महिलाओं और पुरूषों में प्रजनन संबंधी या उम्र के हिसाब से कई रोग होते हैं। फिर भी, महिलाओं को विशेष स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं, जैसे कि ब्रेस्ट कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, मोनपोज और गर्भावस्था के समय होने वाली दिक्कतें आदि। पुरुषों की तुलना में महिलाओं कई प्रकार की प्रजनन संबंधी समस्याएं हो सकती है। कई महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान स्ट्रेस और डिप्रेशन जैसी परेशानियां हो सकती है। इसके अलावा महिलाओं में यूरिनरी ट्रैक्ट की स्थिति होती है, जिससे यौन संबंधित रोग होने की संभावना रहती है। आइए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं कि इससे कैसे बचाव किया जा सकता है। इसके बारे में हमसे विस्तार से बात की डाइट क्लीनिक और डॉक्टर हब क्लीनिक की डायटीशियन अर्चना बत्रा ने।
महिलाओं में होती है ये सामान्य प्रजनन समस्याएं
1. एंडोमेट्रियोसिस
एंडोमेट्रियोसिस एक ऐसा विकार है जिसमें गर्भाशय की लाइनिंग बनाने वाले ऊतक से मिलता हुआ ऊतक गर्भाशय की गुहा के बाहर विकसित होने लगता है। गर्भाशय की लाइनिंग को एंडोमेट्रियम कहते हैं। जब ओवरी, बाउल और पेल्विस की लाइनिंग के ऊतकों पर एंडोमेट्रियल टिश्यू विकसित होने लगते हैं, तब एंडोमेट्रियोसिस की समस्या उत्पन्न होती है। इसके कई लक्षण होते हैं, जैसे दर्दनाक पीरियड्स, पेशाब करने के दौरान दर्द का अनुभव करना, पेट में समय-समय पर सूजन, दस्त और कमजोरी हो सकती है। इस दौरान गर्म पानी से स्नान करें, दर्द वाले हिस्से की सिकाई करें या आप हार्मोनल थेरेपी की मदद से भी आप इस समस्या से राहत पा सकते हैं।
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2. सर्वाइकल कैंसर
सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में सर्विक्स की कोशिकाओं को इफेक्ट करता है। सर्विक्स यूट्रस के निचले भाग का हिस्सा है जो वेजाइना से जुड़ा होता है। सर्वाइकल कैंसर इस हिस्से की कोशिकाओं को इफेक्ट करता है। सर्वाइकल कैंसर के ज्यादातर मामले ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) के अलग-अलग तरह के एचपीवी स्ट्रेन्स के कारण होते हैं। इससे शरीर के इम्यून सिस्टम असर पड़ता है जबकि कुछ महिलाओं का इम्यून सिस्टम अगर अधिक कमजोर होता है, तो ये बीमारी अधिक खतरनाक हो सकती है। इसमें महिलाओं के पीरियड्स समय पर नहीं आते हैं और बहुत अधिक रक्तस्त्राव होता है। इसके अलावा अधिक दुर्गंध आती है। आप इससे संबंधित टीका लगाकर इस बीमारी को दूर कर सकते हैं।
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3. पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस)
पीसीओएस से ग्रस्त बहुत सी महिलाओं के शरीर में बहुत अधिक मात्रा में इंसुलिन होता है, जो टेस्टोस्टेरोन जैसे हार्मोनों के उत्पादन और गतिविधियां बढ़ने में योगदान करता है। वजन का बढ़े हुए होना आपके शरीर में पैदा होने वाले इंसुलिन की मात्रा में वृद्धि करता है। हार्मोनल असंतुलन से संबंधित है, जो ओव्यूलेशन को प्रभावित करता है और इसके कारण चेहरे पर बाल आना और गर्भवती होने या गर्भावस्था में दिक्कत आ सकती है। पीसीओएस से बचने के लिए आप तैलीय पदार्थ, मीठे और जंक फूड का सेवन न करें। इसके बदले आप हरी सब्जियां और खब पानी पिएं।
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4. एचआईवी
एचआईवी एक वायरस के कारण होने वाला संक्रमण है। यह असुरक्षित यौन संबध बनाने, संक्रमित व्यक्ति के रक्त के माध्यम से या गर्भावस्था या प्रसव के दौरान मां से बच्चे में फैल सकता है। यह माता-पिता से बच्चे में भी फैलने की आशंका बनी रहती है। इससे महिलाओं की प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है। इसके लक्षणों में बार-बार बुखार आना, थकावट, सिर दर्द होना, त्वचा पर सफेद धब्बे अथवा चकत्ते उभरना, गले में खराश, शरीर में खुजली अथवा जलन का होना और पेट दर्द जैसी परेशानी शामिल है। इससे बचाव के लिए आपको सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए। इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान लापरवाही न करें।
5. अधिक वजन
अधिक वजन के कारण महिलाओं में कई प्रजनन संबंधित समस्याएं हो सकती है। जैसे बांझपन, गर्भपात और गर्भवती होने में भी समस्याएं भी हो सकती है। इसके लिए आपको अपने वजन को हमेशा नियंत्रित रखना चाहिए। हरी सब्जियां और फल खाने चाहिए।
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