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डायबिटीज का खतरा शुगर लेवल तक सीमि‍त नहीं, मरीजों को हो सकती हैं ये 5 आम समस्‍याएं

डायबिटिक मरीजों को हार्ट, किडनी, आंखों, नसों और पैरों से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। समय पर शुगर कंट्रोल और जांच से इनसे बचा जा सकता है।
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डायबिटीज का खतरा शुगर लेवल तक सीमि‍त नहीं, मरीजों को हो सकती हैं ये 5 आम समस्‍याएं


डायबिटीज को आमतौर पर एक ब्लड शुगर संबंधी रोग समझा जाता है, लेकिन इसकी जड़ें शरीर के लगभग हर अंग तक फैल सकती हैं। यह एक क्रॉनिक मेटाबॉलिक डिसऑर्डर है, जो धीरे-धीरे पूरे शरीर पर बुरा असर डालता है। अक्सर लोग यह मानते हैं कि अगर उनका ब्लड शुगर लेवल सामान्य बना रहे, तो उन्हें अन्य किसी बड़ी परेशानी का खतरा नहीं है। लेक‍िन अगर डायबिटीज लंबे समय तक बनी रहे, तो यह हार्ट, किडनी, आंखों, नसों और पैरों जैसे अंगों को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाना शुरू कर देती है। मरीज को हार्ट अटैक, किडनी फेल, रेटिनोपैथी, न्यूरोपैथी और पैरों में अल्सर जैसी समस्याएं घेर सकती हैं। ये समस्‍याएं अक्सर तब तक सामने नहीं आतीं जब तक काफी नुकसान न हो चुका हो। इसलिए जरूरी है कि डायबिटीज को केवल एक शुगर की बीमारी न मानकर एक बड़ी समस्‍या की तरह देखा जाए। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि डायबिटि‍क मरीजों को कौन सी गंभीर समस्‍याएं हो सकती हैं। इस व‍िषय पर बेहतर जानकारी के ल‍िए हमने लखनऊ के केयर इंस्‍टिट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज की एमडी फ‍िजिश‍ियन डॉ सीमा यादव से बात की।

1. हृदय रोग- Heart Disease

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डायबिटीज से पीड़ित लोगों में हार्ट की बीमारियों का खतरा दोगुना हो जाता है। लंबे समय तक हाई ब्लड शुगर लेवल, ब्‍लड वेसल्‍स को नुकसान पहुंचाता है जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। हार्ट की बीमारियों से बचने के ल‍िए नियमित एक्सरसाइज करें, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करें। फैटी और प्रोसेस्ड फूड से परहेज करें और नियमित ईसीजी व ब्लड टेस्ट कराते रहें।

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2. किडनी की समस्या- Kidney Complications

डायबिटिक नेफ्रोपैथी यानी डायब‍िटीज में किडनी खराब होना एक आम समस्या है। हाई शुगर लेवल किडनी की फिल्ट्रेशन प्रणाली को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाता है, जिससे पेशाब में प्रोटीन आना, ब्लड प्रेशर बढ़ना और अंत में किडनी फेल हो सकती है। क‍िडनी की समस्‍या से बचने के ल‍िए ब्‍लड शुगर लेवल को कंट्रोल करें, नमक का सेवन सीम‍ित करें और साल में 1 बार क‍िडनी फंक्‍शन टेस्‍ट जरूर करवाएं।

3. पैरों में घाव और इंफेक्शन- Foot Ulcers and Infections

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डायबिटीज के मरीजों को पैरों में घाव, फंगल इंफेक्‍शन और अल्सर होने का खतरा ज्‍यादा होता है, क्योंकि नसों की सेंस‍िट‍िव‍िटी कम हो जाती है और इंफेक्‍शन जल्दी फैलता है। कई बार यह स्थिति इतनी गंभीर हो जाती है कि पैर काटना पड़ सकता है। पैरों की समस्‍या से बचने के ल‍िए, पैरों की नियमित जांच करें, नमी से बचाएं, कट या घाव होने पर फौरन इलाज लें और आरामदायक जूते पहनें।

4. नसों की समस्या- Nerve Damage

डायबिटीज से नसों को नुकसान पहुंच सकता है, जिसे डायबेटिक न्यूरोपैथी कहा जाता है। इससे रोगी को हाथ-पैरों में झुनझुनी, सुन्नता, जलन या तेज दर्द महसूस हो सकता है। कुछ मामलों में पाचन पर भी असर पड़ता है। नसों की समस्‍या से बचने के ल‍िए ब्‍लड शुगर लेवल को कंट्रोल करें, व‍िटाम‍िन-बी12 का सेवन करें और अगर पैरों में कोई असामान्‍य लक्षण नजर आए, तो डॉक्‍टर से तुरंत संपर्क करें।

5. आंखों की समस्याएं- Eye Problems

डायबिटीज के कारण आंखों की ब्‍लड वेसेल्‍स डैमेज हो सकती हैं जिससे डायबेटिक रेटिनोपैथी होती है। इसके शुरुआती लक्षणों की बात करें, तो डायब‍िटीज के कारण धुंधला दिखाई देने लगता है, लेकिन अगर समय रहते इलाज न क‍िया जाए, तो समस्‍या बढ़ सकती है। आंखों की समस्‍याओं से बचने के ल‍िए हर साल आंखों की जांच कराएं, शुगर लेवल को कंट्रोल में रखें और आंखों में जलन या धुंधलापन हो, तो अनदेखा न करें।

डायबिटीज केवल शुगर की बीमारी नहीं है, बल्कि यह पूरे शरीर को प्रभावित करने वाला साइलेंट किलर है। इसलिए समय रहते इसे कंट्रोल करें और अपनी जीवनशैली में सुधार करें।

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FAQ

  • डायबिटीज से कौन सा अंग खराब होता है?

    डायबिटीज से किडनी, आंखें, हार्ट और पैरों की नसें सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं। लंबे समय तक शुगर लेवल असामान्‍य रहने से ये अंग धीरे-धीरे खराब हो सकते हैं।
  • 50 साल की उम्र में शुगर कितना होना चाहिए?

    50 साल की उम्र में, खाली पेट ब्लड शुगर लेवल 90 से 130 mg/dL के बीच होना चाहिए। भोजन के 2 घंटे बाद यह 140 mg/dL से कम होना चाहिए।
  • क्या डायबिटीज से मानसिक समस्याएं हो सकती हैं?

    हां, डायबिटीज से डिप्रेशन, स्‍ट्रेस और मेमोरी लॉस जैसी मानसिक समस्याएं हो सकती हैं। ब्लड शुगर में उतार-चढ़ाव, द‍िमाग को प्रभावित कर सकता है।

 

 

 

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