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मोतियाबिंद का इलाज टालने से क्या खतरा हो सकता है? डॉक्‍टर से जानें

मोतियाबिंद का इलाज टालने से आंखों की रोशनी कमजोर हो सकती है, ग्लूकोमा और रेटिना डिटैचमेंट का खतरा बढ़ता हैऔर सर्जरी भी मुश्‍क‍िल हो सकती है।
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मोतियाबिंद का इलाज टालने से क्या खतरा हो सकता है? डॉक्‍टर से जानें


जयपुर के 65 वर्षीय रमेश कुमार ने शुरुआत में हल्के धुंधलेपन को नजरअंदाज किया और 2 साल तक इलाज नहीं कराया। नतीजा यह हुआ कि उनके मोतियाबिंद ने इतना विकराल रूप ले लिया कि उनकी आंखों में प्रेशर बढ़ गया और ग्लूकोमा जैसी गंभीर बीमारी ने जन्‍म ले ल‍िया। आखिरकार उनकी सर्जरी करानी पड़ी, लेकिन रोशनी पूरी तरह लौट नहीं सकी। रिपोर्ट्स बताती हैं कि समय पर इलाज न कराने से मोतियाबिंद के मरीजों को जीवनभर के लिए स्थायी दृष्टि हानि का सामना करना पड़ सकता है। यही वजह है कि डॉक्टर समय रहते इसका इलाज कराने की सलाह देते हैं।

दुर्गा सहाय नर्स‍िंग होम, यूपी बि‍जनौर के नेत्र रोग व‍िशेषज्ञ डॉ व‍िनीत माथुर ने बताया क‍ि मोतियाबिंद यानी कैटरेक्ट (Cataract), आंखों की बीमारी है, जो मुख्य रूप से उम्र बढ़ने पर देखने को मिलती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनियाभर में होने वाली ब्‍लाइंडनेस (Blindness) के करीब 51 % मामले मोतियाबिंद के कारण होते हैं। भारत में भी 60 साल से ज्‍यादा उम्र के लगभग 80 % लोगों में किसी न किसी रूप में मोतियाबिंद पाया जाता है। अच्छी बात यह है कि मोतियाबिंद का इलाज आज के समय में बहुत आसान और सुरक्षित है, लेकिन कई लोग जानकारी की कमी या डर की वजह से इसका इलाज टालते रहते हैं। ऐसा करना, आपकी आंखों की सेहत पर गंभीर असर डाल सकता है। इस लेख में हम जानेंगे मोत‍ियाब‍िंद का इलाज न करवाने के गंभीर पर‍िणामों के बारे में।

1. दृष्टि पूरी तरह से कमजोर होना- Complete Vision Loss

अगर मोतियाबिंद का इलाज समय पर नहीं कराया जाए, तो यह धीरे-धीरे आंखों की रोशनी को पूरी तरह प्रभावित कर सकता है। शुरू में धुंधला दिखना, चश्मे का नंबर बार-बार बदलना जैसे लक्षण दिखते हैं, लेकिन समय के साथ रोशनी इतनी घट सकती है कि मरीज को सिर्फ उजाला या अंधेरा ही महसूस होगा।

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2. आंखों में प्रेशर बढ़ना- Increased Eye Pressure

मोतियाबिंद के इलाज में देरी होने की वजह से आंखों में दबाव (Intraocular Pressure) बढ़ सकता है, जिससे ग्लूकोमा (Glaucoma) होने का खतरा रहता है। ग्लूकोमा एक ऐसी स्थिति है, जो ऑप्टिक नर्व को नुकसान पहुंचाती है और यह नुकसान स्थायी हो सकता है।

3. आंखों की बीमारियों का खतरा- Risk of Eye Diseases

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मोतियाबिंद का इलाज न कराने से आंखों में सूजन, लेंस का गिरना (Lens Dislocation), रेटिना डिटैचमेंट या यूवाइटिस (Uveitis) जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ये सभी स्थितियां, आंखों की रोशनी को और तेजी से नुकसान पहुंचा सकती हैं।

4. गिरने और चोट लगने का खतरा- Risk of Falls and Injuries

धुंधली नजर के कारण मरीजों में गिरने और चोट लगने की घटनाएं बढ़ जाती हैं। खासकर बुजुर्गों में यह स्थिति काफी खतरनाक हो सकती है, क्योंकि हड्डी टूटने जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।

5. जीवन की गुणवत्ता पर असर- Impact on Quality of Life

मोतियाबिंद का इलाज न कराने से मरीज की रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित होती है। पढ़ना, गाड़ी चलाना, घर का काम करना, यहां तक कि चेहरों को पहचानना भी मुश्किल हो जाता है। यह मानसिक तनाव, ड‍िप्रेशन (Depression) और अकेलेपन का कारण बन सकता है।

6. मोतियाबिंद का इलाज टालने से सर्जरी मुश्‍क‍िल हो सकती है- Delaying Cataract Treatment Makes Surgery Complex

अगर मोतियाबिंद का इलाज करने में देरी हो जाती है, तो ऑपरेशन करना थोड़ा मुश्‍क‍िल हो सकता है। देर होने के कारण, लेंस को निकालना और नया लेंस लगाना सर्जन के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है और मरीज को रिकवरी में ज्यादा समय लग सकता है।

कब कराना चाहिए मोतियाबिंद का इलाज?- When Should Cataract Treatment Be Done

  • डॉक्टरों की सलाह है कि जैसे ही मोतियाबिंद के लक्षण दिखें, वैसे ही इलाज कराना चाहिए।
  • आजकल फेकोइमल्सीफिकेशन (Phacoemulsification) जैसी आधुनिक सर्जिकल तकनीक से मोतियाबिंद का इलाज, आसानी और सुरक्षित तरीके से होना संभव है।
  • इस प्रकि‍या में टांके भी नहीं लगते और मरीज को 1-2 दिन में आराम मिल जाता है।

मोतियाबिंद का इलाज टालना आपकी आंखों की रोशनी और जीवन की गुणवत्ता दोनों के लिए हान‍िकारक हो सकता है। इसलिए लक्षण दिखने पर समय रहते डॉक्‍टर से संपर्क करें और सही इलाज कराएं।

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FAQ

  • मोतियाबिंद कब खतरनाक होता है?

    जब मोतियाबिंद इतना बढ़ जाए कि दृष्टि धुंधली हो जाए और रोजमर्रा के काम बाधित हों, तब यह खतरनाक माना जाता है। समय पर इलाज न कराने से यह स्थायी दृष्टि हानि का कारण बन सकता है।
  • क्या मोतियाबिंद एक गंभीर बीमारी है?

    मोतियाबिंद धीरे-धीरे दृष्टि को प्रभावित करता है और इलाज न कराने पर अंधेपन तक पहुंचा सकता है। हालांकि इसका इलाज संभव है और समय पर सर्जरी से आंखों की रोशनी बचाई जा सकती है।
  • मोतियाबिंद का पहला संकेत क्या है?

    धुंधला दिखना और रात में रोशनी की चमक से परेशानी होना मोतियाबिंद का पहला संकेत है। इसके अलावा रंग फीके नजर आना भी शुरुआती लक्षण हो सकता है।

 

 

 

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