मोतियाबिंद की समस्या होने पर क्या करें और क्या नहीं? जानें डॉक्टर सें

ग्लूकोमा को नजरअंदाज करने पर व्यक्ति में आंधेपन की समस्या भी हो सकती है। ऐसे में आइए जानते हैं ग्लोकोमा होने पर क्या करें और क्या न करें?
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मोतियाबिंद की समस्या होने पर क्या करें और क्या नहीं? जानें डॉक्टर सें


ग्लूकोमा (Glaucoma) आंखों से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। ग्लूकोमा की समस्या में आंख के पिछले हिस्से में ऑप्टिक नर्व प्रभावित होता है, जिसके वजह से व्यक्ति में ब्लाइंडनेस की समस्या हो सकती है। ग्लूकोमा की समस्या आज के समय में बच्चों से लेकर बड़ों सब में देखने को मिल रहा है। लोग ग्लूकोमा का इलाज तो करवाते हैं, लेकिन इसके बाद क्या करना है और क्या नहीं करना है इस बारे में बहुत कम लोगों को पता होता है। डॉक्टर बसु नेत्र अस्पताल के डॉ. मंदीप सिंह बसु ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर करके ग्लूकोमा होने पर क्या करना चाहिए और क्या नहीं इस बारे में बताया है। 

क्या ग्लूकोमा का इलाज संभव है? - Is Glaucoma Curable in Hindi?

ग्लूकोमा किसी भी कारण किसी भी उम्र में आपको हो सकता है और इसे ठीक भी किया जा सकता है। अगर मरीज 5 से 10 प्रतिशत देख पा रहा है यानी आंखों में थोड़ी भी रोशनी है, तो ग्लूकोमा का इलाज हो सकता है और मरीज को आंधेपन की समस्या से बचाया जा सकता है। 15 से 20 की रेंज को नॉर्मल आई प्रेशर की रेंज माना जाता है। लेकिन अगर 20 के ऊपर ये रेंज बढ़ रही है, तो इसका अर्थ है कि आप में ग्लूकोमा के लक्षण नजर आ रहे हैं। ऐसे में आपको तुरंत अपने डॉक्टर से मिलने की जरूरत है।  

ग्लूकोमा होने पर क्या करें? - What To do in Glaucoma in Hindi?

  • अपने डॉक्टर की सलाह माने और निर्धारित दवाओं का ही प्रयोग करें, नियमिन आंखों की जांच करवाएं। 
  • आंखों के दबाव को कम करने में मदद के लिए सही तरह से आई ड्रॉप का उपयोग करें।
  • आवश्यकता पड़ने पर आंखों की सुरक्षा के लिए चश्मा पहनकर अपनी आँखों को तेज रोशनी और धूल-मिट्टी से बचाएं। 
  • नियमित व्यायाम और संतुलित आहार सहित एक हेल्दी लाइफस्टाइल बनाए रखें, क्योंकि यह इंट्राओकुलर दबाव को प्रबंधित करने में मदद कर सकता है।

इसे भी पढ़ें- ग्लूकोमा (काला मोतिया) से आंखों को कैसे बचाएं? डॉक्टर्स से जानें टिप्स

ग्लूकोमा होने पर क्या न करें? - What Not To Do in Glaucoma in Hindi?

  • आंखों के प्रेशर को मॉनिटर करें। हर महीने डॉक्टर के पास जाएं और अपनी आंखों के प्रेशर को नापवाएं। 
  • स्क्रिन टाइट का कम उपयोग करें, क्योंकि ज्यादा स्क्रिन टाइम आपके आंखों पर अत्यधिक दबाव डाल सकता है। 
  • अपने डॉक्टर से परामर्श लिए बिना निर्धारित दवाएं लेना बंद न करें या उनके सलाह के बिना किसी भी तरह की दवाई का इस्तेमाल न करें। 
  • स्मोकिंग से बचें, क्योंकि इससे आपकी आंखों के खराब होने का खतरा बढ़ सकता है।
  • ऐसी गतिविधियों में शामिल न हों जो आपकी आंखें के इंट्राओकुलर दबाव को काफी बढ़ा देती हैं, जैसे भारी सामान उठाना या कुछ योगासन।

 

 

 

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  • लंबे समय तक अपने सिर को नीचे की ओर झुकाकर रखने से बचें। 
  • नियमित रूप से अपनी आंखों की जांच करवाते रहें। 

Image Credit- Freepik 

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