हॉर्मोन थैरेपी या दवाओं से इसका इलाज किया जा सकता है। इसके बाद अगर कैंसर के लक्षण ट्यूमर में होते हैं को कीमोथैरेपी भी दी जाती है।
ट्यूमर का इलाज बिल्कुल संभव है पर आपको अपने शरीर के छोटे से छोटे लक्षण पर गौर करना होगा, कई बार मरीज लास्ट स्टेज पर डॉक्टर के पास पहुंचता है जब उसे ठीक करना नामुमकिन हो जाता है इसलिए समय रहते अपने लक्षणों के मुताबिक इलाज करवाएं।
Read more on Women Health in Hindi