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क्या आप भी शिशु की देखभाल से जुड़े इन 5 मिथकों पर करते हैं भरोसा? डॉक्टर से जानें इनकी सच्चाई

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. इमरान एस पटेल ने हालही में अपने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर कर शिशु की देखभाल से जुड़े मिथक और उसकी सच्चाई क्या है इसकी जानकारी दी है।  
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क्या आप भी शिशु की देखभाल से जुड़े इन 5 मिथकों पर करते हैं भरोसा? डॉक्टर से जानें इनकी सच्चाई

Myths and Facts about Baby Care in Hindi: एक बार पेरेंट्स बनने के बाद हम हमेशा ही बच्चे की सेहत, स्किन, बीमारी और वैक्सीन के बारे में सोचते रहते हैं। जन्म के साथ ही बच्चा रो क्यों रहा है, उसने पॉटी क्यों नहीं कि, दूध के बाद बच्चों को डकार लेने में इतना वक्त क्यों लग रहा है ऐसी हजारों बातें हमारे दिमाग में चलती रहती हैं। बच्चों की छोटी-छोटी हरकतें को नोटिस करने के लिए हम कई तरह के वीडियो, आर्टिकल और दादी-नानी की बातों को सुनते हैं। लेकिन कई बार इन बातों को सुनने के बाद हमारे दिमाग में कुछ भ्रामक बाते में भी आ जाती हैं और हम बिना कुछ सोचे-समझें इसको फॉलो करने लगते हैं। आज इस आर्टिकल में हम शिशु की देखभाल से जुड़े ऐसे ही 5 मिथक और उनकी सच्चाई के बारे में बताने जा रहे हैं। 

शिशु की देखभाल से जुड़े मिथक और इनकी सच्चाई | Myths and Facts about Baby Care

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. इमरान एस पटेल ने हालही में अपने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर कर शिशु की देखभाल से जुड़े मिथक और उसकी सच्चाई क्या है इसकी जानकारी दी है।

मिथक 1- मालिश से शिशु ताकतवर बनता है।

सच्चाई - लगभग हर भारतीय घर में जन्म के साथ ही शिशु की मालिश की जाती है। लोगों का मानना है कि मालिश करने से बच्चों की मांसपेशियां और हड्डियां मजबूत होती हैं। जबकि ऐसा नहीं हो सकता है। डॉक्टर इमरान का कहना है कि मालिश करने से शिशु की स्किन ज्यादा सेंसिटिव हो जाती है। इसकी वजह से शिशु को त्वचा संबंधी एलर्जी का खतरा रहता है। डॉक्टर की मानें तो न्यू पेरेंट्स को शिशु की मालिश करने से बचना चाहिए।

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मिथक 2- शिशु को काजल लगाने से आंखें बड़ी हो जाती हैं।

सच्चाई - ज्यादातर भारतीय घरों में नवजात शिशु की आंखों को मोटे-मोटे काजल से भरा जाता है। लोगों का मानना है कि काजल लगाने से बच्चे की आंखें बड़ी हो जाती हैं। साथ ही काजल आंखों की गंदगी को भी साफ करता है। लेकिन डॉ. इमरान का कहना है कि काजल लगाने से शिशु की आंखों पर किसी तरह का असर नहीं होता है। शिशु की आंखों का आकार और साइज उसके जींस पर ही निर्भर करता है। बच्‍चे की आंखें वैसी ही रहती हैं, जैसी उसके मां-बाप की आंखें होती हैं।

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मिथक 3- दांत होने के बाद शिशु को टूथपेस्ट और ब्रश देना चाहिए।

सच्चाई - डॉ. इमरान का कहना है कि कुछ पेरेंट्स शिशु के दांत निकलते ही उसे टूथपेस्ट और ब्रश देते हैं, लेकिन ऐसा बिल्कुल ही गलत है। शिशु को तीन साल की उम्र के बाद से टूथपेस्ट और ब्रश का इस्तेमाल करना चाहिए। डॉक्टर की मानें तो शिशु को अगर सादे पानी में ब्रश डालकर उससे दांत साफ करें तो भी यह उनके लिए फायदेमंद है।

 
 
 
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मिथक 4- 4 या 5 महीने के बाद शिशु को ठोस देना चाहिए।

सच्चाई - जन्म के बाद जब शिशु का वजन और मोटापा नहीं बढ़ता है तो पेरेंट्स उसे चौथे या पांचवें महीने से ही ठोस आहार देने लगते हैं। डॉक्टर की मानें तो 6 महीने से पहले बच्चे को किसी भी तरह का ठोस आहार नहीं देना चाहिए। 6 महीने के बाद शिशु को दूध के साथ दलिया, खिचड़ी और ऐसी चीजें देनी चाहिए, ताकि शिशु को सही मात्रा में पोषक तत्व देने चाहिए।

मिथक 5 - वॉकर शिशु को चलना सीखने में मदद करते हैं।

सच्चाई - शिशु तेजी से चलना सीख जाए इसके लिए पेरेंट्स उसे बेबी वॉकर में डाल देते हैं। डॉक्टर की मानें तो शिशु को बेबी वॉकर में चलना सीखना गलत है। वॉकर के कारण आपके बच्चे के नाजुक मांसपेशियों को नुकसान पहुंचा सकता है। बच्चे को चलना सिखाने के लिए उसकी उंगलियों को पकड़कर चलाएं।

उम्मीद करते हैं इन मिथकों और सच्चाई जानने के बाद आप शिशु की देखभाल सही तरीके से कर सकेंगे।

All Image Credit: Freepik.com

 

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