
30 की उम्र एक प्रोडक्टिव एज होती है। इस उम्र में युवा सिगरेट का सेवन कई वजहों से शुरू कर देते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिगरेट आपको दिल का रोगी बना रही है। एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) के मुताबाकि सिगरेट पीने से कोरोनरी हार्ट डिजीज का खतरा दो से चार गुणा बढ़ जाता है। एनसीबीआई पर प्रकाशित पर एक दूसरी रिपोर्ट के मुताबिक साल 1990 में कार्डियोवास्कुलर डिजीज से मौत का आंकड़ा 2.26 मिलियन से बढ़कर 2020 में 4.77 मिलियन हो गया है। मौतों के इन आंकड़ों में स्मोकिंग भी एक प्रमुख कारण है।
भारत में युवा अधिक हैं, ऐसे में युवाओं में स्मोकिंग की आदत की वजह से हृदय रोगों की संख्या भी अधिक है। लेकिन इस सबके बीच में एक सुखद खबर यह है कि अगर आप 30 के बाद भी सिगरेट छोड़ देते हैं तो हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाता है। फरीदाबाद के फोर्टिज अस्पताल में कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. संजय कुमार का कहना है कि जो युवा 30 की उम्र के बाद भी सिगरेट पीना छोड़ देते हैं उनमें हार्ट अटैक से मौत का खतरा 1 साल के अंदर उतना ही कम हो जाता है जितना कि किसी सिगरेट न पीने वाले का।
30 की उम्र और हृदय रोग का क्या संबंध?
इस सवाल के जवाब में राजकीय हृदय रोग संस्थान, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर में कार्यरत वरिष्ठ प्रोफेसर ऑफ कार्डियोलॉजी डॉ. अवधेश शर्मा ने बताया कि इस उम्र में हृदय रोगों की वजह निम्न कारण होते हैं।
हार्ट वॉल्व खराब होना
डॉक्टर शर्मा ने बताया कि भारत में युवाओं में रुमेटिक हार्ट डिजीज होना बहुत आम है। इसके बारे में उन्होंने बताया कि दिल के चार वॉल्व होते हैं।लेफ़्ट साइड में माइट्रल वाल्व और ऐरोटिक वाल्व तथा राइट साइड में ट्रायकस्पिड और पलमोनरी वाल्व होते हैं जिनके माध्यम से रक्त एक चैम्बर से दूसरे चेम्बर व फिर पूरे शरीर में जाता है। इन वॉल्व्स में रुमेटिक हार्ट डिजिज हो जाती है। यह बीमारी भारत में बहुत आम है। इसमें वॉल्व में सूजन या जाती है या वॉल्व में सिकुड़न हो जाती है। डॉक्टर कहते हैं कि पहले हार्ट अटैक जो 40 साल की उम्र के बाद देखा जाता था वो अब 20 से 40 साल की उम्र में भी मिलने लगा है।
सिगरेट छोड़ने के कितने समय बाद हृदय रोग का खतरा कम हो जाता है?
सीडीसी के मुताबिक, सिगरेट दिल और ब्लड वेसेल को खराब करती है, लेकिन इस डैमेज को सिगरेट छोड़कर जल्दी रिपेयर किया जा सकता है। यह भी देखा गया है कि जो लोग लंबे समय से सिगरेट पी रहे हैं और अगर वे उसे छोड़ देते हैं तो सिगरेट से जो डैमेज हुआ है वह 1 साल के अंदर कम होने लग जाता है। तो वहीं, 5 साल के अंदर स्मोकर्स में स्ट्रोक का खतरा कम हो जाता है। इसलिए सिगरेट को आज ही छोड़ें।
स्मोकिंग कैसे कार्डिवास्कुलर सिस्टम को नुकसान पहुंचाती है?
स्मोकिंग करने से केवल सिगरेट पीने वाला ही नुकसान में नहीं होता बल्कि नॉन स्मोकर भी उनकी वजह से हार्ट अटैक को झेलते हैं। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ऐंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक, धूम्रपान करने से शरीर की रक्त वाहिकाओं में सूजन पैदा करते हैं। इस वजह से रक्त वाहिकाएं संकुचित होती हैं, और कई कार्डियोवास्कुलर डिजीज कारण बनती हैं। तो वहीं, डॉ. संजय कुमार का कहना है कि स्मोकिंग करने से खून गाढ़ा हो जाता है और धमनियों में थक्के बनने लगते हैं और हार्ट अटैक की समस्या होती है। सीडीसी ने निम्न कारण बताए हैं।
धमनियों में रुकावट
धमनियों में रुकावट अथेरोसलेरोसिस (Atherosclerosis) के कारण होती है। जिसमें धमनियां संकुचित हो जाती हैं और कम फ्लैक्सिबल हो जाती हैं। धमनियों में प्लाक जमा हो जाता है जिस वजह से रक्त शरीर के अन्य हिस्सों में ठीक से नहीं पहुंच पाता है। स्मोकिंग करने से प्लाक का निर्माण तेज होता है और कार्डियोवास्कुलर डिजीज का कारण बढ़ता है।
कोरोनरी हार्ट डिजीज
सीडीसी के मुताबिक, धूम्रपान करने से कोरोनरी हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ जाता है। वे आर्टरी जो रक्त को दिल तक ले जाती हैं, जब उनमें रुकावट होती है या थक्के बन जाते हैं तो कोरोनरी हार्ट डिजीज होती है। सिगरेट के कैमिकल्स वेन्स और आर्टरीज में थक्के बनाने का काम करते हैं। थक्के बनने के कारण हार्ट अटैक और अचानक मौत हो सकती है।
स्ट्रोक
जो लोग स्मोक करते हैं उनमें स्ट्रोक से मृत्यु दर बढ़ जाती है। स्ट्रोक में दिमाग तक रक्त की आवाजाही बाधिक होती है और दिमाग काम करना बंद कर देता है। स्ट्रोक से मस्तिष्क से पूरी तरह खराब हो सकता है और मौत का कारण बन सकता है। जो लोग स्मोक नहीं करते हैं उनमें स्ट्रोक से मौत का खतरा स्मोकर से कम होता है।
पेरिफेरल आर्टरियल डिजीज (Peripheral Arterial Disease (PAD)
यह बीमारी तब होती है जब ब्लड वेसेल बहुत ज्यादा संकुचित हो जाती हैं और हाथ, पैर, बाजू और पंजों तक खून का प्रवाह कम हो जाता है। कोशिकाओं और उतकों में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। इस बीमारी से बचने के लिए स्मोकिंग छोड़ना एक कारगर उपाय हो सकता है।
स्मोकिंग कैसे छोड़ें?
दिल्ली विश्वविद्याल के दौलत राम कॉलेज में मनोविज्ञान पढ़ाने वाले सहायक प्रोफेसर समीर अंसारी ने तंबाकू को छोड़ने के लिए फिजियोलोजिकल और बिहेविरियल मेथेड बताए हैं। उन्होंने बताया कि धूम्रपान की लत से फायदा कुछ नहीं मिलता है ऊपर से फेफड़ों से लेकर दिल की बीमारियां होती हैं। तो ऐसे में बेहतर है कि आप इस लत को जितना जल्दी हो सकता है छोड़ दें। सीडीसी के मुताबिक सिगरेट की लत छोड़ने से 1 साल के भीतर कार्डियोवास्कुलर डिजीज का खतरा कम होने लगता है।
फिजियोलोजिकल मेथेड्स
सुबह 1 गिलास पानी और उसमें आधा नींबू का रस और शहद पीएं। इसमें विटामिन सी होता है। इससे कैंसर के एलिमेंट बाहर निकलते हैं।
खेनी या पान मसाला खाने वाले लोगों को भी यह मेथेड मदद करता है।
सौंफ, हरी इलायची, आंवला, मिश्री, लौंग को पीसकर एक मिश्रण बना लें। जब भी सिगरेट की क्रेविंग हो तब इस मिश्रण को खाएं। इसे हमेशा अपनी जेब में रखें। इसके अलावा 1 गिलास पानी और खट्टे जूस पिएं।
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बिहेविरियल मेथेड
धीरे-धीरे स्मोकिंग को छोड़ें। सबसे पहले शाम वाली तंबाकू को छोड़ें।
जिन चीजों को देखकर ट्रिगर हो सकता है उसे कम करें। उस चीज को बदल दें। जो लोग तंबाकू का सेवन करते हैं उन्हें अगर कभी अंग दान की जरूरत पड़ गई तो कोई नहीं कर सकता है।
स्मोकिंग छोड़ने के अन्य तरीके
धूम्रपान से होने वाले नुकसान को पहचानें
एक स्वस्थ व्यक्ति में धूम्रपान से उतनी बीमारियां नहीं होती हैं जितनी कि धूम्रपान करने वाले में। जब आप इसके नुकसान को समझ जाएंगे तो आप में खुद इसको छोड़ने की इच्छाशक्ति आएगी।
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स्मोकिंग चार्ट करें तैयार
स्मोकिंग चार्ट तैयार करने से आपको बहुत मदद मिलेगी। इससे आपको यह पता चलता रहेगा कि आपको सिगरेट की लत कब होती है। जब भी आपको लत लगे आप तब उसकी जगह अपनी पसंद की कोई और चीज खा लें। इससे आपकी सेहत भी बनी रहेगी और दीवार पर टंगा चार्ट आपको याद दिलाता रहेगा कि आपको सिगरेट नहीं पीनी है।
पढ़ने की आदत डालें
उन लोगों के बारे में पढ़ें जिन्होंने सिगरेट छोड़ी है। इन सफल कहानियों को पढ़कर आपको हिम्मत मिलेगी और आप आसानी से सिगरेट छोड़ पाएंगे। सिगरेट छोड़ने से आपको सिर्फ हृदय रोगों का खतरा ही कम नहीं होता है बल्कि समाज में प्रतिष्ठा भी बनती है। परिवार में सम्मान बढ़ता है।
सिगरेट छोड़ने से हृदय रोगों की आशंका बहुत कम हो जाती है। तो वहीं, कई शोधों में यह सिद्ध हुआ है कि सिगरेट छोड़ने से हार्ट अटैक का खतरा 1 साल के अंदर कम हो जाता है।
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