क्या आप जानते हैं कि अच्छा खाना, मल्टीविटामिन्स लेना या हार्ट का ऑपरेशन होने के बाद भी हार्ट की बीमारियों की खतरा रहता है। ऐसे में जरुरी है कि डॉक्टर की सलाह लेते रहें। हिंदुस्तान हो या कोई अन्य देश हार्ट डिजीज को लेकर मिथक हर जगह काम करते हैं। यही वजह है कि भारत में हार्ट डिजीज के मामले बढ़ रहे हैं। हृदय रोगों के उपचार के लिए जरूरी है कि लोगों के पास सही जानकारी हो ताकि मरीज को सही उपचार मिल सके। कानपुर के हृदय रोग संस्थान में कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर अवधेश शर्मा ने ऐसे कई मिथक बताए हैं, जिन्हें लोग अक्सर मानते हैं और सही उपचार न मिलने की वजह से परेशानी गंभीर हो जाती है।
हृदय रोग से जुड़े मिथक
1. नौजवानों को हार्ट अटैक नहीं होता
लोगों का यह मानना है कि जिन लोगों की उम्र 30 से कम है, उन्हें हार्ट अटैक नहीं होता। हार्ट अटैक बुजुर्गों की बीमारी है। लेकिन सच यह नहीं है। आजकल के परिदृश्य में 30 साल के कम लोगों में भी हार्ट अटैक के मामले सामने आ रहे हैं। ये मामले उन लोगों में ज्यादा आते हैं जिनके परिवारों में हार्ट डिजीज की हिस्ट्री रही। वे युवा ज्यादा स्मोकिंग करते होंगे या तनाव ज्यादा लेते हैं तो उनमें हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है। मोटापा ज्यादा होने पर भी हार्ट अटैक होता है। ऐसा नहीं है कि हार्ट अटैक बुजुर्गों को होता है। यह नौजवानों को भी हो सकता है।
2. माइनर अटैक से भविष्य में हार्ट अटैक नहीं होता
यह भी लोगों में मिथ है कि जिन्हें एक बार माइनर हार्ट अटैक हुआ है उन्हें भविष्य में हार्ट अटैक नहीं होगा। इस पर डॉक्टर अवधेश शर्मा का कहना है कि जिन लोगों को पेट में गैस की शिकायत हुई और थोड़ी देर में ठीक हो गए। डॉक्टर उन्हें माइनर अटैक बताता है। जिसे वह इशु नहीं मानता। ऐसे में मरीज खुद को सही मान लेता है और दवा नहीं लेता। मरीज खुद पर ध्यान नहीं देता। जबिक सच यह है कि माइनर अटैक वार्मिंग साइन है भविष्य में हार्ट अटैक का। इसलिए अगर माइनर अटैक आया है तो उसे नजरअंदाज न करें।
3. हार्ट अटैक केवल पुरुषों की बीमारी है
यह महिलाओं में मिथ है कि यह बीमारी केवल पुरुषों को होती है। लेकिन सच यह है कि 40 की उम्र तक महिलाएं हार्ट अटैक से बची रहती हैं, लेकिन जैसे ही उनका मेनोपॉज वाला पीरियड शुरू होता है तब उनमें हार्ट अटैक की परेशानी बढ़ जाती है। महिलाएं घर में ज्यादा रहती हैं जिससे वे पुरुषों के मुकाबले हार्ट अटैक के ज्यादा रिस्क पर होती हैं।
4. धूम्रपान से हार्ट अटैक नहीं होता
जो लोग यह मानते हैं कि हमें कई साल हो गए धूम्रपान करते और अब छोड़ेंगे तो हार्ट अटैक से बच नहीं पाएंगे। जबकि सच यह है कि स्मोकिंग वाला व्यक्ति कभी भी स्मोकिंग छोड़े, 1 साल के भीतर उसको हृदय रोग होने की संभावना 50 फीसद कम हो जाती है।
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5. डायबिटीज के मरीजों को मेडिटेशन करने से हृदय रोग नहीं होता
डायबिटीज के मरीजों में यह मिथक है कि मेडिटेशन करने से हार्ट अटैक नहीं होता, जबकि डॉ. अवधेश शर्मा का कहना है कि डायबिटीज और मेडिटेशन का सीधा-सीधा संबंध नहीं है, लेकिन डायबिटीज के मरीज अगर मेडिटेशन करते हैं तो उससे तनाव कम होता है। मेडिटेशन से स्ट्रेस कम होता है जिसे कोई भी इंसान करे उनमें हार्ट डिजीज कम होती हैं। डॉक्टर का कहना है कि अगर किसी को डायबिटीज है तो डायबिटीज में कंप्लीकेशन होना या न होना उनके शुगर लेवल पर निर्भर करता है। अगर किसी का शुगर अनियंत्रित है तो वह कितना ही मेडिटेशन करे उसकी दिक्कत बढ़ेगी। अगर वह शुगर को नियंत्रित रखता है तो हृदय रोग कम होते हैं।
डायबिटीज और हार्ट का संबंध
डॉक्टर अवधेश शर्मा का कहना है कि डायबीटीज हार्ट के रोगों से सीधे संबंधित है। डायबिटिज में हार्ट की नसों में सूजन आने लगती है। जिससे ब्लड क्लॉटिंग बढ़ती है जिससे हार्ट अटैक की संभावना बढ़ती है। डायबिटीज के मरीजों में जो कांप्लीकेशन्स बढ़ते हैं उन्हें दो रूपों में देखा जाता है। एक माइक्रोवास्कुलेर कांप्लीकेशन। इसमें छोटी नसें इनवॉल्व होती हैं। इसमें आंखों में दिक्कत होने लगती है। आंखों की रोशनी चली जाती है।
दूसरा है, मैक्रोवास्कुलर कांप्लीकेशन्स। इसमें किडनी पर इफैक्ट पड़ता है। गुर्दे फेल होते हैं। इसमें क्लोटिंग बढ़ती है और हार्ट अटैक होता है। डायबिटीज के मरीज में जो ब्रेन हैंबरेज होता है उसकी भी संभावना ज्यादा होती है। उन मरीजों में पैरों की नसों में गैंग्रीन और अल्सर बनने की संभावना ज्यादा होती है। एक नॉर्मल पेशेंट में हार्ट अटैक की संभावना 3 से 4 गुणा कम होती है। डायबिटीज के मरीजों में हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है।
6. कोलेस्ट्रॉल की दवाएं ले रहे हैं, इसलिए चिकनाई खा सकते हैं
यह एक मिथ है। जिस पर ज्यादातर मरीज भरोसा करते हैं। डॉक्टर अवधेश शर्मा का कहना है कि कोई मरीज जो दिल का मरीज है और कोलेस्ट्रॉल की दवाएं ले रहा है। तो वह समझता है कि अब उसे कुछ नहीं होगा, क्योंकि वह दवाएं ले रहा है, जबकि सच यह है कि कोलेस्ट्रॉल की दवाएं लिवर पर प्रभाव डालती हैं। अगर आप ज्यादा कोलेस्ट्रॉल लेंगे तो उन दवाओं को खाने का कोई फायदा नहीं होगा। आपकी परेशानी ऐसी ही बनी रहेगी। ऐसे मरीजों को घी, तेल चिकनाई नहीं खानी चाहिए। हार्ट अटैक के पेशेंट को सेचुरेटेड फैट नहीं लेने चाहिए। पोलीअनसेचुरेटिड फैट का लिमिट सेवन करना है।
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7. बढ़ती उम्र में बीपी बढ़ता ही है
60 के बुजुर्गों का मानना है कि जब उम्र बढ़ती है तो बीपी बढ़ता ही है। इस पर डॉक्टर की राय है कि अनियंत्रित ब्लड प्रेशर हार्ट के लिए जरूरी फैक्टर है। जो लोग 60 साल से ऊपर के होते हैं। उनका बीपी बढ़ा हुआ है। तो वे मानते हैं कि उम्र ज्यादा है इसलिए बीपी ज्यादा आएगा ही। लेकिन यह मिथ है। उम्र के साथ ब्लड प्रेशर बढ़ता है। क्योंकि धमनियों की दीवार मोटी हो जाती है। लेकिन 140 से बीपी ऊपर और 90 से ऊपर है तो वह हाई बीपी का मरीज कहलाता है। ऐसा जरूरी नहीं है कि उम्र कितनी भी हो पर बीपी हमेशा बढ़ेगा ही। बीपी बढ़ने से हार्ट को ज्यादा पंप करना पड़ता है इसलिए हार्ट अटैक होता है। यह जरूरी नहीं है कि बढ़ती उम्र में बीपी बढ़ेगा ही।
8. हार्ट का ऑपरेशन हो जाने के बाद हार्ट अटैक नहीं होगा
ऐसा लोगों का मानना है कि जिन पेशेंट्स की एंजियोग्राफी हो गई है। तो उन्हें अब हार्ट अटैक का खतरा नहीं होगा। इस पर डॉक्टर अवधेश शर्मा का कहना है कि हार्ट में स्टंट डालकर ब्लॉकेज को ठीक कर देते हैं। लेकिन अगर मरीज परहेज नहीं करेंगे तो धमनी में दोबारा भी ब्लॉकेज हो सकता है। जिससे दोबारा हार्ट अटैक का खतरा हो सकता है।
9. शराब पीने से हार्ट अटैक नहीं होता
डॉक्टर अवधेश शर्मा का कहना है कि यह लोगों में एक बहुत बड़ा मिथ है कि शराब पीने से हार्ट अटैक नहीं होता। जबकि सच यह है कि रेड वाइन पीने से हार्ट अटैक का खतरा कम होता है। सभी तरह की ड्रिंक करने से नहीं। रेड वाइन में फ्लेवानॉइड होते हैं जो हार्ट के लिए सेहतमंद हैं। ये फ्लेवेनॉइड कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं। जो फल गाढ़े रंग के होते हैं वे हार्ट के लिए फायदेमंद होते हैं।
पुरुषों और महिलाओं के लिए जितना अमाउंट रिकमेंडेड है, उतना ही पीना चाहिए। पुरुषों के लिए 2 पैक और 1 पैक महिला के लिए अलाऊ है। उससे ज्यादा हार्ट के लिए नुकसानदायक है।
10. मल्टीविटामिन्स खाने से हार्ट की बीमारी नहीं होगी
हार्ट के पेशेंट तरह-तरह के विटामिन्स लेते हैं, जिससे उन्हें हार्ट की बीमारी नहीं होगी, ऐसा वे मानते हैं, जबकि सच यह है कि विटामिन्स बॉडी के लिए जरूरी है। लेकिन हार्ट अटैक से उनका कोई लेना देना नहीं है। लेकिन अगर आप हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाते हैं तो भी हार्ट अटैक नहीं होगा।
11. हार्ट के मरीज को काम नहीं करना चाहिए
जो हार्ट के मरीज होते हैं उनका मानना होता है कि वे काम नहीं कर सकते, जबकि यह एक मिथ है। डॉक्टर का कहना है कि हार्ट अटैक के पेशेंट को 1 महीने तक रेस्ट के लिए बोलते हैं। उसके बाद उसे काम करना चाहिए। फिर उसे नॉर्मल जिंदगी जीनी चाहिए। हार्ट का पेशेंट जितना ज्यादा एक्टिव होगा उतना वह ठीक रहेगा। उसे हफते में 5 दिन तक रोजाना 30 मिनट तक एक्सरसाइज करनी है।
भारत में हृदय रोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। ऐसे में मिथकों पर भरोसा न करें। हृदय रोग से जुड़े लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर को दिखाएं।
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