Do Microplastics Cause Brain Damage: खाने-पीने की चीजों से लेकर पहनने तक चीज में प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है। प्लास्टिक की बोतल, प्लास्टिक का चम्मच और प्लास्टिक में पैक्ड फूड नए जमाने का फैशन बन गए हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि प्लास्टिक से बनी चीजों का इस्तेमाल करने से हमारे शरीर में माइक्रोप्लास्टिक के कण पहुंच रहे हैं। माइक्रोप्लास्टिक के ये कण शरीर को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाते हैं। दुनिया का हर व्यक्ति रोजाना प्लास्टिक वाले बर्तन या पैक्ड फूड्स की पैकिंग में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक का इस्तेमाल करते हैं। माइक्रोप्लास्टिक दरअसल प्लास्टिक के ही कण हैं। इसकी वजह से वैश्विक स्तर पर परेशानियां शुरू होने लग गयी हैं। हाल ही में सामने आए एक शोध में यह कहा गया है कि माइक्रोप्लास्टिक आपके दिमाग तक पहुंचकर दिमाग की सेल्स को डैमेज कर सकता है।
सेहत और खानपान से जुड़ी ऐसी बातों की सच्चाई बताने के लिए हम 'धोखा या हकीकत' नाम से एक सीरीज चला रहे हैं। इसके तहत हम आपको ऐसी ही बातों की सच्चाई डॉक्टर या एक्सपर्ट के जरिए देने की कोशिश कर रहे हैं। ओनलीमायहेल्थ की स्पेशल Fact Check सीरीज 'धोखा या हकीकत' में आइए जानते हैं, क्या सच में माइक्रोप्लास्टिक्स दिमाग तक जाकर इसे डैमेज कर सकते हैं?
क्या माइक्रोप्लास्टिक्स दिमाग तक जाकर इसे डैमेज कर सकते हैं?- Do Microplastics Cause Brain Damage in Hindi
हमारे वातावरण में हर तरफ प्लास्टिक मौजूद हैं। साइंस डायरेक्ट की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि माइक्रोप्लास्टिक के कण आपके दिमाग को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाते हैं। शोध में यह कहा गया है कि माइक्रोप्लास्टिक के कण तंत्रिका तंत्र, दिमाग में सूजन और ऊतकों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं। चूहों पर हुए इस अध्ययन में कहा गया है कि माइक्रोप्लास्टिक का असर सभी स्तनपायी जीवों में देखने को मिल रहा है। इसकी वजह से अल्जाइमर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है।
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माइक्रोप्लास्टिक क्या है?- What is Microplastic in Hindi
बाबू ईश्वर शरण हॉस्पिटल के सीनियर फिजिशियन डॉ. समीर कहते हैं कि, "माइक्रोप्लास्टिक के खतरों को लेकर वैश्विक मंचों पर तेजी से बातें उठ रही हैं। माइक्रोप्लास्टिक दरअसल 5 मिलीमीटर की लंबाई से कम वाले प्लास्टिक के कण होते हैं, जो किसी न किसी रूप में शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। इनका इस्तेमाल खाद्य प्रोडक्ट्स के पैकिंग, इंडस्ट्रियल प्रोसेस समेत कई चीजों में किया जाता है।" इसके अलावा सेकेंडरी माइक्रोप्लास्टिक्स पानी की बोतलों, कोल्ड ड्रिंक और सोडा की बोतलों के साथ माइक्रोवेव कंटेनर अदि में पाए जाते हैं।
डॉ समीर ने कहा कि माइक्रोप्लास्टिक के खतरे को पूरी तरह से नकारा नहीं जा सकता है। हालांकि इसका दिमाग पर कितना असर हो रहा है, इसकी जानकारी के लिए अभी और शोध करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि माइक्रोप्लास्टिक और नैनोप्लास्टिक हमारे शरीर को कई तरह से नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसकी वजह से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा रहता है।
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