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उल्टी की समस्या में जटामांसी कैसे करें इस्तेमाल? आयुर्वेदाचार्य से जानें

उल्टी की समस्या होने पर जटामांसी जिसे बालछड़ भी कहते हैं उपयोग किया जा सकता है। यहां जानिए, उल्टी की समस्या में जटामांसी का उपयोग कैसे करें?
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उल्टी की समस्या में जटामांसी कैसे करें इस्तेमाल? आयुर्वेदाचार्य से जानें


आजकल की भागदौड़ और तनाव से भरी लाइफस्टाइल, साथ ही अनियमित खानपान, नींद की कमी और प्रदूषण का सीधा असर हमारे पाचन तंत्र और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। इसी का एक आम लक्षण है बार-बार उल्टी या मतली आना। यह समस्या कभी गर्मियों में तेज धूप लगने से, कभी गलत खानपान से, तो कभी गैस्ट्रिक इंफेक्शन या माइग्रेन जैसी स्थितियों में भी देखने को मिलती है। कुछ लोगों को तो ट्रेवल या तनाव के कारण भी मतली और उल्टी की शिकायत होती है। आयुर्वेद के अनुसार, जब शरीर में पित्त बढ़ जाता है, तो यह पेट और मस्तिष्क को प्रभावित करता है, जिससे उल्टी, मतली, सिरदर्द और बेचैनी जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। ऐसे में आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का सेवन शरीर को संतुलित और शांत करने का प्राकृतिक तरीका है। इन्हीं में से एक है जटामांसी जिसे बालछड़ भी कहा जाता है। जटामांसी की जड़ मानसिक शांति देने के लिए जानी जाती है, लेकिन आयुर्वेदाचार्य बताते हैं कि यह पाचन संबंधी समस्याओं खासकर उल्टी की स्थिति में भी बेहद फायदेमंद है। इस लेख में रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital) से जानिए, उल्टी की समस्या में जटामांसी का उपयोग कैसे करें और इसके क्या फायदे हैं?

जटामांसी क्या है और इसके औषधीय गुण

आयुर्वेदाचार्य डॉ. श्रेय शर्मा के अनुसार, जटामांसी की जड़ें औषधीय गुणों से भरपूर होती हैं और मानसिक शांति से लेकर उल्टी जैसी पाचन समस्याओं तक में लाभ देती हैं। आयुर्वेद में इसे मुख्यरूप से मानसिक तनाव, अनिद्रा, चक्कर आना, सिरदर्द और उल्टी की समस्या के लिए प्रयोग में लाया जाता है। इसकी तासीर ठंडी मानी जाती है, इसलिए यह गर्मी के कारण होने वाली उल्टी (ulti ka ayurvedic ilaaj) में विशेष लाभदायक है।

जटामांसी की जड़ें शरीर में उत्पन्न अतिरिक्त पित्त और कफ को संतुलित करने में मदद करती हैं। जब पेट में अम्लता या गैस के कारण मतली या उल्टी जैसा महसूस होता है, तो जटामांसी का सेवन पेट को ठंडक पहुंचाकर राहत देता है। इसके साथ ही, इसका शांतिदायक गुण मस्तिष्क को भी शांति देता है, जिससे मन की बेचैनी और घबराहट कम होती है।

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उल्टी की समस्या में जटामांसी का उपयोग कैसे करें? - How To Consume Jatamansi to Stop Vomiting

डॉ. श्रेय शर्मा बताते हैं कि जटामांसी का सेवन रात में भिगोकर और सुबह उबालकर करना चाहिए। यह तरीका सबसे सुरक्षित और असरदार माना जाता है। 2 से 3 ग्राम जटामांसी की सूखी जड़ का चूर्ण लें और इसे रात में एक गिलास पानी में भिगोकर रख दें। सुबह उठकर इस पानी को उबालें और जब यह हल्का गर्म हो जाए, तब खाली पेट (ulti ka ayurvedic upchar) पिएं। यदि इसका स्वाद कड़वा या तीखा लगे, तो इसे धीरे-धीरे आराम से पीना चाहिए। डॉक्टर बताते हैं कि कुछ लोगों को इसका स्वाद अप्रिय लग सकता है और इससे और अधिक मतली आ सकती है, इसलिए जरूरी है कि इसे धीरे-धीरे सेवन करें।

ulti ka ayurvedic ilaaj

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जटामांसी के फायदे

उल्टी के अलावा जटामांसी के कई अन्य आयुर्वेदिक लाभ भी हैं, यह मस्तिष्क को शांत करती है और बेहतर नींद में मदद करती है। इसके अलावा इसकी ठंडी तासीर सिरदर्द को कम करती है। साथ ही यह अग्नि (जठराग्नि) को संतुलित कर अपच और गैस की समस्या में राहत देती है।

जटामांसी एक सुरक्षित जड़ी-बूटी मानी जाती है, लेकिन कुछ स्थितियों में सावधानी आवश्यक है।गर्भवती महिलाएं इसके सेवन से पहले चिकित्सकीय सलाह जरूर लें और यदि कोई व्यक्ति पहले से कोई एलोपैथिक दवा ले रहा है, तो जटामांसी का सेवन डॉक्टर की निगरानी में करें।

निष्कर्ष

उल्टी या मतली की समस्या होने पर अक्सर हम तत्काल राहत के लिए दवाओं की ओर भागते हैं, लेकिन आयुर्वेद में ऐसे कई प्राकृतिक विकल्प (ulti ka ayurvedic ilaaj) हैं जो बिना किसी साइड इफेक्ट के राहत दे सकते हैं। डॉ. श्रेय शर्मा के अनुसार, यदि जटामांसी सही मात्रा और विधि से ली जाए, तो यह शरीर को संतुलन में रखती है और उल्टी की समस्या से स्थायी राहत देती है।

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FAQ

  • उल्टी होने का मुख्य कारण क्या है?

    उल्टी होने के कई कारण हो सकते हैं, इसके मुख्य कारणों में पाचन तंत्र की गड़बड़ी, अम्लता (Acidity), फूड पॉइजनिंग, माइग्रेन, धूप लगना, तनाव, गर्भावस्था और सफर के दौरान मोशन सिकनेस शामिल हैं। इसके अलावा ज्यादा तेल-मसाले वाला खाना, अनियमित भोजन करना या खराब लाइफसटाइल भी उल्टी की वजह बन सकते हैं। उल्टी का सही कारण जानकर ही उचित इलाज या घरेलू उपाय करना जरूरी होता है।
  • उल्टी आने पर क्या खाना चाहिए?

    उल्टी आने पर पेट को आराम देने वाले हल्के और सुपाच्य भोजन का सेवन करना चाहिए। सबसे पहले शरीर में पानी की कमी न हो, इसके लिए नींबू पानी, नारियल पानी या इलेक्ट्रोलाइट वाला पानी पिएं। भोजन में खिचड़ी, सादा दलिया, उबले हुए चावल और दाल का पानी लेना फायदेमंद होता है। दही और मट्ठा भी पेट को शांत करता है। तले-भुने, मसालेदार, खट्टे और भारी भोजन से परहेज करें। खाना थोड़ी-थोड़ी मात्रा में और धीरे-धीरे खाना चाहिए ताकि पाचन तंत्र पर जोर न पड़े।
  • जटामांसी किस काम आती है?

    जटामांसी एक आयुर्वेदिक औषधीय जड़ी-बूटी है जो कई शारीरिक और मानसिक समस्याओं में लाभकारी मानी जाती है। इसका उपयोग विशेष रूप से तनाव, अनिद्रा, उल्टी और मानसिक बेचैनी को कम करने के लिए किया जाता है। जटामांसी की जड़ें मस्तिष्क को शांत करती हैं और तंत्रिका तंत्र को मजबूत बनाती हैं।

 

 

 

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