
हवा, पानी, मिट्टी और यहां तक कि इंसान के शरीर के टिशूज में भी अब माइक्रोप्लास्टिक पाए जा रहे हैं। ये बहुत छोटे प्लास्टिक कण होते हैं, आमतौर पर पांच मिलीमीटर से भी छोटे जो बड़े प्लास्टिक उत्पादों के टूटने से बनते हैं। नई रिसर्च बताती है कि ये ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस, इंफ्लेमेशन और कई अंगों पर लंबे समय के खतरे बढ़ा सकते हैं, इसलिए जहां तक भी संभव हो, इनसे बचना हमारी समझदारी है। इस लेख में जानेंगे कि माइक्रोप्लास्टिक क्या होते हैं, इनसे सेहत पर क्या असर पड़ता है और इसके असर से कैसे बच सकते हैं? इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने Dr. M. Sheetal Kumar,Consultant Physician & Diabetologist, Yashoda Hospitals, Hyderabad से बात की।
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माइक्रोप्लास्टिक क्या हैं?- What Is Microplastic
बोतलें, पैकेजिंग, सिंथेटिक कपड़े, टायर, पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स और इंडस्ट्रियल प्रक्रियाएं, इन सबके टूटने से माइक्रोप्लास्टिक बनते हैं। ये ब्लड, फेफड़ों, प्लेसेंटा और पाचन तंत्र में भी पाए गए हैं। ये शरीर में ज्यादातर खाने-पीने की चीजों, पानी और धूल को सांस के साथ अंदर लेने से पहुंचते हैं।
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माइक्रोप्लास्टिक सेहत को कैसे प्रभावित करते हैं?- How Microplastic Affect Health
- लैब और पशुओं पर किए गए शोध बताते हैं कि माइक्रोप्लास्टिक शरीर में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस, सूजन, इम्यून सिस्टम में गड़बड़ और अंगों के काम में खराबी पैदा कर सकते हैं।
- इंसानों पर अभी शोध जारी है, लेकिन वैज्ञानिक इन्हें डायबिटीज जैसी मेटाबॉलिक बीमारियों, प्रजनन से जुड़ी समस्याओं, विकास संबंधी दिक्कतों और कैंसर के बढ़े हुए खतरे से भी जोड़कर देख रहे हैं।
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माइक्रोप्लास्टिक से बचने के 7 आसान तरीके- Healthy Ways To Avoid Microplastics

- खाने-पीने की चीजेंं रखने के लिए प्लास्टिक की जगह कांच या स्टील का इस्तेमाल करें, प्लास्टिक बोतलें कम इस्तेमाल करें।
- माइक्रोवेव में प्लास्टिक कंटेनर में खाना रखकर गर्म न करें, न ही बहुत गर्म पेय प्लास्टिक कप में डालें।
- घर में अच्छी क्वालिटी का आरओ या माइक्रोप्लास्टिक-कम करने वाला वाटर फिल्टर लगाएं और बोतलबंद पानी की जगह फिल्टर्ड टैप वॉटर पिएंं।
- ज्यादा पैकिंग वाली चीजों या प्रोसेस्ड फूड की जगह ताजा और कम पैक्ड वाले खाद्य पदार्थ चुनें।
- सिंथेटिक कपड़ों की धुलाई कम करें या फाइबर-कैचिंग लॉन्ड्री बैग का इस्तेमाल करें। प्राकृतिक कपड़े जैसे कॉटन, लिनेन, वूल अपनाएं।
- नॉन-स्टिक, प्लास्टिक कटिंग बोर्ड या प्लास्टिक कुकिंग टूल्स की जगह स्टील, कास्ट-आयरन या लकड़ी के बर्तन इस्तेमाल करें।
- सिंगल-यूज प्लास्टिक बैग, स्ट्रॉ, क्लिंग फिल्म, टेकअवे कंटेनर का इस्तेमाल कम करें और प्लास्टिक कचरा सही तरीके से डिस्पोज करें।
निष्कर्ष:
माइक्रोप्लास्टिक को पूरी तरह टालना संभव नहीं है क्योंकि ये अब पर्यावरण का हिस्सा बन चुके हैं, लेकिन रोजमर्रा की इन आसान आदतों से आप लाइफटाइम एक्सपोजर को काफी हद तक कम कर सकते हैं और हार्ट, फेफड़ों, हार्मोन और प्रजनन स्वास्थ्य को लंबे समय तक स्वस्थ रख सकते हैं।
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FAQ
माइक्रोप्लास्टिक क्या होता है?
माइक्रोप्लास्टिक बेहद छोटे प्लास्टिक कण होते हैं, जो बड़े प्लास्टिक उत्पादों के टूटने से बनते हैं। ये हवा, पानी, भोजन और धूल से शरीर में आते हैं और स्वास्थ्य पर बुरा असर डालते हैं।माइक्रोप्लास्टिक किसमें पाया जाता है?
माइक्रोप्लास्टिक प्लास्टिक बोतलों, पैकेजिंग, सिंथेटिक कपड़ों, टायरों, सौंदर्य उत्पादों वगैरह में पाया जाता है। यह नल के पानी, समुद्री भोजन, नमक, हवा और घरों की सतहों पर मौजूद छोटे कणों में पाया जाता है।माइक्रोप्लास्टिक के क्या नुकसान हैं?
माइक्रोप्लास्टिक शरीर में सूजन, ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और इम्यून सिस्टम में गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं। ये हार्मोनल असंतुलन और प्रजनन से जुड़ी समस्याओं के जोखिम को बढ़ाकर सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
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Nov 25, 2025 18:34 IST
Published By : Yashaswi Mathur