Cataracts in Young People know the risk and management tips: मोतियाबिंद यानी कैटरैक्ट को आमतौर पर बुजुर्गों की बीमारी माना जाता रहा है। लेकिन पिछले कुछ दिनों में स्क्रीन टाइम, लाइफस्टाइल और खानपान के कारण युवाओं में मोतियाबिंद के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। 20 से 40 वर्ष की उम्र के लोगों में मोतियाबिंद के मामलों में बढ़ोतरी डॉक्टरों को विशेषतौर पर हैरान कर रही है। मोतियाबिंद न सिर्फ देखने की क्षमता को प्रभावित करती है, बल्कि युवाओं के रोजमर्रा की कामों को भी करने की परेशानी को बढ़ाती है।
जिस तरह से युवाओं में मोतियाबिंद के मामले बढ़ रहे हैं, ऐसे में ये जानना जरूरी है कि इस बीमारी का कारण क्या है और इससे बचाव के लिए युवाओं को क्या-क्या कदम उठाने चाहिए। इस लेख में हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे।
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मोतियाबिंद क्या है- What is cataract?
आई 7 हॉस्पिटल्स लाजपत नगर एवं विजन आई क्लिनिक के रेटिना सर्जन और वरिष्ठ मोतियाबिंद एक्सपर्ट डॉ. पवन गुप्ता (Dr. Pawan Gupta, Senior Cataract & Retina Surgeon Eye 7 Hospitals Lajpat Nagar & Vision eye clinic new delhI) के अनुसार, मोतियाबिंद एक ऐसी स्थिति है, जिसमें आंख के लेंस (lens) में धुंधलापन आ जाता है। जब यह लेंस धुंधला हो जाता है, तो व्यक्ति को दिखाई देने में परेशानी और धुंधली आंखों की परेशानी होती है।
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युवाओं में मोतियाबिंद के बढ़ते मामलों का कारण- Reasons behind rising cases of cataract among youth
डॉ. पवन गुप्ता कहते हैं कि युवाओं में मोतियाबिंद के मामले बढ़ने के पीछे सबसे बड़ा कारण है स्क्रीन देखना। आज के समय में ज्यादातर युवा सुबह आंख खोलने के बाद से लेकर रात को सोने से पहले तक लगातार मोबाइल देखते रहते हैं। जिसका सीधा असर आंखों के लेंस पर पड़ता है। आइए जानते हैं किन कारणों से युवाओं में मोतियाबिंद के मामले बढ़ रहे हैं।
1. डिजिटल स्क्रीन का इस्तेमाल
आज का युवा वर्ग दिन का अधिकतम समय मोबाइल, लैपटॉप और टीवी स्क्रीन पर बिता रहा है। लगातार स्क्रीन देखने से आंखों पर तनाव पड़ता है, जिससे समय से पहले आंखों की कोशिकाएं डैमेज हो जाती हैं। इससे मोतियाबिंद होने की संभावना 70 प्रतिशत से ज्यादा तक बढ़ जाती है।
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2. डायबिटीज
तेल, चीनी, जंक और प्रोसेस्ड फूड खाने की वजह से युवाओं में डायबिटीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। आई हेल्थ एक्सपर्ट की मानें, तो डायबिटीज का जितना असर शरीर पर होता है, उससे कहीं ज्यादा आंखों पर पड़ता है। डायबिटीज के कारण डायबेटिक कैटरैक्ट (diabetic cataract) का खतरा कई गुणा बढ़ जाता है।
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3. यूवाइटिस
इस स्थिति को आंख में पुरानी सूजन के रूप में देखा जाता है और यह सूजन अपने आप में ही मोतियाबिंद का कारण बन सकती है। यूवाइटिस में आंख की "यूविया" (Uvea) नामक हिस्से में सूजन आ जाती है। यूवाइटिस का इलाज अगर समय पर न किया जाए तो ये धुंधली आंख और पूरी तरह से दृष्टिहीन होने के खतरे को बढ़ा देती है।
4. स्टेरॉयड का सेवन
खेलों में परफॉर्मेंस बढ़ाने, त्वचा से जुड़ी बीमारियों को दूर करने के लिए अक्सर लोग स्टेरॉयड का सेवन करते हैं। डॉक्टर का कहना है, हमने देखा है कि इनमें से कुछ युवा जो प्रोटीन शेक या प्रोटीन पाउडर ले रहे हैं, उनमें स्टेरॉयड का कुछ संदूषण हो सकता है। बिना डॉक्टरी सलाह के स्टेरॉयड का सेवन किया जाए तो ये मोतियाबिंद का कारण बन सकता है।
5. आंख की सर्जरी
यदि किसी व्यक्ति की आंख की सर्जरी हुई है, तो संभावना है कि उसे कम उम्र में मोतियाबिंद हो सकता है। इसके अलावा अगर आंखों में किसी कारणवश चोट लगी हो, तो आंखों के लेंस को नुकसान पहुंच सकता है जिससे कम उम्र में भी मोतियाबिंद जैसी बीमारी हो सकती है।
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युवाओं में मोतियाबिंद के लक्षण-Symptoms of Cataract in Youth
डॉ. पवन गुप्ता के अनुसार, युवाओं में मोतियाबिंद होने पर कई प्रकार के लक्षण नजर आते हैं। जिसमें शामिल हैः
- दृष्टि धुंधली हो जाना
- रोशनी के चारों तरफ घेरे नजर आना
- रात में देख पाने में परेशानी होना
- रंगों का फीका दिखाई देना
- बार-बार चश्मे का नंबर बदलना
- एक आंख से दोहरा दिखाई देना
- अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण स्वयं में नजर आता है, तो इस विषय पर डॉक्टर से बात करें और इसका इलाज शुरू करवाएं।
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मोतियाबिंद से बचाव के लिए क्या करें- What to do to prevent cataract
ओनलीमायहेल्थ के साथ खास बातचीत के दौरान डॉ. पवन बताते हैं मोतियाबिंद आंखों से जुड़ी एक ऐसी बीमारी है, जिसको अगर समय रहते पहचान लिया जाए और इसका इलाज करवा लिया जाए, तो दृष्टि को खोने से बचा जा सकता है।
- हर 6 से 12 महीने में एक बार आंखों की जांच जरूर करवाएं। इससे आंखों में होने वाली किसी भी परेशानी को समय पर पहचाना जा सकता है।
- गर्मी में सूरज की हानिकारक किरणें आंखों को नुकसान न पहुंचाए, इसके लिए UV प्रोटेक्शन वाले सनग्लासेस पहनें।
- आंखों की सेहत को दुरुस्त बनाए रखने के लिए खाने में विटामिन A, C, E, ल्यूटीन और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर फूड्स को शामिल करें।
- अगर लंबे समय तक स्क्रीन पर काम करते हैं तो हर 20 मिनट में 20 फीट दूर की वस्तु को 20 सेकंड तक देखें।
- डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर संबंधी समस्या होने पर इसका इलाज जरूर करवाएं।
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क्या मोतियाबिंद पूरी तरह ठीक हो सकता है?
हां, अगर समय पर पहचान हो जाए और उचित इलाज मिल जाए तो मोतियाबिंद पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। खासकर युवाओं में इलाज के बाद दृष्टि की गुणवत्ता काफी अच्छी बनी रहती है।
निष्कर्ष
मोतियाबिंद अब केवल वृद्धावस्था की समस्या नहीं रही। बदलती जीवनशैली, तकनीक का अत्यधिक प्रयोग, और खान-पान की अनियमितताएं युवाओं में इस रोग के प्रकोप को बढ़ा रही हैं। हालांकि थोड़ी सी जागरूकता, सही आदतें और नियमित नेत्र परीक्षण से इस समस्या से बचा जा सकता है।
FAQ
मोतियाबिंद किसकी कमी से होता है?
नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. पवन का कहना है कि किसी भी व्यक्ति को मोतियाबिंद एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन C, विटामिन E और प्रोटीन की कमी से होता है। इन पोषक तत्वों की कमी के कारण आंखों की रोशनी कम हो जाती है और समय के साथ मोतियाबिंद हो जाता है।मोतियाबिंद कैसे ठीक हो सकता है?
मोतियाबिंद का स्थायी इलाज सर्जरी है। इस स्थिति में डॉक्टर धुंधले प्राकृतिक लेंस को हटाकर कृत्रिम लेंस लगाया जाता है। समय रहते मोतियाबिंद का इलाज करवाया जाए तो ये धुंधली दृष्टि से बचाव किया जा सकता है।मोतियाबिंद का पहला संकेत क्या है?
मोतियाबिंद का पहला संकेत धुंधली दृष्टि होता है, जिसमें चीजें धुंधली या धुंध जैसी दिखने लगती हैं, खासकर रात में लाइट्स के चारों ओर चमक महसूस होती है।