
आजकल इंटरमिटेंट फास्टिंग सिर्फ बड़ों के बीच ही नहीं, बल्कि टीनएजर्स में भी तेजी से ट्रेंड कर रही है। सोशल मीडिया पर फिटनेस इंफ्लूएंसर्स और सेलिब्रिटीज के वीडियो देखकर कई टीनएजर्स सोचने लगे हैं कि क्या खाना छोड़ने से वाकई वजन जल्दी घट सकता है? स्कूल-कॉलेज में भी इसका असर दिख रहा है, कुछ बच्चे ब्रेकफास्ट स्किप करने लगे हैं, तो कुछ शाम के बाद कुछ नहीं खाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या किशोर उम्र में इंटरमिटेंट फास्टिंग शरीर के लिए सुरक्षित है या यह एक खतरनाक फैशन बनता जा रहा है? इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमने, जयपुर स्थित Angelcare-A Nutrition and Wellness Center की निदेशक, डाइटिशियन एवं न्यूट्रिशनिस्ट अर्चना जैन (Archana Jain, Dietitian and Nutritionist, Director, Angelcare-A Nutrition and Wellness Center, Jaipur) से बात की-
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क्या इंटरमिटेंट फास्टिंग करना टीनएजर्स के लिए सुरक्षित है? - Is Intermittent Fasting Safe For Teenagers
डाइटिशियन एवं न्यूट्रिशनिस्ट अर्चना जैन बताती हैं कि इंटरमिटेंट फास्टिंग कोई डाइट नहीं बल्कि एक ईटिंग पैटर्न है, जिसमें खाने और फास्टिंग का समय तय किया जाता है। वयस्कों में यह वजन कंट्रोल और ब्लड शुगर सुधारने जैसा फायदा दे सकता है, लेकिन किशोरों के लिए इसका असर अलग हो सकता है, क्योंकि उनका शरीर अभी बढ़ रहा होता है। इस समय में उपवास यानी फास्टिंग बढ़ाने से ज्यादा कैलोरी, आयरन, कैल्शियम और प्रोटीन की कमी की आशंका बढ़ सकती है।
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डाइटिशियन एवं न्यूट्रिशनिस्ट अर्चना जैन बताती हैं कि 13 से 19 वर्ष की उम्र में हड्डियां तेजी से मजबूत होती हैं और मांसपेशियों का विकास भी तेजी से होता है। ऐसे में यदि बच्चे लंबे समय तक भूखे रहते हैं तो उनकी एनर्जी का लेवल गिर सकता है, जिसके कारण चक्कर आना, कमजोरी, थकान, ध्यान केंद्रित न कर पाना जैसे लक्षण उभर सकते हैं। कुछ मामलों में भोजन के प्रति नकारात्मक सोच भी विकसित हो सकती है, जिससे ईटिंग डिसऑर्डर का जोखिम बढ़ जाता है।

टीनएजर्स वजन कम कैसे करें? - How can teenagers lose weight
डाइटिशियन एवं न्यूट्रिशनिस्ट अर्चना जैन यह भी बताती हैं कि यदि इंटरमिटेंट फास्टिंग का उद्देश्य वजन कम करना है, तो पहले लाइफस्टाइल में छोटे-छोटे बदलाव कर रिजल्ट हासिल किए जा सकते हैं। जैसे शक्कर कम करना, प्रोसेस्ड फूड से दूरी, नियमित एक्सरसाइज, पर्याप्त नींद और समय पर खाना। ये सभी तरीके किशोरों के लिए ज्यादा सुरक्षित और टिकाऊ साबित होते हैं।
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टीनएजर्स के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग
| फायदे | जोखिम | एक्सपर्ट की सलाह |
| वजन कंट्रोल में मदद | एनर्जी की कमी, कमजोरी | एक्सपर्ट की निगरानी में अपनाएं |
| ओवरईटिंग में कमी | पोषण की कमी | पर्याप्त कैलोरी सुनिश्चित करें |
| शुगर क्रेविंग कम होती है | ध्यान और पढ़ाई पर असर | पढ़ाई के समय भोजन नियमित रखें |
| दिनचर्या में अनुशासन | ईटिंग डिसऑर्डर का खतरा | फालतू ट्रेंड फॉलो न करें |
निष्कर्ष
डाइटिशियन एवं न्यूट्रिशनिस्ट अर्चना जैन के अनुसार, यही समझना जरूरी है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग कोई जादुई उपाय नहीं है। किशोरों के लिए इसका प्रभाव वयस्कों से अलग और ज्यादा सेंसिटिव होता है। ऐसे में माता-पिता और बच्चों दोनों को भोजन को प्रतिबंध नहीं बल्कि पोषण के रूप में देखना चाहिए। यदि बच्चा स्वास्थ्य सुधारना चाहता है, तो बैलेंस डाइट, नियमित एक्सरसाइज और समय पर नींद उसके लिए पर्याप्त हैं। किसी भी फास्टिंग को अपनाने से पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।
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FAQ
इंटरमिटेंट फास्टिंग क्या है?
इंटरमिटेंट फास्टिंग एक ईटिंग पैटर्न है जिसमें दिन को खाने और फास्टिंग के समय में बांटा जाता है।फास्टिंग के दौरान पानी पी सकते हैं?
आप पानी, सादा नींबू पानी, ब्लैक कॉफी और हर्बल टी पी सकते हैं, क्योंकि इनमें कैलोरी नहीं होती।इंटरमिटेंट फास्टिंग के क्या नुकसान हैं?
थकान, चक्कर आना, सिरदर्द, मूड स्विंग, कमजोरी और ज्यादा भूख लगना जैसे लक्षण शुरुआती दिनों में नजर आ सकते हैं।
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Nov 20, 2025 13:46 IST
Published By : Akanksha Tiwari