
Diabetes and Eye Testing: भारत में बदलते लाइफस्टाइल के कारण लोगों में डायबिटीज की समस्या तेजी से बढ़ती जा रही है। WHO की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 18 साल से ज्यादा उम्र के 7.7 करोड़ लोग टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित हैं और लगभग 2.5 करोड़ लोग प्री-डायबिटिक हैं, जिन्हें भविष्य में डायबिटीज होने का रिस्क बहुत ज्यादा है। सबसे चिंता की बात तो यह है कि 50% से ज्यादा लोग डायबिटीज से अनजान हैं, जिसके कारण अगर उन्हें समय पर पता न चले और इलाज न हो, तो स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। डायबिटीज मरीजों के शरीर के कई अंग जैसे आंख, किडनी, नसों और हार्ट पर असर पड़ता है। इसमें सबसे आम और गंभीर समस्या डायबिटिक रेटिनोपैथी (Diabetic Retinopathy) की होती है। इसमें मरीज की आंखों को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचता है और अगर समय पर इलाज न हो तो हमेशा के लिए आंखों की रोशनी भी जा सकती है। इसलिए डायबिटीज मरीजों को आंखों का चेकअप जरूर कराना चाहिए लेकिन यह कब शुरू करना चाहिए, इसके बारे में हमने नेत्रम आई फाउंडेशन की डायरेक्टर और सीनियर कंसल्टेंट डॉ. अंचल गुप्ता (Dr Anchal Gupta, Sr Consultant, Director, Netram Eye Foundation) से पूछा। सबसे पहले जानते हैं कि डायबिटिक रेटिनोपैथी क्या होती है?
डायबिटिक रेटिनोपैथी क्या है?
डॉ. अंचल कहती हैं, “डायबिटिक रेटिनोपैथी में हाई ब्लड शुगर की वजह से आंख के रेटिना की छोटी ब्लड वेसल्स क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। रेटिना रोशनी को पहचानता है, जिसकी मदद से हम देख पाते हैं। दरअसल, शुरुआत में तो इस बीमारी के ज्यादा लक्षण मरीज को महसूस नहीं होते, लेकिन धीरे-धीरे मरीज को देखने में धुंधलापन, देखते समय काले धब्बे महसूस होना, रात को देखने में मुश्किल होना और अचानक से रोशनी कम होने जैसी परेशानियां होने लगती हैं। इसलिए मैं हमेशा डायबिटीज के मरीजों को रेगुलर आंखों की जांच कराने की सलाह देता हूं, चाहे लक्षण दिखें या न दिखें।
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डायबिटीज मरीजों को आंखों की जांच कब से शुरू करनी चाहिए?
इस बारे में डॉ. अंचल कहती हैं कि आंखों की जांच की समय-सीमा डायबिटीज के टाइप पर निर्भर करती है।
- टाइप-1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) मरीजों को डायग्नोसिस के 5 साल बाद पहली आंख जांच करवानी चाहिए। इसके बाद हर साल रेगुलर आंखों की जांच जरूर कराएं।
- टाइप-2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) मरीजों को डायग्नोसिस के तुरंत बाद आंखों का चेकअप कराना चाहिए, क्योंकि टाइप-2 डायबिटीज मरीज को शायद कई सालों से पता ही न हो कि वह डायबिटीज का मरीज है, इस वजह से रेटिना पहले से प्रभावित हो सकता है।
- प्रेग्नेंसी में डायबिटीज (Gestational Diabetes) होने पर प्रेग्नेंसी की शुरुआत में ही आंखों का चेकअप जरूरी है, क्योंकि प्रेग्नेंसी के दौरान हार्मोनल बदलाव आंखों की ब्लड वेसल्स पर असर डाल सकते हैं।
डायबिटीज मरीजों के लिए आंखों का चेकअप क्यों जरूरी है?
डॉ. अंचल कहती हैं, “डायबिटीज का असर शरीर के हर हिस्से पर पड़ सकता है, लेकिन आंखों पर इसका प्रभाव कई बार धीरे-धीरे बिना लक्षण के बढ़ता है। इसलिए हर डायबिटिज के मरीज को साल में एक बार आंखों का चेकअप जरूर करवाना चाहिए, चाहे कोई लक्षण हों या न हो। इससे मरीज को कई फायदे होते हैं।”
- रेटिनोपैथी के शुरुआती स्टेज पर कोई लक्षण नहीं दिखाई देते, इसलिए रेगुलर चेकअप से शुरुआत में ही इसकी पहचान हो सकती है।
- समय पर इलाज से अंधेपन का जोखिम करीब 90% तक घटाया जा सकता है।
- आंखों के चेकअप से डॉक्टर यह भी समझ सकते हैं कि मरीज का ब्लड शुगर कंट्रोल कितना बेहतर है।
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डायबिटीज मरीजों के लिए जरूरी चेकअप कौन से हैं?
डॉ. अंचल कहती हैं कि आंखों की चेकअप के साथ डायबिटीज के मरीजों को ये टेस्ट भी रेगुलर कराने चाहिए ताकि डायबिटीज की वजह से उनके किसी भी अंग में बीमारी शुरू होने से पहले ही पता चल जाए।
- रेगुलर ब्लड शुगर मॉनिटरिंग
- आंखों का चेकअप
- किडनी फंक्शन टेस्ट
- पैरों का चेकअप
- लाइफस्टाइल और डाइट काउंसलिंग
निष्कर्ष
डॉ. अंचल कहती हैं कि डायबिटीज के मरीजों को आंखों की सुरक्षा के लिए ब्लड शुगर को कंट्रोल में रखना बहुत जरूरी है। इसके लिए खानपान में न्यूट्रिशनिस्ट की सलाह लेकर बदलाव करने चाहिए ताकि ब्लड शुगर भी कंट्रोल में रहे और मरीज को सभी तरह के न्यूट्रिशन भी मिल सके। इसके साथ एक्सरसाइज बहुत महत्वपूर्ण है। मरीजों को स्मोकिंग और अल्कोहल से बिल्कुल दूर रहना चाहिए। बैलेंस्ड डाइट और लाइफस्टाइल से ही डायबिटीज मरीज अपने जीवन की क्वालिटी को बेहतर बना सकते हैं।
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Oct 21, 2025 16:59 IST
Modified By : Aneesh RawatOct 21, 2025 16:40 IST
Modified By : Aneesh RawatOct 21, 2025 16:40 IST
Published By : Aneesh Rawat