
फास्टिंग या व्रत प्राचीन काल से ही केवल धार्मिक या आध्यात्मिक प्रथा नहीं रहा है, बल्कि यह स्वास्थ्य और शरीर की मरम्मत (body repair) के लिए भी बेहद लाभकारी माना गया है। आज की अनहल्दी लाइफस्टाइल में शरीर को खुद को रिपेयर करने का समय कम मिलता है, जिससे थकान, कमजोरी और मेटाबॉलिक समस्याएं आम हो जाती हैं। ऐसे में आयुर्वेद हमें बताता है कि व्रत रखना सिर्फ मानसिक अनुशासन नहीं बल्कि शरीर को खुद को रीबूट और रिपेयर करने का प्राकृतिक तरीका है। इस लेख में सिरसा के रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital) से जानिए, क्या फास्टिंग से शरीर खुद को रिपेयर करता है?
क्या फास्टिंग से शरीर खुद को रिपेयर करता है? - Is Fasting Good For Body Repair
आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा के अनुसार, जब हम व्रत रखते हैं, तो हमारे शरीर का ब्लड सर्कुलेशन पाचन तंत्र की ओर पूरी तरह नहीं जाता। इसका मतलब है कि शरीर अपनी ऊर्जा का अधिक हिस्सा सेल रिपेयर, डिटॉक्सिफिकेशन और मेटाबॉलिज्म को संतुलित करने में लगाता है। इसके कारण शरीर में जमा फैट, टॉक्सिन और अनावश्यक ग्रोथ रिमूव होने लगती है। इस प्रक्रिया से न केवल शरीर साफ और हल्का महसूस करता है, बल्कि मानसिक ऊर्जा और स्पष्टता भी बढ़ती है।
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हालांकि व्रत करने के फायदे बहुत हैं, लेकिन आयुर्वेद में यह भी बताया गया है कि ओवर फास्टिंग या लंबे समय तक निर्जला व्रत हानिकारक हो सकता है। 70 वर्ष से ऊपर के लोग लगातार व्रत से बचें और महीने में केवल 2-3 बार ही हल्का व्रत रखें। इसके अलावा यह समझना भी जरूरी है कि व्रत में हम क्या खा रहे हैं और कितनी मात्रा में पानी पी रहे हैं। फल और हल्का पौष्टिक भोजन व्रत के दौरान सबसे सही विकल्प हैं, जबकि पानी न पीना नुकसानदायक हो सकता है।
फास्टिंग के क्या फायदे हैं? - Fasting Benefits
- शरीर का डिटॉक्सिफिकेशन होता है।
- ब्लड शुगर और मेटाबॉलिज्म कंट्रोल रहते हैं।
- मानसिक स्पष्टता और ध्यान बढ़ता है।
- उम्र से जुड़ी समस्याओं जैसे थकान और धीमे मेटाबॉलिज्म को कम करने में मदद मिलती है।
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ओवर फास्टिंग से बचें
व्रत को लेकर लोगों में यह मिथक है कि जितना लंबा और कठिन व्रत, उतना ज्यादा फायदा। डॉ. श्रेय शर्मा के अनुसार, यह सही नहीं है, लगातार और ज्यादा व्रत रखने से शरीर में वात दोष बढ़ सकता है, जो कि ड्राई स्किन, कमजोरी, चक्कर और अस्थिर मेटाबॉलिज्म जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है। इसलिए संतुलित फास्टिंग और एक्सपर्ट की सलाह लेना जरूरी है।
निष्कर्ष
आयुर्वेद के अनुसार व्रत शरीर को रिपेयर करने में सहायक है। यह न केवल डिटॉक्सिफिकेशन और मेटाबॉलिक सुधार करता है, बल्कि मानसिक स्पष्टता और एनर्जी भी बढ़ाता है। हालांकि, उम्र, स्वास्थ्य स्थिति और फास्टिंग का तरीका ध्यान में रखना बहुत जरूरी है। 70 वर्ष से ऊपर या किसी स्वास्थ्य समस्या वाले लोगों को व्रत से बचना चाहिए। संतुलित रूप से, महीने में 2-3 बार हल्का व्रत रखना शरीर और मन दोनों के लिए लाभकारी साबित होता है।
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FAQ
कितनी बार व्रत करना सुरक्षित है?
डॉ. श्रेय शर्मा के अनुसार, महीने में 2-3 बार हल्का व्रत रखना सुरक्षित और लाभकारी माना जाता है।ज्यादा व्रत करने से क्या होता है?
लगातार और लंबा व्रत रखने से शरीर में वात दोष बढ़ सकता है, जिससे कमजोरी, चक्कर या पेट संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।व्रत में क्या खाना चाहिए?
व्रत के दौरान फल, दही और सूखे मेवे खाना फायदेमंद होता है। ये एनर्जी प्रदान करते हैं और लंबे समय तक भूख नहीं लगने देते।
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Current Version
Oct 10, 2025 15:09 IST
Published By : Akanksha Tiwari