हार्मोन थेरेपी से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

हार्मोन थेरेपी मेनोपॉज के कारण होने वाली समस्या को काफ़ी हद तक कम कर देती है, लेकिन हर उपचार के साथ कुछ जोख़िम भी जुड़े होते हैं।
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हार्मोन थेरेपी से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य


हार्मोन थेरेपी में हार्मोन का इस्तेमाल चिकित्सा उपचार में किया जाता है। हार्मोन ऐन्टैगनिस्ट के साथ उपचार भी हार्मोन चिकित्सा रूप में किया जडा सकता है। हार्मोन थेरेपी कई रोगों जैसे, कैंसर, एजिंग, सेक्स रेअस्सिग्न्मेंट, इंटेरसेक्स कंडीशन, हार्मोन की कमी के उपचार में तथा मनोवैज्ञानिक उपचार आदि के लिये की जाती है। लेकिन अधिकांश लोग हार्मोन थेरेपी के बारे में जानते ही नहीं हैं। जैसा की इसका उपयोग कई अलग-अलग अपचारों में किया जाता है, इसके फायदे के साथ-साथ कुछ दुष्परिणाम भी हो सकते हैं। तो चलिए हार्मोन थेरेपी से जुड़े तथ्यों के बारे में विस्तार से जानते हैं।   

 

हार्मोन थेरेपी

हार्मोन थेरेपी जिसे हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी या मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी के नाम से भी जाना जाता है, महिलाओं में प्रजनन क्षमता बढ़ाती है और बुढ़ापे के लक्षण को भी रोकती है, लेकिन ध्यान रहें इसके कुछ दुष्परिणाम भी हो सकते हैं। हार्मोन थेरेपी बढ़ती उम्र या मेनोपॉज सेगुज़र चुकी महिलाओं के इलाज की प्रक्रिया होती है। दरअसर महिलाओं में उम्र बढ़ने के साथ प्राकृतिक रूप से एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरॉन का स्राव कम होने लगता और तब प्रजनन क्षमता बनाये रखने व बुढ़ापे के लक्षणों को रोकने के लिए इन हार्मोनो के सेवन की सलाह दी जाती है।  

 

 

Hormone Therapy in Hindi

 

 

उम्र बढ़ने के साथ ही महिलाओं में हार्मोन के सामान्य स्तर में भी कमी आने लगती है, जिस कारण कई स्वास्थ्य समस्याएं जैसे हड्डियों के कमजोर होने और बुढ़ापे के लक्षण आदि होने लगती हैं। ऐसा नहीं है कि हर महिला को इस थेरेपी की जरूरत नहीं पड़ती है, लेकिन कई महिलाओं को तो अलग से टेस्टोस्टेरॉन लेने की सालाह दी जाती है।

 

हार्मोनों की आवश्यकता और लाभ

देखिये ऐसा नहीं है कि महिलाओं में एस्ट्रोजन तथा प्रोजेस्टेरॉन नामक हार्मोन्स का संबंध केवल प्रजनन क्षमता व प्रजनन अंगों के विकास से ही होता है। ये हार्मोन कैल्शियम तथा दूसरे लवणों की उपयोगिता, हड्डियों की मजबूती, शरीर को चुस्त-दुरुस्त बनाए रखने और गुप्तांगों को स्वस्थ बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये हार्मोन्स प्रजनन काल में यूटरस को स्वस्थ रखने के साथ-साथ निषेचन के बाद निर्मित हुए भ्रूण को यूटरस की दीवार में स्थापित होने से लेकर उसके विकास में भी महत्वपूर्ण होते हैं। उम्र बढ़ने पर या मेनोपॉज की शुरुआत के साथ ओवरी द्वारा इसका बहना धीरे-धीरे कम होने लगता है, और फिर एक समय ऐसा आता है जब इसका स्राव बिल्कुल बंद हो जाता है। इस अवस्था को ही मेनोपॉज कहा जाता है। जैसे-जैसे इसकी मात्रा कम होती जाती है, मेनोपॉज के लक्षण अभर कर आने लगते हैं और फिर इसकी कमी को पूरा करने के लिए एस्ट्रोजन दिया जाता है, ताकि इन परेशानियों से निपटा जा सके और हड्डियों को भी मजबूत बनाया रखा जा सके।

 

ये हार्मोन्स प्रजनन क्षमता तथा प्रजनन अंगों को स्वस्थ बनाये रखने के अलावा असमय बुढ़ापे के प्रभाव को भी रोकते हैं। जैसे-जैसे मेनोपॉज का समय नजदीक आता है कई महिलाओं में इसका स्राव कम होने की बजाए घटने-बढ़ने लगता है। ऐसा प्रारंभिक दिनों में पाया जाता है। जब इसका स्राव बढ़ जाता है, तो इससे संबंधित तमाम परेशानियां जैसे गर्मी लगना, चेहरा लाल हो जाना, अनियमित मासिक तथा मांसपेशियों में दर्द कम होने लगती हैं। लेकिन यदि पहले ही ऑपरेशन से आपका यूट्रस निकाला जा चुका है, तो आपको प्रोजेस्टेरोजेन की जरूरत नहीं पड़ेगी। इससे कई तरह के मेनोपॉज के लक्षण से निजात मिल जाती है। मसलन, रात में पसीना आना, योनि में जलन, त्वचा का सूखना और मूड में जल्दी-जल्दी बदलाव। हार्मोन थेरेपी टैबलेट, क्रीम, जेल और स्किन पैच आदि कई तरह से ली जा सकती है।

 

 

Hormone Therapy in Hindi

 

हो सकता हैं कैंसर का ख़तरा

जिन महिलाओं के यूटरस को किसी वजह से नहीं निकाला जाता है, उन्हें हार्मोन थेरेपी के अंतर्गत एस्ट्रोजन के साथ-साथ प्रोजेस्टेरॉन लेने की सलाह दी जाती है। ऐसा इस लिए क्योंकि केवल एस्ट्रोजन के सेवन से गर्भाशय के कैंसर होने का खतरा होता है। ऐसे में प्रोजेस्टेरॉन लेने से गर्भाशय का कैंसर होने की संभावना काफी कम हो जाती है। लेकिन, जिन महिलाओं के यूटरस को ऑपरेशन द्वारा पहले से निकाल दिया जाता है, उन्हें इसका खतरा नहीं होता है।


साइड इफेक्ट पर शोध

वीमेंस हेल्थ इनीशिएटिव नाम की एक स्टडी के अनुसार हार्मोन थेरेपी से हार्ट अटैक, स्ट्रोक, डिमेंशिया, ब्रेस्ट कैंसर व फेफड़ों व पैरों में खून जमने का आदि का ख़तरा हो सकता है। इसी के चलते कई डॉक्टरों भी हार्मोनथेरेपी कराने के पक्ष में नहीं हैं। हालांकि, पिछले दशक में हुए कुछ शोधों से कुछ ऐसे तथ्य सामने आए हैं जो कई नई बातों की तरफ इशारा करते हैं। इसमें कोई शक नहीं कि हार्मोन थेरेपी के जरिए महिलाओं को मेनोपॉज जैसी कष्टप्रद समस्या से राहत मिल जाती है, लेकिन इससे जुड़े दुष्प्रभावों का क्या।
 


उपरोक्त शोध में 63 साल की महिलाओं ने हिस्सा लिया था। इस उम्र की महिलाओं में हार्मोन थेरेपी से हार्ट अटैक और स्ट्रोक का जोख़िम अधिक होता है। हालांकि हाल में हुए शोध बताते हैं कि हार्मोन थेरेपी 60 साल से कम उम्र की महिलाओं के लिए काफी कारगर साबित हो सकती है। मसलन, अक्टूबर 2012 में बीएमजे नामक जर्नल में प्रकाशित हुई एक डैनिश शोध के अनुसार जो महिलाएं मेनोपॉज के 10 साल बाद तक हार्मोन थेरेपी लेती हैं, उनमें हार्ट अटैक या स्ट्रोक का ख़तरा बेहद कम होता है। इतना ही नहीं, इससे कैंसर का खतरा भी काफी कम हो जाता है।

 

 

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