हाल के दिनों में सामने आये एक रिसर्च में यह कहा गया था कि इंसान के खून में पहली बार माइक्रोप्लास्टिक के कण मिले हैं जिसके बाद अब सामने आये एक नए शोध ने सबको चौंका दिया है। यूनिवर्सिटी ऑफ हल और हल यॉर्क मेडिकल स्कूल (University of Hull and Hull York Medical School) की एक रिसर्च के मुताबिक फेफड़े के सबसे गहरे हिस्से में प्लास्टिक के छोटे-छोटे कण पाए गए हैं। वैज्ञानिकों द्वारा किये गए इस शोध में कहा गया है कि इंसान के फेफड़ों तक ये माइक्रोप्लास्टिक के कण सांस के जरिए पहुंच रहे हैं। ऐसे समय में जब इंसान रोजाना किसी न किसी काम में प्लास्टिक का इस्तेमाल कर रहा है, फेफड़ों में माइक्रोप्लास्टिक की मौजूदगी बहुत खतरनाक हो सकती है। शोध करने वाले वैज्ञानिक इन प्लास्टिक के टुकड़ों की जांच कर रहे हैं और इंसान के स्वास्थ्य पर इसकी वजह से पड़ने वाले असर के बारे में जानकारी जुटा रहे हैं। इस शोध में बताया गया है कि जिन लोगों के फेफड़ों में माइक्रोप्लास्टिक के ये कण मिले हैं उनमें से सबसे ज्यादा मात्रा पॉलिप्रॉपिलीन की पायी गयी है। ये वही पॉलिप्रॉपिलीन है जिसका इस्तेमाल प्लास्टिक के थैलों को बनाने में किया जाता है।
लंग्स तक प्लास्टिक के कण कैसे पहुंच रहे हैं? (Microplastics in Human Lung in Hindi)
इस शोध में शामिल वैज्ञानिकों ने बताया है कि इंसान के फेफड़ों में पहली बार माइक्रोप्लास्टिक के कण पाए गए हैं। ये प्लास्टिक ज्यादातर हवा में मौजूद कणों के माध्यम से इंसान के फेफड़ों तक पहुंचे हैं। अवध हॉस्पिटल के चेस्ट स्पेशलिस्ट और पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ एस के मेहरा के मुताबिक हमारे शरीर में कई तरीके से माइक्रोप्लास्टिक के कण प्रवेश कर सकते हैं। कई बार ऐसा भी देखा गया है कि नॉनवेज खाने के जरिए इंसान के शरीर में माइक्रोप्लास्टिक की एंट्री हुई है। आज के समय में प्लास्टिक लोगों के जीवन का अहम हिस्सा बन चुकी है। बाजार से सब्जियां लाने से लेकर खाने को पैक करने तक में प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिन फेफड़ों तक माइक्रोप्लास्टिक के कण हवा में मौजूद कणों के रूप में सांस के जरिए ही पहुंच सकते हैं।
सांइस ऑफ द टोटल इन्वायरमेंट नाम के जर्नल में प्रकाशित शोध में भी काफी हद तक यह बताया गया है कि फेफड़ों में माइक्रोप्लास्टिक के कण सांस के जरिए ही पहुंच रहे हैं। इस शोध में जांच में लिए गए 13 सैंपल में से 11 के फेफड़ों के टिश्यू में 39 तरह के माइक्रोप्लास्टिक पाए गए हैं। इनमें से ज्यादातर मात्रा पॉलिप्रॉपिलीन की है उसके बाद दूसरे नंबर पर PET है जिसका इस्तेमाल प्लास्टिक की बोतलों को बनाने के लिए किया जाता है।
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फेफड़ों में माइक्रोप्लास्टिक के पहुंचने से होने वाले नुकसान (Effects of Microplastics in Human Lung in Hindi)
शरीर में माइक्रोप्लास्टिक के कणों के पहुंचने से आपको कई तरह की गंभीर बीमारियों का खतरा रहता है। इसकी वजह से आपको कैंसर और टिश्यू से जुड़ी कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। ये प्रदूषित कण अगर आपके शरीर में लंबे समय तक बने रहते हैं तो इसकी वजह से अस्थमा की बीमारी, कैंसर और सांस से जुड़ी कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। फिलहाल इंसान के फेफड़ों के अंदरूनी टिश्यूज में मिले माइक्रोप्लास्टिक के कणों को लेकर शोध अभी भी जारी है। वैज्ञानिक इसकी वजह से इंसान के शरीर पर होने वाले नुकसान को लेकर शोध कर रहे हैं।
शरीर में माइक्रोप्लास्टिक के कण को पहुंचने से रोकने के लिए क्या करें? (Prevention Tips for Microplastics in Human Lung in Hindi)
ऐसे समय में जब प्लास्टिक हमारे जीवन का अहम हिस्सा बना गया है, माइक्रोप्लास्टिक के कणों को शरीर में पहुंचने से रोकने के लिए आपको कई जरूर कदम उठाने पड़ेंगे। हमारे आसपास कई रूप में प्लास्टिक मौजूद हैं। आपके खाने-पीने को पैक करने वाले सामान से लेकर बाजार से सब्जी या फल लाने वाली पन्नी और मोबाइल व पानी की बोतल सब प्लास्टिक से बने होते हैं। इनको बनाने में इस्तेमाल होने वाले माइक्रोप्लास्टिक सेहत के लिए बहुत नुकसानदायक माने जाते हैं। जिस प्लास्टिक की साइज 5 मिलीमीटर से कम होता है उन्हें माइक्रोप्लास्टिक कहते हैं। शरीर में माइक्रोप्लास्टिक के कण जाने से रोकने के लिए आपको इन बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए।
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- प्लास्टिक के बर्तनों की जगह स्टील या दूसरे बर्तन का इस्तेमाल।
- प्रदूषित हवा में निकलने से पहले मास्क का इस्तेमाल।
- प्लास्टिक के कप में चाय पीने की जगह कांच या कुल्हड़ का इस्तेमाल करें।
- प्लास्टिक के कचरे खुले में न फेंके।
- प्लास्टिक के बोतलों की जगह पानी पीने के लिए कांच या तांबे के बोतलों का इस्तेमाल।
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ऊपर बताई गयी सावधानी बरतने से आप माइक्रोप्लास्टिक के कणों को शरीर में प्रवेश करने से रोक सकते हैं। प्रदूषित हवा में सांस लेना आपके लिए काफी खतरनाक हो सकता है इसलिए आपको बाहर निकलते समय हमेशा मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए। कपड़े, खाने-पीने की चीजें और खिलौनों आदि के जरिए हमारे शरीर में 7000 से ज्यादा माइक्रोप्लास्टिक के कण प्रवेश कर सकते हैं। इनसे बचाव के लिए प्लास्टिक का इस्तेमाल कम करना बहुत जरूरी है।
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