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क्या मोतियाबिंद को आई ड्रॉप से ठीक किया जा सकता है? जानें डॉक्टर से सच्चाई

Cataract Surgery: मोतियाबिंद के इलाज को लेकर कई बार लोग लापरवाह हो जाते हैं और घरेलू नुस्खों या आई ड्रॉप्स से इलाज करने लगते हैं। क्या इलाज के इन तरीकों से मोतियाबिंद ठीक हो सकता है? जानें इस लेख में डॉक्टर से विस्तार में।

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क्या मोतियाबिंद को आई ड्रॉप से ठीक किया जा सकता है? जानें डॉक्टर से सच्चाई


Cataract Surgery: जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, लोगों को आंखों में समस्याएं आने लगती हैं और इसमें सबसे आम मोतियाबिंद की परेशानी होती है। जब भी लोगों को मोतियाबिंद की समस्या होती है, तो पहले तो मरीज आमतौर पर चश्मे या आई ड्रॉप्स के जरिए धुंधलेपन को कम करने की कोशिश करते हैं। दरअसल मोतियाबिंद की बीमारी में लेंस में मौजूद प्रोटीन टूट नहीं पाता और आपस में चिपक जाता है। इससे आंखों में सही तरीके से रोशनी नहीं पहुंच पाती और इससे मरीज को दिखाई देना कम हो जाता है। बहुत से लोग यह भी सोचते हैं कि आंखों की सर्जरी क्यों ही करानी है, इससे तो बेहतर है कि आई ड्रॉप्स डाल लेते हैं और आजकल कई विज्ञापन भी आई ड्रॉप्स से मोतियाबिंद ठीक होने का दावा भी करते हैं, जिससे लोगों में भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है। इसलिए हमने दिल्ली के श्रेया आई सेंटर के कॉर्निया और मोतियाबिंद एक्सपर्ट, चेयरमैन और मेडिकल डायरेक्टर डॉ. राकेश गुप्ता (Dr Rakesh Gupta, Chairman & Managing Director, and Cornea and Cataract Specialist, Shreya Eye Centre, Delhi) से जाना कि क्या सच में आई ड्रॉप्स से मोतियाबिंद ठीक हो सकता है? उससे पहले जानते हैं कि मोतियाबिंद कैसे बनता है?

 मोतियाबिंद होने के कारण

डॉ. राकेश गुप्ता कहते हैं, “आमतौर पर मोतियाबिंद की शिकायत बुजुर्गों में ज्यादा देखने को मिलती है, लेकिन आजकल युवाओं को भी यह परेशानी होने लगी है। बढ़ती उम्र के अलावा, जिन लोगों को डायबिटीज की समस्या होती है, ब्लड शुगर बढ़ने के कारण आंखों में बदलाव हो सकता है। जो लोग बहुत समय तक धूप में बिना चश्मे के रहते हैं, उनमें UV किरणों की वजह से भी मोतियाबिंद होने का रिस्क बढ़ जाता है। इसके अलावा, स्मोकिंग, फैमिली हिस्ट्री, आंखों में चोट लगना, दवाइयों के साइड इफेक्ट की वजह से भी मोतियाबिंद हो सकता है।”

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क्या आई-ड्रॉप्स से मोतियाबिंद ठीक हो सकता है?

इस बारे में डॉ. राकेश कहते हैं, “देखिए, कुछ कंपनियां आई ड्रॉप्स से मोतियाबिंद ठीक होने का दावा करती है, लेकिन अभी तक किसी भी तरह का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिला है कि मोतियाबिंद को आई ड्रॉप्स से ठीक किया जा सकता है। फिलहाल जिन मरीजों को मोतियाबिंद की समस्या है, उन्हें जल्द से जल्द सर्जरी करानी चाहिए। अगर मोतियाबिंद का समय पर इलाज न कराया जाए, तो मरीज की आंखों की रोशनी हमेशा के लिए जा सकती है। इसलिए मैं किसी को भी आई ड्रॉप्स या घरेलू उपाय करने की सलाह नहीं देता हूं।”

क्या कहती है रिसर्च

NIH की रिपोर्ट के अनुसार, N-acetylcarnosine (NAC) बहुत ही पॉवरफुल एंटीऑक्सीडेंट है, लेकिन इससे मोतियाबिंद को रिवर्स होने के कोई निश्चित परिणाम नहीं मिले हैं, इसलिए आई ड्रॉप से मोतियाबिंद को फिलहाल सही नहीं किया जा सकता। NIH की 2017 की रिव्यू रिपोर्ट के अनुसार, मोतियाबिंद का इलाज सिर्फ सर्जरी ही है। इसके साथ ही अमेरिकन एकेडमी ऑफ ऑप्थैल्मोलॉजी (AAO) के विशेषज्ञों के अनुसार भी मोतियाबिंद का इलाज सिर्फ सर्जरी ही है। इसके साथ यह भी ध्यान रखने वाली बात है कि FDA ने किसी भी आई ड्रॉप को मोतियाबिंद के इलाज के रूप में मंजूरी नहीं दी है।

मोतियाबिंद की सर्जरी कब करानी चाहिए?

डॉ. राकेश कहते हैं, “मोतियाबिंद की सर्जरी तब करानी चाहिए, जब मरीज की नजर कम होने लगे। सर्जरी को अगर आसान भाषा में समझाया जाए, तो इसमें लेंस को निकालकर उसकी जगह कृत्रिम लेंस लगाया जाता है। आजकल फेम्टोलेजर जैसी टेक्नोलॉजी से रोबोटिक सटीकता मिलती है जिससे सर्जरी बहुत सेफ हो गई है। इसके अलावा, अगर मरीज को अत्याधुनिक लेंस जैसे ट्राइफोकल या इडोफ लेंस (EDOF) इंप्लांट किया जाए, तो चश्मे से भी छुटकारा मिल जाता है। सबसे खास बात यह है कि इस सर्जरी में मरीज को अस्पताल रुकने की जरूरत नहीं पड़ती। इसलिए मरीजों को सर्जरी से डरने की कोई जरूरत नहीं होती।”

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मोतियाबिंद के लक्षण

डॉ. राकेश ने बताया कि लोगों को इन लक्षणों पर खास ध्यान देना चाहिए ताकि मोतियाबिंद के लक्षणों को पहले से पहचाना जा सके और समय पर इलाज कराया जा सके।

  1. अगर देखने में या पढ़ने में परेशानी हो
  2. तेज रोशनी में आंखों को चकाचौंध जैसा महसूस होना
  3. रंग देखने में फीके लगे
  4. आंख से एक ही चीज दो दिखना
  5. रात को देखने में मुश्किल होना
  6. पढ़ने के लिए सामान्य से ज्यादा रोशन की जरूरत महसूस होना

मोतियाबिंद से बचने के उपाय

डॉ. राकेश ने मोतियाबिंद के प्रोसेस को धीमा करने के तरीके बताए हैं।

  1. धूप में बाहर जाते समय UV रोकने वाले चश्मे पहनें।
  2. डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर के रोगियों को आंखों का चेकअप रेगुलर कराना चाहिए।
  3. स्मोकिंग और शराब के सेवन से लेंस पर ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ने से मोतियाबिंद का रिस्क बढ़ जाता है।
  4. डाइट में पौष्टिक आहार लें।
  5. बढ़ती उम्र में आंखों का चेकअप कराते रहना चाहिए ताकि मोतियाबिंद शुरू होने पर समय पर पता चल सके।

निष्कर्ष

डॉ. राकेश जोर देते हुए कहते हैं कि जिन लोगों को मोतियाबिंद की समस्या है, तो उन्हें किसी भी तरह के आई ड्रॉप या घरेलू नुस्खों पर नहीं आजमाना चाहिए क्योंकि इससे मोतियाबिंद के गंभीर होने का रिस्क बढ़ सकता है। फिलहाल मोतियाबिंद का इलाज सिर्फ सर्जरी है। इसलिए अगर आंखों में किसी भी तरह के लक्षण दिखे, तो तुरंत आंखों के डॉक्टर से सलाह लें।

FAQ

  • मोतियाबिंद किसकी कमी से होता है?

    मोतियाबिंद मुख्य रूप से उम्र बढ़ने के साथ होता है, लेकिन कुछ विटामिन की कमी जैसे विटामिन ए, विटामिन सी और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस भी इसकी वजह बन सकते हैं।
  • मोतियाबिंद कब खतरनाक होता है?

    जब लोगों के रोजमर्रा के कामों में दिक्कत आने लगे और इसका इलाज न किया जाए, तो ऑप्टिक तंत्रिका को क्षति पहुंचने की संभावना हो सकती है। इससे कई बार रोगी के आंखों की रोशनी भी जा सकती है।
  • मोतियाबिंद कितने दिन में ठीक हो जाता है?

    मोतियाबिंद सर्जरी के बाद आंखें पूरी तरह ठीक होने में कुछ हफ्तों से लेकर कुछ महीनों तक का समय लग सकता है। वैसे तो मरीज को दो से तीन दिन के अंदर ही सुधार महसूस होने लगता है। पूरी तरह से मरीज को ठीक होने में एक से आठ हफ्ते लग सकते हैं।

 

 

 

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  • Current Version

  • Oct 27, 2025 15:07 IST

    Modified By : Aneesh Rawat
  • Oct 27, 2025 15:06 IST

    Published By : Aneesh Rawat

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