भारत जैसे देश में उम्र बढ़ने के साथ लोगों को मोतियाबिंद (Cataract) बीमारी भी बढ़ने लगती है। मोतियाबिंद धीरे-धीरे आंखों की रोशनी को प्रभावित करता है। समय रहते मोतियाबिंद का इलाज न किया जाए, तो ये व्यक्ति के अंधेपन का भी कारण बन सकता है। मोतियाबिंद जैसी आंखों की बीमारी को लेकर कई प्रकार का भ्रांतियां हैं। जिनमें से एक ये है कि मोतियाबिंद बिना सर्जरी या ऑपरेशन के भी ठीक हो सकता है। लेकिन क्या वाकई ऐसा है इस आर्टिकल में हम इसी बात की सच्चाई जानने की कोशिश करेंगे।
मोतियाबिंद क्या है-
मध्यप्रदेश के ग्वालियर स्थित रतन ज्योति नेत्रालय संस्थान एवं अनुसंधान केंद्र के संस्थापक और नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. पुरेंद्र भसीन का कहना है कि मोतियाबिंद आंख के लेंस (lens) में धीरे-धीरे आने वाला धुंधलापने की परेशानी होती है। मोतियाबिंद के कारण आंखों से धुंधलापन नजर आने लगता है और आपको सामान्य रूप से देखने में भी परेशानी आती है।
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मोतियाबिंद के लक्षण क्या हैं?-
मोतियाबिंद के कारण आंखों से जुड़ी निम्नलिखित परेशानियां हो सकती हैं।
आंखों से धुंधला दिखाई देना
रोशनी में चकाचौंध या हलो दिखना
रंग फीके दिखाई देना
बार-बार चश्मे का नंबर बदलना
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क्या बिना ऑपरेशन मोतियाबिंद का इलाज संभव है?
डॉ. पुरेंद्र भसीन कहते हैं, हमारे पास जो मरीज आते हें, उनमें अक्सर ये धारणा देखी जाती है कि मोतियाबिंद को दवाओं और कुछ खास प्रकार के घरेलू उपायों के जरिए ठीक किया जा सकता है। लेकिन इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं है। अगर किसी व्यक्ति को मोतियाबिंद के कारण धुंधला नजर आ रहा है, तो शुरुआती दौर में एंटीऑक्सीडेंट और चश्मे से धुंधली दृष्टि को ठीक किया जा सकता है। लेकिन ये मोतियाबिंद का स्थायी इलाज नहीं है।
नेत्र रोग विशेषज्ञ के अनुसार, मोतियाबिंद का कोई स्थायी इलाज दवा से संभव नहीं है। जब मोतियाबिंद इतना बढ़ जाए कि यह रोजमर्रा के काम जैसे खाना पकाना, चीजों को देखना और चलने में परेशानी आने लगे, तो सर्जरी ही एकमात्र ऑप्शन बचता है। इसलिए ये कहना बिल्कुल गलत होगा कि मोतियाबिंद का इलाज बिना ऑपरेशन के संभव है।
मोतियाबिंद के इलाज पर क्या कहती है रिसर्च
Journal of Nutrition and Aging पर प्रकाशित एक रिपोर्ट बताती है कि मोतियाबिंद अगर शुरुआती स्टेज में हैं, तो विटामिन A, E, और C युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करके, इसके टाला जा सकता है। लेकिन पूरी तरह से मोतियाबिंद को सिर्फ खानपान के जरिए ठीक नहीं किया जा सकता है।
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मोतियाबिंद से बचाव के उपाय
डॉ. पुरेंद्र भसीन कहते हैं कि आमतौर पर मोतियाबिंद के मामले 55 साल की उम्र के बाद लोगों में नजर आते हैं। बढ़ती उम्र में मोतियाबिंद जैसी आंखों से जुड़ी परेशानी न हो, इसके लिए आप नीचे बताए गए उपायों को अपना सकते हैं।
- खाने में एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन ए और सी युक्त आहार का सेवन करें। रोजाना 1 गाजर जरूर खाएं। गाजर खाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।
- बाहर धूप में निकलते समय यूवी प्रोटेक्शन वाला चश्मा पहनें। कुछ मामलों में सूरज की हानिकारक किरणों के कारण भी मोतियाबिंद के मामले देखें जाते हैं।
- अगर आपकी उम्र 35 साल से ज्यादा हो चुकी है कि साल में एक बार आंखों की जांच जरूर करवाएं। नियमित तौर पर आंखों की जांच करवाने से मोतियाबिंद का पता समय से पहले चल सकता है।
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निष्कर्ष
डॉक्टर के साथ बातचीत के आधार पर हम ये कह सकते हैं कि मोतियाबिंद का स्थायी इलाज बिना ऑपरेशन संभव नहीं है। चश्मे और कुछ घरेलू उपायों से मोतियाबिंद हो कुछ समय के लिए मैनेज जरूर किया जा सकता है, लेकिन ये मोतियाबिंद का संपूर्ण इलाज नहीं है। जैसे ही मोतियाबिंद से दृष्टि प्रभावित होने लगे, ऑपरेशन कराना ही सबसे सुरक्षित, प्रभावी और स्थायी विकल्प है। अगर आपको या आपके परिवार में किसी व्यक्ति को मोतियाबिंद की परेशानी है, तो इस विषय पर डॉक्टर से बात जरूर करें और ऑपरेशन करवाएं।
FAQ
क्या मोतियाबिंद का घरेलू इलाज संभव है?
अगर मोतियाबिंद शुरुआती स्टेज में हैं तो इसे त्रिफला के पानी और गाजर खाकर मैनेज किया जा सकता है। लेकिन मोतियाबिंद गंभीर स्थिति में है और इसके कारण आंखों से धुंधला नजर आता है, तो सर्जरी के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है।मोतियाबिंद का ऑपरेशन कितनी बार किया जा सकता है?
मोतियाबिंद में एक ही आंख में एक बार ऑपरेशन की जरूरत होती है। यदि दूसरी आंख में मोतियाबिंद हो जाए, तो उसमें भी अलग से ऑपरेशन किया जा सकता है।मोतियाबिंद का ऑपरेशन होने में कितना समय लगता है?
मोतियाबिंद का ऑपरेशन आमतौर पर 15 मिनट से आधे घंटे में हो जाता है। मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराने के बाद आंखों को आराम दिलाने के लिए खाना पकाने और विभिन्न प्रकार की क्रियाओं को करने से बचना चाहिए।