ग्लूकोमा या काला मोतिया आंखों से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। ग्लूकोमा का सही समय पर इलाज न हो तो इस बीमारी की वजह से आपके आंखों की रोशनी हमेशा के लिए जा सकती है। ग्लूकोमा में आंख के पिछले हिस्से की ऑप्टिक नर्व्स डैमेज हो जाती हैं। इसकी वजह से आपके आंखों की रोशनी प्रभावित होती है। ग्लूकोमा जैसी बीमारी इन दिनों स्क्रीन टाइम की वजह से ज्यादा हो रही है। वहीं, कुछ मामलों में ग्लूकोमा जेनेटिक कारणों की वजह से भी हो सकती है। आज इस लेख में हम आपको विस्तार से ग्लूकोमा क्या है, यह कितने प्रकार का होता है और इस गंभीर बीमारी के इलाज के बारे में बताएंगे।
ग्लूकोमा क्या है?- What is Glaucoma in Hindi
ग्लूकोमा आंखों से जुड़ी एक खतरनाक स्थिति है। यह बीमारी आंखों के पिछले हिस्से में ऑप्टिक नर्व को प्रभावित करती है। जानकारी के लिए बता दें कि ऑप्टिक नर्व के जरिए ही दिमाग को किसी चीज की इमेज मिलती है। ग्लूकोमा की वजह से कंप्लीट विजन और ब्लाइंडनेस हो सकती है। क्लीवलैंड क्लिनिक के आंकड़ों के अनुसार दुनियाभर में मोतियाबिंद के बाद ग्लूकोमा की वजह से सबसे विश्व स्तर पर, मोतियाबिंद के बाद ग्लूकोमा की वजह से अंधेपन के मामले बढ़ रहे हैं।
ग्लूकोमा कितने प्रकार का होता है- Type of Glaucoma in Hindi
क्लीवलैंड क्लिनिक के अनुसार मुख्यतः ग्लूकोमा 5 प्रकार का होता है।
1. ओपन एंगल ग्लूकोमा- यह ग्लूकोमा का सबसे आम प्रकार है। इसमें आंखों की रोशनी कम होने के अलावा कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। ओपन एंगल ग्लूकोमा में आंखों की रोशनी बहुत ही धीरे-धीरे कम होती है। इसके अलावा ग्लूकोमा के इस प्रकार में कोई लक्षण नजर नहीं आता है। हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि ग्लूकोमा के इस प्रकार का पता आखिरी स्टेज में ही चल पाता है जिसकी वजह से इसका इलाज असंभव हो जाता है।
2. एंगल-क्लोजर (एक्यूट) ग्लूकोमा- ग्लूकोमा के इस प्रकार में आंखों के अंदर बनने वाला दबाव सामान्य से अधिक बो जाता है। यह दबाव इस वजह से ज्यादा बढ़ता है क्योंकि आंखों के अंदर बनने वाले द्रव उस गति से बाहर नहीं निकल पाता है, जैसा कि उसे निकलना चाहिए। एक्यूट ग्लूकोमा में आंखों में तेज दर्द, धुंधला दिखाई देना और उल्टी जैसे लक्षण नजर आते हैं।
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3. कॉग्निटोल ग्लूकोमा - यह एक प्रकार का जेनेटिक ग्लूकोमा है। इसमें आंखों में बनने वाले द्रव की निकासी की स्थिति धीमी पड़ जाती है। इसमें आंखों में बादल से छाए रहना, बहुत ज्यादा पानी बहना या देखने में परेशानी जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं।
4. नॉर्मल टेंशन ग्लूकोमा- ग्लूकोमा के कुछ मामलों में ऐसा भी देखा जाता है कि आंखों के पिछले हिस्से पर ज्यादा दबाव न बनने के बाद भी ऑप्टिक नर्व को नुकसान पहुंचाता है। इसकी वजह से भी आंखों में दर्द, जलन, आंखों से पानी आना और कई बार आंखों का लाल पड़ना जैसी समस्या हो सकती है।
5. सेकेंड्री ग्लूकोमा- आंखों पर लगने वाली चोट या किसी घाव की वजह से होने वाले ग्लूकोमा को सेकेंड्री ग्लूकोमा कहा जाता है। कुछ मामलों में कोर्टिकोस्टेरॉइड्स जैसी दवाओं के कारण भी इस तरह का ग्लूकोमा हो सकता है।
ग्लूकोमा का इलाज क्या है?- Treatment of Glaucoma in Hindi
हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो भारत में ग्लूकोमा का इलाज 3 तरीकों से किया जाता है। ग्लूकोमा के शुरुआती स्तर में आई ड्रॉप दी जाती है। जब आई ड्रॉप किसी तरह का काम नहीं करती है तो सर्जरी और फिर लेजर थेरेपी से ग्लूकोमा के मरीज का इलाज किया जाता है। Image Credit: Freepik.com