शरीर में मौजूद माइक्रोप्लास्टिक्स सेहत पर डाल सकते हैं बुरा असर, जानें प्लास्टिक के कणों से कैसे करें बचाव

माइक्रोप्लास्टिक्स सेहत के लिए हानिकारक होते हैं, जो सेहत पर बुरा असर डाल सकते हैं। स्वास्थ्य रहने के लिए इन बातों पर खास ध्यान दें। 
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शरीर में मौजूद माइक्रोप्लास्टिक्स सेहत पर डाल सकते हैं बुरा असर, जानें प्लास्टिक के कणों से कैसे करें बचाव

प्लास्टिक न सिर्फ पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि ये हमारे शरीर के लिए भी हानिकारक होता है। रोजाना हम अनजाने में ही सही लेकिन प्लास्टिक के छोटे-छोटे कणों को पानी या खाने के माध्यम से अपने शरीर के अंदर लेते हैं। माइक्रोप्लास्टिक्स छोटे प्लास्टिक कण होते हैं, जिनका आकार 5 मिलीमीटर से कम होता है, जो बड़ी प्लास्टिक की चीजों के टूटने के कारण उत्पन्न होता है, जिसके सेवन से शरीर में माइक्रोप्लास्टिक जमा हो जाता है और सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है। होम्योपैथ एवं पोषण विशेषज्ञ डॉ. स्मिता भोईर पाटिल ने सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर करके शरीर के लिए इससे होने वाले नुकसान और बचाव के तरीके बताए हैं। 

माइक्रोप्लास्टिक्स मानव स्वास्थ्य के लिए खराब क्यों हैं? - Why Are Microplastics Bad For Human Health in Hindi?

डॉ. स्मिता भोईर पाटिल के अनुसार, “प्लास्टिक की 1 लीटर बोतल में माइक्रोप्लास्टिक के 2,40,000 छोटे टुकड़े होते हैं। माइक्रोप्लास्टिक फूड्स और पेय पैकेजिंग और यहां तक कि हवा के माध्यम से हमारे शरीर में घुस रहे हैं। माइक्रोप्लास्टिक एंडोक्राइन सिस्टम को बाधित कर सकता है, जिससे हार्मोनल समस्याएं, मासिक धर्म की अनियमितताएं, महिलाओं में प्रजनन संबंधी समस्याएं और पुरुषों और महिलाओं दोनों में बांझपन की समस्या हो सकती है।”

माइक्रोप्लास्टिक से होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं क्या हैं? - What Are The Harmful Effects Of Microplastics For Health in Hindi?

  • इंफ्लेमेशन- माइक्रोप्लास्टिक शरीर में इंफ्लेमेशन प्रतिक्रिया को ट्रिगर कर सकते हैं। पुरानी सूजन कई स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ी होती है, जिसमें दिल से जुड़ी बीमारी, गाठिया का दर्द, न्यूरोडीजेनेरेटिव डिसऑर्डर शामिल हैं।
  • केमिकल एक्सपोजर- माइक्रोप्लास्टिक्स पर्यावरण से हानिकारक केमिकल्स को अवशोषित और जमा कर सकता है। ऐसा में जब ये केमिक आपके शरीर के अंदर जाते हैं, तो वे सामान्य सेलुलर कार्यों को बाधित कर सकते हैं और शरीर में जहर उत्पन्न कर सकते हैं।
  • हार्मोनल व्यवधान- कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि प्लास्टिक में पाए जाने वाले कुछ केमिकल, जैसे फेथलेट्स और बिस्फेनॉल ए, शरीर में हार्मोन की नकल कर सकते हैं या उनमें हस्तक्षेप कर सकते हैं। यह हार्मोनल व्यवधान प्रजनन संबंधी समस्याओं, विकास संबंधी समस्याओं और कुछ कैंसर के बढ़ते जोखिम में योगदान कर सकता है।
  • ऑर्गन डैमेज- माइक्रोप्लास्टिक शरीर के अंगों में जमा हो सकते हैं, जो संभावित रूप से समय के साथ ऑर्गन डैमेज का कारण बन सकता है। लीवर और किडनी जैसे अंग ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं क्योंकि ये शरीर में पदार्थों को फिल्टर करने और शरीर को डिटॉक्स करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • इम्यून सिस्टम पर प्रभाव- शरीर में मौजूद माइक्रोप्लास्टिक इम्यून सिस्टम को ट्रिगर कर सकती है, जिससे पुरानी प्रतिरक्षा प्रणाली सक्रिय हो सकती है और ऑटोइम्यून बीमारियों और अन्य प्रतिरक्षा-संबंधी डिसऑर्डर को बढ़ा सकते हैं। 

शरीर से माइक्रोप्लास्टिक कैसे हटाएं? - How Do You Remove Microplastics From The Body in Hindi? 

  • प्लास्टिक का उपयोग करने से बचें, खासकर सिंगर यूज प्लास्टिक जैसे प्लास्टिक बैग, कंटेनर और प्लास्टिक की पानी की बोतलें।
  • अपनी डाइट में एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर खाद्य पदार्थों, जैसे- जामुन, टमाटर, डार्क चॉकलेट, ग्रीन टी। एंटीऑक्सिडेंट शरीर में नेचुरल डिटॉक्सिफिकेशन प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो लीवर द्वारा मैनेज किया जाता है। नियमित रूप से एंटीऑक्सीडेंट खाद्य पदार्थ खाने से, लिवर को हमारे सिस्टम से माइक्रोप्लास्टिक हटाने में मदद मिलती है।
  • प्रोसेस्ड या अल्ट्रा प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें, क्योंकि यह लीवर पर अतिरिक्त काम करके डिटॉक्स प्रक्रिया को धीमा कर देता है।
  • अपने रूटीन में नियमित व्यायाम शामिल करें। एक्सरसाइज चयापचय को बढ़ावा देता है और हमारे शरीर को माइक्रोप्लास्टिक सहित डिटॉक्स पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है।

Image Credit- Freepik

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