डॉक्टर अक्सर कहते हैं कि कोलेस्ट्रॉल को कम करके हार्ट अटैक के खतरे से बचा जा सकता है। हमारे शरीर में कई तरह के कोलेस्ट्रॉल होते हैं जो शरीर के लिए जरूरी हैं। हर कोलेस्ट्रॉल खराब नहीं होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कौन सा कोलेस्ट्रॉल हार्ट अटैक या दिल की बीमारियों का कारण बनता है। दूसरा हमें यह कैसे मालूम होगा कि हमारा कोलेस्ट्रॉल बढ़ गया है, और हमें जांच करानी चाहिए। तीसरा क्या कोलेस्ट्रॉल को कम करने वाली दवाओं के खाने के भी नुकसान होते हैं। इस बारे में जानने के लिए हमने बात की कानपुर के हृदय रोग संस्थान में कार्डियोलॉजी के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉक्टर अवधेश शर्मा से। कोलेस्ट्रॉल और हार्ट अटैक के खतरे के बारे में जानने से पहले हम कोलेस्ट्रॉल क्या है, इसके बारे में जान लेते हैं।
कोलेस्ट्रॉल क्या है?
कोलेस्ट्रॉल का मतलब फैट होता है। यह रक्त में पाया जाता है। फैट बॉडी के लिए जरूरी है। इससे ब्रेन की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। फैट स्टोरेज फूड की तरह काम करता है। जब कोई व्यक्ति लंबे समय तक बीमार पड़ता है और बीमारी में कुछ नहीं खा पाता तब उसकी बॉडी का फैट ही उसे ऊर्जा प्रदान करता है। फैट की वजह से ही हड्डियां मजबूत होती हैं। इससे विटामिन डी और कैल्शियम का अवशोषण अच्छा होता है। इस तरह बॉडी के लिए फैट फायदेमंद है।
फैट के नुकसान
डॉक्टर अवधेश शर्मा का कहना है कि जो हमारा नॉर्मल फूड है उसमें 60 फीसद कार्बोहाइड्रेट हम रोज लेते हैं। 30 फीसद प्रोटीन लेते हैं। 10 से 20 फीसद फैट लेते हैं। जब फिजिकली एक्टिव रहते हैं तो कार्बोहाइड्रेट प्रयोग में आ जाता है। लेकिन एक्टिविटी कम कर रहे हैं तो कार्बोहाइड्रेट लिवर में जाकर फैट में बदल जाता है और वो डिपोजिट होने लगता है। इस फैट से धमनियों में थक्के बनने लगते हैं जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ता है।
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फैट के प्रकार
सैचुरेटेड फैट
ये सैचुरेटेड फैट रूम टैंपरेचर पर गल जाते हैं। जैसे देसी घी, डालडा घी आदि। डॉक्टर अवधेश शर्मा का कहना है कि हमारी बॉडी के लिए सेचुरेटिड फैट ज्यादा हानिकारक होते हैं। ये फैट धमनियों रक्त कणिकाओं में मिलकर जमने लगता है। धमनियों में क्लॉट बना देता है। इसलिए ज्यादा सेचुरेटिड फैट का सेवन एक दिन में नहीं करना चाहिए।
पोलीअनसेचुरेटेड फैट
ये फैट रूम टेंपरेचर पर गलते नहीं हैं। जैसे रिफाइन्ड ऑयल, सरसों का तेल आदि। डॉक्टर अवधेश शर्मा का कहना है कि शरीर में अलग-अलग फॉर्म में जाकर फैट जमता है।
हाई कोलेस्ट्रॉल और हार्ट अटैक का संबंध
जब कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है तब धमनियों में सूजन आ जाती है। जब धमनियों में सूजन आती है तब उनमें क्लॉट बनने की आशंका बढ़ जाती है और उनकी सतह खुरदरी हो जाती है। जो स्मूद सतह जब खुरदरी हो जाती है तब कोलेस्ट्रॉल डिपोजिट होने लगता है और थक्के बना लेता है। जिससे ब्लड का फ्लो बाधित होता है। जब इस थक्के का ओवर स्ट्रेस बढ़ता है तो यह थक्का फट जाता है और नली ब्लॉक हो जाती है जिससे हार्ट अटैक होता है। इसलिए कार्डियोलॉजिस्ट कहते हैं कि शरीर में कोलेस्ट्रोल का लेवल कम होना चाहिए। धमनियों में सूजन निम्न कारणों से आती है।
- अनियंत्रित मधुमेह
- अनियंत्रित ब्लड प्रेशर
- ओवर स्ट्रेस
- स्मोकिंग का सेवन
कोलेस्ट्रोल के प्रकार
- लो डेंसिटी कोलेस्ट्रॉल
- टोटल कोलेस्ट्रॉल
- ट्राइग्लीसराइड कोलेस्ट्रोल
- हाई डेंसिटी लाइपोप्रोटीन कोलेस्ट्रोल
बुरा कोलेस्ट्रॉल (Bad cholesterol)
लो डेंसिटी कोलेस्ट्रॉल
लो डेंसिटी कोलेस्ट्रॉल (LDL) लो डेंसिटी की वजह से रक्त में ऊपर तैरता रहता है। जिससे क्लॉट बनने की संभावना बढ़ जाती है। एलडीएल को खराब कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है। यह शरीर में जितना ज्यादा होगा, उतना उसके शरीर में हार्ट अटैक का रिस्क बढ़ जाएगा।
सामान्य व्यक्ति में एलडीएल 100mg/dL से कम होना चाहिए। अगर किसी पेशेंट को पहले हार्ट अटैक हो चुका है या कोई पेशेंट हाई रिस्क कैटेगरी का है तो उसका कोलेस्ट्रॉल से दवाइयों से 50mg/dL से नीचे लाया जा सकता है।
टोटल कोलेस्ट्रॉल
यह शरीर में 200mg/dL से ऊपर नहीं होना चाहिए।
ट्राइग्लीसराइड कोलेस्ट्रोल
यह 150mg/dL से ज्यादा नहीं होना चाहिए। यह सभी बैड कोलेस्ट्रोल में शामिल किए जाते हैं।
अच्छा कोलेस्ट्रोल (Good cholesterol)
हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन (HDL)
ये कोलेस्ट्रॉल रुकते नहीं हैं। ये थक्के नहीं बनाते हैं। यह 40mg/dL से ज्यादा होना चाहिए। यह बॉडी के लिए अच्छा होता है। इससे हार्ट अटैक का रिस्क कम होता है।
कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण और कारण
- जिन लोगों का कोलेस्ट्रॉल ज्यादा होता है उनमें मोटापा भी ज्यादा होता है। ऐसे पेशेंट का का बीएमआई 29 से ज्यादा होता है।
- जिन महिलाओं की कमर की मोटाई 102 सेंटीमीटर और पुरुषों में 88 सेंटीमीटर होती है, उनमें भी कोलेस्ट्रॉल ज्यादा होता है।
- जो पेशेंट फिजिकल एक्टिविट कम करते हैं उनका भी कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की संभावना होती है। ऐसे लोगों को 6 महीने में एक बार कोलेस्ट्रॉल चेक कराना चाहिए।
- जिन लोगों के परिवार में हार्ट अटैक की फैमिली हिस्ट्री है, उन्हें 6 महीने में कोलेस्ट्रॉल जांच कराना चाहिए।
- जिन पेशेंट को अनियंत्रित शुगर और बीपी है उन्हें कोलेस्ट्रॉल की जांच 6 महीने में करानी चाहिए।
- 40 साल से ऊपर वाले व्यक्ति को भी 1 साल में कोलेस्ट्रॉल की जांच करानी चाहिए।
कोलेस्ट्रॉल की जांच के लिए ध्यान रखें ये बात
जो लोग कोलेस्ट्रॉस की जांच कराने जाते हैं, उन्हें करीब 8 घंटे फास्टिंग करनी चाहिए। तब कोलेस्ट्रॉल की जांच करानी चाहिए। जैसे रात भर कुछ नहीं खाया और सुबह जांच कराएं। अगर कुछ खाने के बाद कोलेस्ट्रॉल की जांच कराएंगे तो कोलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ आएगा।
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बढ़े कोलेस्ट्रॉल को कैसे नियंत्रित करें
- देसी घी, मक्खन मलाई को कम खाएं। पोलीअनस्चुरेटेड फैट का प्रयोग सीमित मात्रा में करना है। हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाएं।
- फिजिकल एक्टिविटी करते रहें। अगर एक्सरसाइज कम करते हैं तो उसे ज्यादा करें।
- शुगर और बीपी को नियंत्रित रखें।
- ऐसे मरीजों को 3 महीने तक का समय दिया जाता है। 3 महीने बाद अगर कोलेस्ट्रॉल कम हुआ तो उस मरीज को हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने की सलाह आगे भी देते हैं। अगर कोलेस्ट्रॉल कम नहीं होता है तो दवा देते हैं।
- 3 महीने बाद भी अगर किसी पेशेंट का ज्यादा आ रहा है तो उसे दवाएं दी जाती हैं। ताकि उसका कोलेस्ट्रॉल कम हो जाए। ये दवाएं लिवर में जमा फैट को रोक देती हैं। जिससे फैट का सिंथेसिस बॉडी में कम हो जाएगा और कोलेस्ट्रॉल का लेवल कम होने लगेगा।
कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवाओँ के नुकसान
- लिवर को खराब करती हैं।
- मांसपेशियों को खराब करती हैं। ऐसे मरीजों को मांसपेशियों में दर्द रहता है।
- ऐसे मरीजों का मल में ज्यादा गंध होती है और चिपचिपी होती है। जिससे पानी डालने पर वह जल्दी फ्लश नहीं होती है।
गुड कोलेस्ट्रॉल को कैसे बढ़ाएं
डॉक्टर का कहना है कि अभी तक ऐसी कोई दवा नहीं मिली है जो गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाए। ऐसे में हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाकर ही गुड कोलेस्ट्रॉल से बढ़ाया जा सकता है। साथ ही हरी सब्जियां खाने से ये बढ़ता है।
शरीर में हाई कोलेस्ट्रॉल हार्ट अटैक का कारण बनता है। इस कोलेस्ट्रॉल को कम करने वाली दवाओं के सेवन के भी नुकसान होते हैं। इसलिए कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाना चाहिए।
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