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इम्पोस्टर सिंड्रोम से पीड़ित लोगों में नजर आते हैं ये 5 लक्षण, जानें बचाव के उपाय

इम्पोस्टर सिंड्रोम वाले व्यक्ति खुद की क्षमता पर संदेह करते हैं। ऐसे में उनके आत्मविश्वास पर बुरा असर पड़ता है। जानें इसके लक्षण और बचाव के उपाय  
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 इम्पोस्टर सिंड्रोम से पीड़ित लोगों में नजर आते हैं ये 5 लक्षण, जानें बचाव के उपाय


कुछ लोगों को खुद की कार्य क्षमता पर संदेह होने लगता है। ऐसे में लोगों को यह डर रहता है कि दूसरा व्यक्ति उनसे बेहतर है। यह समस्या लोगों की मानसिक स्थिति को प्रभावित करती है। इस समस्या को इम्पोस्टर सिंड्रोम कहा जाता है। अक्सर यह समस्या वर्क प्लेस में देखने को मिलती है। इस दौरान व्यक्ति वास्तविक स्थिति से बिल्कुल विपरीत सोचने लगता है। उसे हर समय खुद पर ही डाउड होता है। इम्पोस्टर सिंड्रोम होने पर व्यक्ति का आत्मविश्वास कम हो जाता है। ऐसे में उसके जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। आगे सुकून साइकोथैरेपी सेंटर की क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट और फाउंडर दीपाली बेदी से जानते हैं कि इम्पोस्टर सिंड्रोम में व्यक्ति को क्या लक्षण महसूस होते हैं। साथ ही, यह जानते हैं कि इस समस्या से किस प्रकार बचा जा सकता है। 

इम्पोस्टर सिंड्रोम के लक्षण - Symptoms Of Imposter Syndrome In Hindi 

कार्य क्षमता प्रभावित होना

इम्पोस्टर सिंड्रोम होने पर व्यक्ति को हमेशा यह डर रहता है कि सहकर्मी और सुपरवाइजर उनसे अधिक कार्य की अपेक्षा रखते हैं। साथ ही, वह निर्धारित कार्य को डिलीवर करने में खुद को असमर्थ महसूस करते हैं। इस दौरान काम को बेहतर तरीके से न कर पाने का डर सताते रहता है। इसका व्यक्ति की मानसिक स्थिति पर प्रभाव पड़ता है और वह किसी भी कार्य को बेहतर तरीके से नहीं कर पाता है।

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खुद पर संदेह करना

इम्पोस्टर सिंड्रोम में व्यक्ति को खुद के काम पर संदेह हो सकता है। जब व्यक्ति एक महत्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त कर लेता है तो उससे कई कार्यों को करते समय खुद पर ही संदेह होने लगता है। इस वजह से व्यक्ति को चिंता और स्ट्रेस बढ़ सकता है। 

सफलता का श्रेय बाहरी कारकों को देना

इम्पॉस्टर सिंड्रोम वाले व्यक्ति अपनी योग्यता से इनकार करते हैं। उन्हें लगता है कि उनकी सफलताएं बाहरी कारकों या संयोग के कारण हैं। इसी तरह, जब बाहरी कारणों से चीजें गलत हो जाती हैं, तो व्यक्ति खुद को दोषी मानने लगते हैं। 

प्रमोशन लेने से बचना 

इम्पोस्टर सिंड्रोम वाले व्यक्ति प्रमोशन लेने से बचते हैं। वह पदोन्नति और वेतन वृद्धि से बचने लगते हैं। उन्हें कई बार लगता है कि वह इसके लायक नहीं हैं। 

इम्पोस्टर सिंड्रोम से कैसे बचाव करें - How To Overcome Imposter Syndrome In Hindi 

भावनाओं पर काबू पाएं 

इम्पोस्टर सिंड्रोम को दूर करने के लिए व्यक्ति को खुद की भावनाओं पर काबू पाना होगा। इमोशनली रूप से मजबूत होने के लिए आप खुद पर विश्वास करें। साथ ही, किसी भी कार्य को करने के लिए रणनीति तैयार करें। भावनात्मक रूप से मजबूत होने के लिए आप अपने करीबियों और रिश्तेदारों से मिलें। साथ ही, अपनी स्ट्रेंथ पर फोक्स करें। 

खुद की तुलना दूसरों से ना करें

खुद की तुलना दूसरों से करने के बजाय आप केवल खुद की उपलब्धियों और कार्य पर फोकस करें। दूसरों के साथ खुद की तुलना करने पर आप खुद को कम आंक सकते हैं। 

अपनी उपलब्धियों पर ध्यान दें

खुद को कमजोर समझने की अपेक्षा इम्पोस्टर सिंड्रोम वाले व्यक्ति को अपनी उपलब्धियों के बारे में विचार करना चाहिए। इस समस्या से बचने के लिए उपलब्धियों के बारे में विचार करें। इससे आपको कार्य करने के लिए मोटिवेशन मिलता है। 

इसे भी पढ़ें: इम्पोस्टर सिंड्रोम का संकेत हो सकता है कॉन्फिडेंस में कमी, अपनी क्षमता पर होने लगता है शक

इम्पोस्टर सिंड्रोम से बचने के लिए आप थेरेपिस्ट की मदद ले सकते हैं। इस समस्या से बचने के लिए आप योग व एक्सरसाइज को लाइफस्टाइल में शामिल कर सकते हैं। इसके अलावा, आप दोस्तों के साथ समय बिताएं और मन की बातों को शेयर करें। 

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