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स्‍ट्रेस-एंग्‍जाइटी दूर करने में कारगर है जटामांसी, इन एक्‍सपर्ट ट‍िप्‍स के साथ करें सेवन

जटामांसी आयुर्वेद की खास औषधि‍ है जो स्‍ट्रेस और एंग्‍जाइटी को दूर करती है और मानस‍िक शांति‍ देती है। यह तंत्र‍िका तंत्र को र‍िलैक्‍स करती है, नींद को सुधारती है और मानस‍िक स्‍वास्‍थ्‍य को बेहतर बनाती है। जानें इसका सेवन करने के तरीके।
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स्‍ट्रेस-एंग्‍जाइटी दूर करने में कारगर है जटामांसी, इन एक्‍सपर्ट ट‍िप्‍स के साथ करें सेवन


जटामांसी (Jatamansi) एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है जिसे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है। यह हर्ब, हिमालय की ऊंची चोटियों पर उगती है और इसकी जड़ आयुर्वेद में औषधीय रूप में इस्तेमाल की जाती है। जटामांसी का स्वाद कड़वा और खुशबूदार होता है। इसका तेल और चूर्ण आयुर्वेद में प्राचीन काल से इस्तेमाल होता रहा है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेड‍िस‍िन के एक अध्ययन में शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे क‍ि जटामांसी का अर्क (100-200 एमजी) 21 दिनों तक ल‍िए जाने पर, स्‍ट्रेस (Stress) के कारण सीखने और याद रखने की क्षमता की कमी को काफी हद तक रोका जा सकता है। इस लेख में एक्‍सपर्ट की मदद से हम जानेंगे क‍ि जटामांसी, स्‍ट्रेस और एंग्‍जाइटी को कैसे दूर करता है और इसका सेवन कैसे करें? इस व‍िषय पर बेहतर जानकारी के ल‍िए हमने Ayurveda Expert Dr. Shrey Sharma, Ramhans Charitable Hospital, Haryana से बात की।

जटामांसी के फायदे- Health Benefits Of Jatamansi

  • Ayurveda Expert Dr. Shrey Sharma ने बताया क‍ि जटामांसी का सेवन करने से नाड़ी तंत्र पर अच्‍छा प्रभाव पड़ता है। हाइपरएक्‍ट‍िव लोगों के द‍िमाग को शांत करने के ल‍िए यह एक फायदेमंद जड़ी-बूटी है।
  • जो लोग र‍िलैक्स नहीं हो पाते हैं, वो जटामांसी का सेवन कर सकते हैं।
  • जटामांसी से मसल्‍स में होने वाली स्‍ट‍िफनेस दूर होती है।
  • जटामांसी से पित्त दोष के कारण होने वाली एंग्‍जाइटी (Anxiety) दूर होती है।
  • जटामांसी का सेवन करने से मसल्‍स र‍िलैक्‍स होती हैं।

स्‍ट्रेस-एंग्‍जाइटी दूर करने के ल‍िए जटामांसी का सेवन कैसे करें?- How To Consume Jatamansi For Stress And Anxiety Relief

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  • Ayurveda Expert Dr. Shrey Sharma ने बताया क‍ि वयस्‍कों को 2 से 5 ग्राम जटामांसी का सेवन करने की सलाह दी जाती है। अगर टॉप डोज दे रहे हैं, तो 5 ग्राम लें वरना 2 ग्राम ही एक व्‍यक्‍त‍ि के ल‍िए काफी है।
  • जटामांसी के चूर्ण को पानी के साथ म‍िलाकर रात में रखें और सुबह गुनगुने पानी में म‍िलाकर काढ़ा बनाकर प‍िएं।
  • जटामांसी के चूर्ण का सेवन बगैर पानी के सीधे भी कर सकते हैं।
  • जटामांसी को घी के साथ म‍िलाकर भी सेवन क‍िया जा सकता है।
  • जटामांसी का सेवन करने से पहले डॉक्‍टर से सलाह लें।

इसे भी पढ़ें- आयुर्वेद में जटामांसी से होता है कई बीमारियों का इलाज, जानें इसके फायदे और नुकसान

जटामांसी का सेवन करने से पहले इन बातों का ख्‍याल रखें- Precautions Before Consuming Jatamansi

जटामांसी का सेवन करने से पहले इन बातों का खास ख्‍याल रखें-

  • अच्‍छी कंपनी की जटामांसी ही खरीदना चाह‍िए क्‍योंक‍ि बाजार में नकली जटामांसी भी म‍िलता है ज‍िसमें से प्राकृत‍िक तेल हटा द‍िया जाता है ज‍िससे जड़ी-बूटी का असर कम हो जाता है।
  • बच्‍चों और गर्भवती मह‍िलाओं को जटामांसी का सेवन नहीं करना चाह‍िए।
  • पुरुष और मह‍िला दोनों ही इसका सेवन कर सकते हैं।
  • लंबे समय तक जटामांसी का सेवन क‍िया जा सकता है।

न‍िष्‍कर्ष:

जटामांसी का सेवन मानसिक तनाव (Stress) और एंग्जाइटी (Anxiety) को कम करता है इसल‍िए इसे आयुर्वेद में द‍िमाग और तंत्रिका तंत्र को शांत करने वाली (Sedative) औषधि‍ कहा गया है। स्‍ट्रेस या एंग्‍जाइटी को दूर करने के ल‍िए जटामांसी को काढ़ा या चूर्ण के फॉर्म में ले सकते हैं।

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image credit: indiamart 

FAQ

  • जटामांसी क्‍या है? 

    जटामांसी एक खुशबूदार और कड़वे स्‍वाद वाली जड़ी-बूटी है। यह हि‍मालय के पहाड़ों में पाई जाती है। मानस‍िक स्‍वास्‍थ्‍य के ल‍िए इसे फायदेमंद माना जाता है क्‍योंक‍ि इसमें द‍िमाग को शांत करने वाले गुण होते हैं।
  • जटामांसी के फायदे क्‍या हैं?

    जटामांसी का सेवन करने से स्‍ट्रेस, एंग्‍जाइटी दूर होती है और अन‍िद्रा की समस्‍या दूर होती है। पाचन को सुधारने और एनर्जी को बढ़ाने के ल‍िए भी यह जड़ी-बूटी फायदेमंद मानी जाती है।
  • जटामांसी का सेवन कैसे करें?

    जटामांसी का सेवन काढ़ा या चूर्ण के फॉर्म में क‍िया जा सकता है। इसे गुनगुने पानी और घी के साथ भी ले सकते हैं। जटामांसी का इस्‍तेमाल लंबे समय तक भी क‍िया जा सकता है, लेक‍िन इस्‍तेमाल से पहले डॉक्‍टर की सलाह लें।

 

 

 

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  • Current Version

  • Sep 29, 2025 13:24 IST

    Modified By : Yashaswi Mathur
  • Sep 29, 2025 13:24 IST

    Published By : Yashaswi Mathur

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