आपने अक्सर कहते सुना होगा कि जब तक यह सांसे हैं तब तक हमारा जीवन है। इस बात में कोई शक नहीं है कि इन सांसों पर जीवन टिका है। लेकिन वातावरण में स्मॉग के चलते यह जीवन संकट में आ गया है। पोल्यूशन और फॉग से बना यह स्मॉग सेहत के लिए बहुत हानिकारक है। इसके कारण बच्चे, बूढ़े और व्यस्क तीनों को काफी समस्या का सामना उठाना पड़ सकता है। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि बच्चे, बूढ़े और व्यस्कों को स्मॉग कैसे हानि पहुंचा सकता है। साथ ही जानेंगे कि इससे किन तरीकों से बचा सकता है। बता दें कि इसके लिए हमने डॉ सोनिया लाल गुप्ता, निदेशक और वरिष्ठ सलाहकार - मेट्रो सेंटर ऑफ़ न्यूरोसाइंसेस से भी बात की हैं। पढ़ते हैं आगे...
स्मॉग का मुख्य कारण
स्मॉग का मुख्य कारण गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ, डीजल, पराली यानी फसल के बाद खेत में बचा अवशेष जिसे जलाया जाता है, उसका धुंआ और कारखानों से निकलने वाला धुंआ एक बड़ा कारण है। यह स्मॉग हवा को प्रदूषित कर रहा है। बता दें कि हवा के बहाव के रुक जाने के कारण यह धुंध के रूप में पर्यावरण में छा जाता है और जब ये सांस, आंख आदि के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है तो अनेक परेशानियां का सामना करना पड़ता है। यह बदलाव निम्न प्रकार हैं-
- बाल झड़ना,
- सांस लेने में दिक्कत,
- आंखों में एलर्जी,
- नाक कान और गले की समस्या,
- खांसी होना
बच्चों पर स्मॉग का प्रभाव
स्मॉग से बच्चों के जीवन को बहुत खतरा है। वे इसकी चपेट में सबसे जल्दी आ जाते हैं। इसका कारण है इम्यूनिटी का कमजोर होना। इस उम्र में बच्चों की इम्युनिटी पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाती है। बता दें कि जिन बच्चों की उम्र 5 साल से कम होती है उन्हें निम्न समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
बच्चों के लिए स्मॉग से रिस्क
- खांसी आना,
- जुकाम होना,
- सांस फूलना,
- सुस्ती आना
बच्चों की डाइट हो ऐसी
ऐसे बच्चों की डाइट का ख्याल रखना बेहद जरूरी है। इन बच्चों की डाइट में विटामिन सी- आंवला, नींबू, मौसमी फल व सब्जियां आदि को जरूर जोड़ें। इससे उनके इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूती मिलेगी।
कुछ जरूरी बातें
इन बच्चों के लिए इंडोर गेम्स एक अच्छा विकल्प हैं। स्मॉग में आउटडोर गेम्स के लिए बच्चों को बाहर नहीं भेजना चाहिए। खासकर ट्रैफिक वाली जगह या मार्केट में इन बच्चों को दूर रखें।
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व्यस्कों के लिए स्मॉग का प्रभाव
इस उम्र के लोग घर कम बैठते हैं। उन्हें काम, नौकरी या घर की जिम्मेदारी के लिए बाहर निकलना ही पड़ता है। ऐसे में कुछ लोग फील्ड की जॉब में व्यस्त हो जाते हैं तो कुछ धूल और पोल्यूशन के संबंध में बार-बार आते हैं। इस कारण इन्हें सांस या आंख संबंधित बीमारियां होने का खतरा ज्यादा रहता है।
व्यस्कों के लिए रिस्क
- खांसी आना,
- सांस की समस्या होना,
- फर्टिलिटी की समस्या होना,
- हाईटेक आना,
- बाल झड़ना,
- आंखों की समस्या होना
वयस्कों के लिए जरूरी डाइट
- इन लोगों को अपनी डाइट में विटामिन सी के साथ-साथ संतरे, मौसमी आदि फलों को जरूर जोड़ना चाहिए।
- इसके अलावा हरी सब्जियां और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर फल को अपनी डाइट में जोड़ें।
- अपनी डाइट में विटामिन ए के लिए गाजर, पालक और विटामिन ई के लिए बदाम, अखरोट आदि को जोड़ें।
- पानी की मात्रा को कम ना होने दें।
कुछ जरूरी बातें
- घर से बाहर निकलने से पहले मास्क का प्रयोग करें। इससे डस्ट पार्टिकल्स शरीर के अंदर नहीं जाएंगे।
- जब भी घर से बाहर जाएं तो पानी पीकर जाएं। इससे शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई सही रहेगी और वातावरण में मौजूद जहरीली गैसें किसी भी रूप में शरीर में प्रवेश नहीं करेंगी।
- अपनी त्वचा में नमी बनाए रखें। कभी-कभी त्वचा रूखी होती है तो कई किस्म की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में अपने पास मॉयस्चराइजर रखें।
- बाहर से जब भी घर पर आएं तो एक बार चेहरा जरूर धोएं। ऐसा करने से चेहरे पर मौजूद धूल के कर्ण साफ हो जाएंगे और वे शरीर में प्रवेश नहीं कर पाएंगे।
- अपने घर में पेड़ पौधे पर धूल मिट्टी ना जाने दें।
- घर या ऑफिस में धूप अगरबत्ती या कैंडल का प्रयोग ना करें।
- अगर आप कुछ ही दूरी पर जा रहे हैं तो कार या अन्य व्हीकल का प्रयोग न करें। जितना हो सके पब्लिक ट्रांसपोर्ट से सफर करें। साथ ही अपने वाहन की रेगुलर सर्विसिंग भी कराएं।
- अगर आपको अपने आसपास कहीं धूल दिख रही है तो पानी का छिड़काव करते रहें।
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बुजुर्गों के लिए स्मॉग का प्रभाव
जैसे-जैसे उम्र 50 तक पहुंच जा सकती है। शरीर का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। इस उम्र में विशेष देखभाल की जरूरत होती है। ऐसे में बुजुगों को निम्न परेशानियों का करना पड़ सकता है।
बुजुर्गों के लिए रिस्क
- निमोनिया का खतरा,
- सांस लेने की समस्या,
- दिल में संबंधित समस्या,
- लीवर कमजोर होना
बुजुर्गों के लिए जरूरी डाइट
इस उम्र में व्यक्ति को अपने खानपाने के लिए डायटिशियन की मदद लेनी चाहिए। डायटिशियन आपको अच्छे से समजा पाएगा कि किस बीमारी के लिए कौन सा आहार लेना सही रहेगा।
कुछ जरूरी बातें-
- सर्दी में बाहर निकलने से पहले मास्क का प्रयोग जरूर करें।
- इस मौसम में ज्यादा एक्सरसाइज करना सही नहीं है। खासकर स्मॉग में सुबह बाहर जॉगिंग या वॉक करने से वे शरीर में आसानी से प्रवेश कर सकता है। ऐसे में घर पर ही रहकर योग कर सकते हैं।
- अगर बाहर ज्यादा प्रदूषण है तो अपने घर पर ही रहें।
- सुबह-सुबह घर से बाहर निकलने से अच्छा है धूप का इंतजार करें।
गर्भवती स्त्रियों के लिए स्मॉग का प्रभाव
बता दें कि स्मॉग से गर्भवती स्त्रियों को काफी खतरा हो सकता है-
- गर्भवती स्त्रियां जल्दी तनाव या बेचैनी का शिकार हो जाती हैं इसका कारण है इम्यूनिटी सिस्टम का कमजोर हो जाना।
- प्रदूषण के चलते गर्भवती स्त्रियों में यूरिन इन्फेक्शन और सांस लेने में परेशानी ज्यादा देखी जाती है ऐसे में अगर स्त्रियां अस्थमा की मरीज हैं तो हालत और ज्यादा खराब हो जाती है।
आंखों की समस्या
स्मॉग के चलते आंखों की समस्या का ज्यादा सामना करना पड़ता है। इसकी वजह से आंखों में जलन, खुजली, पानी की समस्या होने लगती है। ऐसे में नीचे दिए बातों का ध्यान रखें-
- बाहर निकलते वक्त सनग्लासेस का प्रयोग करें। यह आपको प्रदूषण से बचा सकता है।
- जब भी बाहर से आएं तो आंखों को ठंडे पानी से धोएं।
- किसी स्पेशलिस्ट से आई ड्रॉप लें और उसे नियमित रूप से डालें। इससे आपकी आंखें साफ रहेंगी।
- आपने देखा होगा कि कुछ लोगों की आंखों में धूल का कर्ण चला जाता है तो वे आंखों को रगड़ना शुरू कर देते हैं। ऐसी भूल ना करें। इससे आंखों को हानि पहुंच सकती है।
- अपनी डाइट में गाजर, सब्जियां, बदाम, पपीता, अखरोट, मछली, हरी पत्तेदार सब्जियां आदि को जोड़ें। इससे आंखों की सेहत अच्छी रहेगी।
(ये लेख डॉ सोनिया लाल गुप्ता, निदेशक और वरिष्ठ सलाहकार - मेट्रो सेंटर ऑफ़ न्यूरोसाइंसेस से बातचीत पर आधारित है।)
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