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शिशु की नाजुक स्किन को लेकर पीढ़ियों से सुनी जा रही ये 5 बातें हैं मिथक, जानें इसकी सच्चाई

आज इस लेख में मैं आपको बेबी स्किन से जुड़े 5 मिथक और उनकी सच्चाई बताने जा रही हूं। इस विषय पर ज्यादा जानकारी के लिए मैंने हैदराबाद स्थित बालाजी चिल्ड्रन हॉस्पिटल में बतौर में कंसलटेंट पीडियाट्रिशियन डॉक्टर संदीप बेलपत्रे से बात की।
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शिशु की नाजुक स्किन को लेकर पीढ़ियों से सुनी जा रही ये 5 बातें हैं मिथक, जानें इसकी सच्चाई

Myths and Facts about Baby Skin: मां बनना हर महिला के जीवन का सबसे सुखद एहसास होता है। मां बनने के बाद एक औरत वो सब कुछ सीखती है, जिसके बारे में उसने कल्पना भी नहीं की थी। आज से लगभग 1 साल पहले जब मैं मां बनी,  तब मैंने भी बहुत सीखा और जाना। जब मेरे बेटे का जन्म हुआ तो लोगों ने कई तरह की सलाह दीं। जब मैंने इन सलाहों  को फॉलो करना शुरू किया, तो मानसिक तौर पर परेशान हो गई। मैं समझ नहीं पा रही थी कि आखिर किस पर भरोसा करूं और किस पर नहीं। बच्चे की नाभि से लेकर उसकी स्किन  तक मुझे इनके बारे में कई तरह की सलाह मिली, , जो सिर्फ मिथक थीं। आज इस लेख में मैं आपको बेबी स्किन से जुड़े 5 मिथक और उनकी सच्चाई बताने जा रही हूं। इस विषय पर ज्यादा जानकारी के लिए मैंने हैदराबाद स्थित बालाजी चिल्ड्रन हॉस्पिटल में बतौर कंसलटेंट पीडियाट्रिशियन डॉक्टर संदीप बेलपत्रे से बात की।

मिथक : नवजात शिशुओं के लिए तेल मालिश जरूरी है।

सच्चाई: डॉ. बेलपत्रे का कहना है कि नवजात शिशु की तेल मालिश का मूल उद्देश्य बच्चे की त्वचा को नमी देना होता है। पुराने समय में घर के बुजुर्ग बच्चों की तेल मालिश इसलिए करने के लिए कहते थे, ताकि बच्चे की त्वचा ड्राई और खुरदरी न हो। लेकिन,तेल मालिश हर बच्चे के लिए उपयुक्त नहीं हो सकती है, खासकर अगर उन्हें वंशानुगत एक्जिमा है या मौसम बहुत गर्म है। दरअसल, जन्म के तुरंत बाद बच्चे की पसीने की ग्रंथियां विकसित नहीं होती हैं। ऐसे में जब आप बच्चे को तेल लगाते हैं, तो घमौरियों और स्किन इंफेक्शन का खतरा ज्यादा होता है। ऐसे में आप अपने बच्चे की त्वचा को पोषण देने के लिए, मॉइस्चर बेबी लोशन और क्रीम का इस्तेमाल कर सकते हैं।

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मिथक: बच्चों की स्किन पर बेसन से स्क्रब करना चाहिए।

सच्चाई: डॉक्टर का कहना है कि यह व्यापक रूप से माना जाता है कि जब बेसन को बच्चे की त्वचा पर रगड़ा जाता है, तो बच्चे के शरीर के बारीक बालों से छुटकारा मिल जाता है। लेकिन, ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां बेसन लगाने  से बच्चों को स्किन प्रॉब्लम हो गई। हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो बच्चे की स्किन पर ज्यादा बेसन लगाया जाए, तो यह स्किन डैमेज और लालिमा का कारण बन सकता है। जहां तक बात शरीर पर उगे हुए बालों की करें, तो अधिकांश शिशुओं के शरीर पर बाल पतले होते हैं, जो खुद-ब-खुद झड़ जाते हैं।

मिथक: संक्रमण के लिए एंटी-सेप्टिक का प्रयोग करना चाहिए।

सच्चाई: गर्मी, धूल या किसी अन्य कारणों से अगर बच्चों की स्किन पर किसी तरह का संक्रमण हो गया है, तो इस पर एंटी-सेप्टिक का प्रयोग करना चाहिए। लेकिन, यह धारणा बिल्कुल गलत है। ओवर-द-काउंटर एंटी-सेप्टिक्स शिशुओं में त्वचा की जलन का सबसे आम कारण है। शिशु को संक्रमण न हो, इसके लिए संक्रमण को साबुन और पानी से धोना पर्याप्त है।

मिथक: डायपर से रैशेज हो जाते हैं।

सच्चाई: हमने अक्सर अपनी दादी-नानी को बच्चे को डायपर पहनाने के लिए नई मां को डांटते हुए सुना है। मेरी मॉम  भी मुझे  बेबी को डायपर पहनाने के लिए बहुत डांटती हैं। वो अक्सर कहती हैं कि डायपर पहनाने से बच्चे को रैशेज हो जाते हैं। लेकिन, डॉक्टर का कहना है कि सिर्फ डायपर पहनाने से शिशुओं को रैशेज की प्रॉब्लम नहीं होती है। बच्चों को लंबे समय तक एक ही डायपर पहनाए रखने, सही साइज का डायपर न चुनने और सही क्रीम का इस्तेमाल न करने की वजह से रैशेज की प्रॉब्लम होती है। बच्चे की साफ और स्वस्थ त्वचा के लिए हर 3-4 घंटे में डायपर बदलने की सलाह दी जाती है।

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मिथक : बच्चों को दूध से नहलाना चाहिए।

सच्चाई: बहुत से घरों में आज भी ऐसा माना जाता है कि नवजात शिशुओं को अगर दूध से नहलाया जाए, तो यह उनकी स्किन पर अच्छा प्रभाव पड़ता  है। लेकिन, ऐसा नहीं है। नवजात शिशुओं को दूध से नहलाया जाए, तो यह इंफेक्शन का कारण हो सकता है। इसके अलावा, दूध से नहाए बच्चे के आसपास मक्खी और मच्छर ज्यादा पनपते हैं, ऐसे में संक्रमण फैलने का खतरा भी ज्यादा होता है।

All Image Credit: Freepik.com

 

 

 

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