
Newborn Stool Frequency: नए पैरेंट्स शिशु की हर छोटी बड़ी बात की चिंता करते हैं, फिर चाहे शिशु का ब्रेस्टफीड न करना हो, डकार न लेना और फिर चाहे शिशु का पॉटी करना हो। दरअसल, पैरेंट्स को लगता है कि शिशु को भी रोज पॉटी करनी चाहिए और अगर वह कुछ दिनों तक पॉटी नहीं करता, तो ये उसके लिए खतरनाक हो सकता है। अक्सर परिवार में भी लोग इससे जुड़ी कई तरह की बातें कहते हैं, जिससे पैरेंट्स कन्फ्यूज हो जाते हैं। कोई कहता है कि रोजाना शिशु के पॉटी न करना कब्ज की निशानी है, तो कोई इसे गंभीर बीमारी मानता है। इसलिए हमने इस विषय की सच्चाई जानने के लिए दिल्ली के क्लाउडनाइन ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के बालरोग विशेषज्ञ विभाग के डायरेक्टर डॉ. जय किशोर (Dr. Jay Kishore, Director – Department of Neonatology, Cloudnine Group of Hospitals, East Delhi, Patparganj) से बात की।
क्या शिशु को रोजाना पॉटी (मल) करना चाहिए?
इस बारे में बात करते हुए डॉ. जय किशोर कहते हैं, “मैंने कई मामलों में देखा है कि अगर शिशु कुछ दिन तक पॉटी नहीं करता, तो पैरेंट्स परेशान हो जाते हैं। दरअसल, शुरूआती महीनों में शिशु सिर्फ मां के दूध पर ही निर्भर होता है। इसलिए उसके स्टूल पास करना कम हो सकता है। जन्म के बाद शिशु के पाचन तंत्र को दूध पचाने में दिक्कत होती है, इसलिए वह बार-बार पॉटी करता है, लेकिन जब उसमें दूध पचाने की क्षमता आ जाती है, तो मल त्याग भी कम हो जाता है। यही वजह है कि कई बार शिशु हफ्ते से लेकर 10-12 दिन तक पॉटी नहीं करता और जब करता है, तो बहुत ही नार्मल करता है। अगर ऐसा होता है, तो यह बहुत ही सामान्य है। पैरेंट्स को बस यह ध्यान रखना होता है कि शिशु ठीक तरीके से दूध पी रहा है और उसका वजन बढ़ रहा है। साथ ही वह एक्टिव भी है।”
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क्या बहुत दिन तक स्टूल (पॉटी) न करना कब्ज की समस्या हो सकती है?
डॉ. जय किशोर बताते हैं कि कई परिवार मेरे पास आते हैं कि शिशु ने 3-4 दिन से स्टूल पास नहीं किया है, इसलिए इसे कब्ज हो गई है। लेकिन जब मैं शिशु का पेट चेक करता हूं तो वो मुलायम होता है और दूध पीने में भी कोई दिक्कत नहीं होती। तो मैं कहता हूं कि कब्ज का मतलब सिर्फ स्टूल पास करने से नहीं होता, बल्कि पॉटी का सख्त होना और उसे करते समय पेट में मरोड़ उठना या दर्द होना होता है। अगर शिशु की पॉटी नरम और पीले रंग की होती है, तो कब्ज नहीं है। दरअसल, ब्रेस्टफीड करने वाले शिशु को दूध पूरी तरह से पच जाता है और इसलिए स्टूल कम बनता है।
क्या शिशु के पॉटी न करने से पेट में टॉक्सिन बन जाते हैं?
डॉ. जय किशोर कहते हैं, “अक्सर पैरेंट्स यह शिकायत करते हैं कि अगर शिशु कई दिन तक पॉटी नहीं करता, तो उसके पेट में टॉक्सिन्स बन सकते हैं, जो गंभीर बीमारियां कर सकते हैं। तो अगर पैरेंट्स ऐसा सोचते हैं, तो ये गलत है। शिशु का डाइजेशन सिस्टम काफी अच्छा होता है और वो ब्रेस्टफीड आसानी से पचा लेता है। अगर शिशु का स्टूल नरम और सामान्य है, चाहे वह 10 दिन बाद भी पॉटी करे, तो भी उसके पेट में किसी भी तरह के टॉक्सिन्स जमा नहीं हो सकते। वैसे इसका कोई वैज्ञानिक प्रूव भी नहीं है। इसलिए पैरेंट्स को चिंता नहीं करनी चाहिए।”
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पैरेंट्स इन बातों का रखें ध्यान
डॉ. जय किशोर ने बताया है कि पैरेंट्स को शिशु की इन खास बातों का ध्यान रखना चाहिए।
- शिशु का पेट सख्त होना
- पेट फूला हुआ होना
- शिशु का बार-बार उल्टी करना
- पॉटी में खून आना
- शिशु का दूध न पीना
- स्टूल करते समय दर्द होना
- शिशु का बहुत ज्यादा रोना
अगर इस तरह के लक्षण दिखते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें और शिशु की जांच कराएं।
पैरेंट्स ये बिल्कुल न करें
डॉ. जय किशोर कहते हैं कि कुछ पैरेंट्स घरेलू नुस्खे आजमाते हैं,या घरेलू कब्ज की दवाइयां देते हैं। इस तरह के काम बिल्कुल नहीं करने चाहिए। बिना वजह के मिथकों को सच मानने की बजाय डॉक्टर से सलाह लें और उस पर भरोसा रखें। पैरेंट्स को जल्दबाजी करने की बजाय थोड़ा धीरज भी रखना चाहिए।
निष्कर्ष
नवजात शिशु के रोजाना पॉटी करने में कोई सच्चाई नहीं है और लोगों को इस तरह की अफवाहों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। बस इस बात का ध्यान रखना जरूरी होता है कि शिशु ठीक तरीके से दूध पी रहा है, एक्टिव है और बैचेनी महसूस नहीं कर रहा, तो ब्रेस्टफीड वाले शिशु 10-12 दिन में भी पॉटी कर सकते हैं। अगर कोई असामान्य लक्षण दिखें, तो तुरंत बालरोग विशेषज्ञ से जरूर मिलें।
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