GERD in Teenagers: आजकल टीनएजर्स का घर में ही बैठकर गेम्स खेलना या फिर अपने कमरे में बैठकर पढ़ते रहने और लेटकर मोबाइल पर रातभर स्क्रोल करने से उन्हें पेट से जुड़ी कई समस्याएं आने लगी है। इसके साथ खानेपीने में जंक फूड का बढ़ता प्रभाव GERD (Gastroesophageal Reflux Disease) की बीमारियों को बढ़ा रहा है। GERD यानी गैस्ट्रो इसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज में पेट का खाना एसिड बनकर बार-बार फूड पाइप (esophagus) में वापस आ जाता है। इससे टीनएजर्स को पेट की दिक्क्तें होने लगती है। अगर इस बीमारी का समय पर इलाज न किया जाए, तो टीनएजर्स को गंभीर बीमारियां लग सकती हैं। टीनएजर्स इस बीमारी के शिकार क्यों हो रहे हैं, इस बारे में जानने के लिए हमने फरीदाबाद के मैरिंगो अस्पताल के गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. बीर सिंह सहरावत (Dr Bir Singh Sehrawat, Gastroenterology,Program Clinical Director & HOD - Gastroenterology, Marengo Asia Hospitals, Faridabad) से बात की। उन्होंने GERD के लक्षणों और इलाज की भी जानकारी दी।
टीनएजर्स में GERD क्यों बढ़ रहा है? - Why GERD cases are increased in Teenagers in Hindi
डॉ. बीर सिंह सहरावत ने बताया कि टीनएजर्स के लाइफस्टाइल कारण वे कई तरह की बीमारियों से परेशान हो रहे है। इसमें GERD की समस्या भी एक है। टीनएजर्स की इन गलतियों की वजह से उन्हें परेशानी हो रही हैं।
1. फिजिकल एक्टिविटीज में कमी
डॉ. बीर कहते हैं, “आजकल बच्चे सारा दिन या तो कम्यूटर या फिर मोबाइल में लगे रहते हैं। सोशल मीडिया के कारण स्पोर्टस एक्टिविटीज बिल्कुल कम हो गई है। आजकल की पढ़ाई के चलते भी बच्चों को सारा दिन बैठे रहना पड़ता है। इस वजह से न सिर्फ उनका वजन बढ़ता है, बल्कि डाइजेशन सिस्टम भी कमजोर हो जाता है।
2. खानपान की आदतें गलत होना
डॉ. बीर कहते हैं कि टीनएजर्स घर के खाने की बजाय बाहर का जंक फूड जैसेकि पिज्जा, बर्गर, मैगी, कोल्ड ड्रिंक्स, फ्रेंच फ्राइज जैसी तली-भुनी और प्रोसेस्ड चीजें बहुत ज्यादा खाते हैं। इन फूड आइटम्स को टीनएजर्स ने अपनी डाइट बना लिया है। इससे पेट में फैट और प्रिजर्वेटिव्स बढ़ जाते हैं और एसिड बढ़ाते हैं।
3. सोने और खाने-पीने का समय सही न होना
डॉ. वीर कहते हैं,”आजकल टीनएजर्स की एक और समस्या बहुत ज्यादा और वह है रातभर जागते रहने की। कई मामलों में तो देखा है कि टीनएजर्स की सुबह रात को ही होती है। वे इस समय या तो मोबाइल पर लगे रहते हैं या फिर काम पढ़ाई में बिजी रहते हैं। इस वजह से उनका पूरा शैड्यूल खराब हो जाता है। इससे खाने पीने पर भी असर पड़ता है और स्ट्रेस के चलते GERD की समस्याएं बढ़ जाती हैं।
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GERD के लक्षण - Symptoms of GERD in HINDI
डॉ. बीर कहते हैं कि वैसे तो GERD के लक्षण वैसे ही होते हैं, जैसे व्यस्कों में होते हैं। टीनएजर्स को इन लक्षणों पर खास ध्यान देना चाहिए।
- अगर खाना बार-बार मुंह में आ रहा है (Acid Reflux)
- बार-बार डकार आना और सीने में जलन महसूस होना
- हर समय पेट फूला हुआ महसूस होना
- उल्टी जैसा मन होना
- गले में खलाश या खांसी आना
इन लक्षणों के दिखने पर डॉक्टर से तुरंत मिलना चाहिए। ज्यादा देरी होने पर फूड की पाइप में सिकुड़न आ सकती है।
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GERD की जांच कैसे करें? - How to Check GERD in Hindi
डॉ. बीर कहते हैं कि डॉक्टर कुछ टेस्ट बताते हैं, जिनकी मदद से GERD बीमारी होने का पता लगाया जा सकता है।
एंडोस्कोपी - फूड पाइप में एंडोस्कोपी के जरिए चेक किया जाता है कि इसके नीचे वाला छल्ला खुला है या नहीं। खुला छल्ला होने पर GERD की समस्या हो सकती है।
24 घंटे की pH चेक करना - इस जांच में रोगी के पेट में छोटा सा कैथेटर नुमा डिवाइस पेट में डाला जाता है, जिससे पता किया जाता है कि दिनभर में एसिड कितनी बार पेट की नली में ऊपर आया है।
GERD से बचाव कैसे करें - How to Take Precautions in Hindi
डॉ. बीर कहते हैं कि टीनएजर्स को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए जिससे पेट से जुड़ी बीमारियां कम हो सकती हैं।
- सबसे पहले अपनी डाइट से तली-भुनी और मसालेदार मैदे वाली चीज़ों के बाहर करें
- हरी सब्जियां और मौसमी फल खाएं।
- रोजाना फिजिकल एक्टिविटी करें।
- अगर स्कूल या कॉलेज जाते हैं, तो कुछ करें कि कुछ देर पैदल चलें।
- वजन को कंट्रोल में रखें। अपने BMI को 25 से नीचे रखें।
- अगर आपको BMI चेक करना नहीं आता, तो अपनी लंबाई को सेमी में लिखें और उसमें से 100 घटा दें।
- सोने का समय एक रखने की कोशिश करें और रात को सो जाएं।
निष्कर्ष
डॉ. बीर कहते हैं कि GERD सिर्फ बड़ों की समस्या नहीं रहती बल्कि अगर टीनएजर्स का खानपान और लाइफस्टाइल सही न हो, तो वे भी पेट की जुड़ी बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं। इसलिए अगर लक्षणों को पता चले, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें और इलाज शुरू कराएं।