
मोतियाबिंद एक ऐसी बीमारी है, जिसे हम अक्सर बुजुर्गों से जोड़कर देखते हैं। माना जाता है कि यह बढ़ती उम्र की बीमारी है। ज्यादातर बुजुर्गों को यह समस्या हो जाती है। यह एक तरह की मेडिकल कंडीशन है, जिसका इलाज मौजूद है। लेकिन, क्या कभी आपने सुना है कि शिशुओं को भी मोतियाबिंद हो सकता है? जी, हां! यह सच है कि शिशुओं को भी मोतियाबिंद हो सकता है। हालांकि, इसके पीछे कई तरह के कारक जिम्मेदार हैं। इस लेख में हम आपको यही बताएंगे कि आखिर बच्चों को मोतियाबिंद होना कितना सामान्य है और इसके लक्षण, कारण तथा इलाज कैसे संभव है? इस संबंध में हमने आई-क्यू सुपरस्पेशिलिटी हॉस्पिटल्स के मुख्य चिकित्सा निदेशक डॉ. अजय शर्मा से विस्तार से बातचीत की।
क्या शिशुओं में मोतियाबिंद होना सामान्य है?- Is It Normal For Babies To Have Cataracts In Hindi

हालांकि, यह सच है कि मोतियाबिंद बुजुर्गों में होने वाली बीमारी है। लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि छोटे बच्चों को यह बीमारी नहीं हो सकती है। इस संबंध में डॉ. अजय शर्मा का कहना है, ‘अक्सर मोतियाबिंद शब्द बोलते ही हमारे दिमाग में एक ऐसी छवि बनती है, जिसमें एक बुजुर्ग व्यक्ति मोटे काले चश्मे पहने हुए है। मगर इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि छोटे बच्चों को भी यह बीमारी हो सकती है। वैसे यह बहुत सामान्य नहीं है। लेकिन, सही समय पर इसका इलाज न किया जाए, तो बच्चे की आंखों की रोशनी का विकास प्रभावित हो सकता है।
इसे भी पढ़ें: आंखों में दिखें ये 5 संकेत, तो हो सकते हैं मोतियाबिंद के लक्षण
शिशुओं में मोतियाबिंद होने का क्या मतलब है?- Cataract In Babies In Hindi
जैसा कि आपको स्पष्ट होगा कि मोतियाबिंद एक आंखों से जुड़ी मेडिकल कंडीशन है। यह बीमारी होने पर व्यक्ति की आंखों रोशनी धुंधली होने लगती है, क्योंकि आंखों की नेचुरल लेंस खराब हो रही होती है। आमतौर पर बढ़ती उम्र के आंखों की रोशनी धुंधली हो जाती है, इसलिए इसे बुजुर्गों की बीमारी कहा जाता है। छोटे बच्चों में यह बहुत रेयर यानी दुर्लभ ही नजर आती है। डॉ. अजय आंकड़ा बताते हैं 1000 में से महज 1 से 6 बच्चों को मोतियाबिंद होने का जोखिम रहता है।
इसे भी पढ़ें: नवजात शिशुओं को हो सकती हैं आंखों से जुड़ी ये 5 समस्याएं, जानें लक्षण और बचाव के तरीके
शिशुओं में मोतियाबिंद होने का कारण- Causes Of Cataract In Babies In Hindi
शिशुओं में मोतियाबिंद होने के पीछे कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं, जैसे-
- शिशुओं में मोतियाबिंद होने का सबसे मुख्य कारण है कि अनुवांशिक है। इसका मतलब है कि अगर परिवार में पहले किसी को यह बीमारी रही है, तो शिशु को भी यह समस्या हो सकती है।
- अगर किसी महिला को प्रेग्नेंसी के दौरान अंतर्गर्भाशयी संक्रमण हुआ है, तब भी बच्चे में मोतियाबिंद को जोखिम बढ़ सकता है। संक्रमण, जैसे कि सिफलिस, रुबेला आदि गर्भ में पल रहे शिशु की आंखों की नेचुरल लेंस को प्रभावित कर सकती हैं।
- मेटाबॉलिजक डिस्ऑर्डर, जैसे कि गैलेक्टोसिमिया भी जन्मजात मोतियाबिंद होने का कारण बन सकता है। वहीं, अगर प्रसव के दौरान शिशु की आंखों को किसी तरह का चोट लगा हो, तो भी मोतियाबिंद होने रिस्क बढ़ जाता है।
इसे भी पढ़ें: नवजात शिशु में आंखों से जुड़ी इन समस्याओं को न करें नजरअंदाज, बढ़ सकती है दिक्कत
शिशुओं में मोतियाबिंद होने का लक्षण- Symptoms Of Cataract In Babies In Hindi
- आंखों की पुतलियों का ग्रे होना, जैसे पुतलियों में बादल छाए हुए हैं
- शिशु का हिलती चीजों को देखने के बावूजद प्रतिक्रिया न करना
- रैपिड आई मूवमेंट करना
- लाइट के प्रति शिशु के आंखों की सेंसिटिविटी का बढ़ना
शिशुओं में मोतियाबिंद का इलाज- How Do You Treat Cataracts In Babies In Hindi

शिशुओं में मोतियाबिंद का इलाज करने के लिए कई तरह के उपाय अपनाए जाते हैं, जैसे-
- शिशु के आंखों की सर्जरी की मदद से क्लाउडी लेंस को रिमूव किया जाता है। सर्जरी में असली लेंस के बजाय आर्टिफिशियल लेंस लगाए जाते हैं। हालांकि, शिशु में मोतियाबिंद का किस तरह की सर्जरी होगी, यह निर्णय डॉक्टर खुद लेते हैं।
- जैसे ही शिशु में मोतियाबिंद का पता चलता है, डॉक्टर जल्द से जल्द सर्जरी करने को महत्व देते हैं, ताकि बच्चे की आंखों की रोशनी स्थाई रूप से खत्म न हो।
- सर्जरी के बाद भी बच्चे को काफी केयर की जरूरती है। इस संबंध में डॉक्टर पेरेंट्स को जो सलाह और सावधानियों के बारे में पेरेंट्स को बताते हैं, उन्हें उसे जरूर फॉलो करना चाहिए।
- सर्जरी के बाद नियमित रूप से डॉक्टर के पास रेगुलर चेकअप के लिए जाना न भूलें।
All Image Credit: Freepik
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version