आज के समय में हम अपने चारों तरफ प्लास्टिक से घिरे हैं। हमारे खाने से लेकर सोने, उठने और पानी पीने की चीजें तक प्लास्टिक की बनी होती है। आमतौर हमारा ध्यान इससे होने वाले नुकसान पर नहीं जाता है क्योंकि प्लास्टिक इस्तेमाल करने में आसान और काफी कम खर्चीला होता है। इसे आप आसानी से कहीं भी ले जा सकते हैं और यह आसानी से रिसाइक्ल भी हो जाता है। इसलिए ये अनुमान लगाया जा रहा है कि लाख प्रयास के बाद भी आने वाले समय में प्लास्टिक का इस्तेमाल और अधिक बढ़ेगा। हालांकि कई कंपनियां इस बात का दावा करती है कि वे अपने उत्पादों में अच्छी गुणवत्ता वाले प्लास्टिक का इस्तेमाल करते हैं लेकिन ये प्लास्टिक कई तरह के रिएक्शन के बाद आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं। हाल ही में प्लास्टिक से संबंधित ऐसी ही स्टडी सामने आई है, जिसमें यह दावा किया गया है कि माइक्रोप्लास्टिक कैसे इंसान के खून में मिलकर उन्हें नुकसान पहुंचा रहे हैं। आइए इस स्टडी के बारे में विस्तार से जानते हैं।
स्टडी में इन बातों का किया गया खुलासा
जनरल एनवायरनमेंट इंटरनेशनल में छपी रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों द्वारा शोध किए गए 80 प्रतिशत व्यक्तियों के रक्त में माइक्रोप्लास्टिक पाया गया है। इसके अलावा स्टडी में यह बात सामने आई है कि मानव शरीर में माइक्रोप्लास्टिक घूम सकता है और शरीर के कई महत्वपूर्ण हिस्सों को नुकसान पहुंचा सकता है। शोधकर्ताओं ने इस बात पर चिंता जताई है कि अगर स्थिति यही रहती है तो यह मानव शरीर की कोशिकाओं को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। माइक्रोप्लास्टिक के प्रभाव के कारण शख्स की मौत कम उम्र में भी हो सकती है। हम आपको बताते दें कि इस शोध में 22 अलग-अलग लोगों के खून के नमूने लिए गए थे और इनमें से अधिकतर लोगों के खून में पीईटी प्लास्टिक, जो आमतौर पर पीने की बोतलों में पाया जाता है। इसमें एक तिहाई मात्रा में पॉलीस्टाइनिन होता है, जिसका उपयोग भोजन और अन्य उत्पादों की पैकेजिंग के लिए किया जाता है। इसके अलावा इसमें पॉलीइथाइलीन था, जिसका इस्तेमाल प्लास्टिक बैग बनाने में किया जाता है। माइक्रोप्लास्टिक का आकार 0.0007mm होता है, जो शरीर में आसानी से आवागमन कर सकते हैं।
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कैसे नुकसान पहुंचा सकते हैं
यह बात हम सभी जानते हैं कि प्लास्टिक से हमारे शरीर को कई नुकसान होते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि ये आपकी लाल रक्त कोशिकाओं की बाहरी झिल्लियों से चिपक जाते हैं और ऑक्सीजन के प्रवाह को बाधित कर सकते हैं, जिससे शरीर की कोशिकाओं में ऑक्सीजन में कमी आ सकती है। इसके अलावा इससे आपके इम्यून सिस्टम पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। यह धीरे-धीरे आपके शरीर को कमजोर बना सकता है और आपकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है। यह गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों के लिए भी हानिकारक हो सकता है। इसके अलावा यह फेफड़ों, हृदय, मस्तिष्क और पाचन तंत्र को प्रभावित करता है। माइक्रो और नेनो प्लास्टिक मानव शरीर की संरचना पर असर डाल सकते हैं।
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किन चीजों में पाए जाते हैं माइक्रो प्लास्टिक्स
ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि आज के समय में हम अपने चारों और प्लास्टिक से घिरे हुए है। सब्जियों की थैली से लेकर फूड्स को पैक करने के लिए प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही पानी पीने की बोतल, कॉफी-चाय कप, प्लास्टिक फेस मास्क, टी बैग्स, वेट टिश्यू, वाशिंग पाउडर, घर में रंगने के लिए इस्तेमाल होने वाले कलर और कई सौंदर्य उत्पादों में भी माइक्रोप्लास्टिक का इस्तेमाल किया जाता है। यह माइक्रोप्लास्टिक कई तरह से आपके शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। वैज्ञानिक इस बात की खोज में लगे है कि माइक्रोप्लास्टिक से शरीर को कैसे नुकसान हो सकता है और यह किस स्तर तक मानव शरीर के लिए हानिकारक है।
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क्या है उपाय
माइक्रोप्लास्टिक से बचने के लिए आप कई तरह के उपाय अपना सकते हैं। इसके लिए आपको बाजार जाने के लिए कपड़े की थैली का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके अलावा प्लास्टिक बोतल की जगह स्टील के बोतल या कांच के बोतल का इस्तेमाल करें। फूड पैकेजिंग में अच्छे प्लास्टिक या हो सके तो इसके अन्य विकल्प की तलाश करें। जिन कॉस्मेटिक उत्पादों में माइक्रोप्लास्टिक का इस्तेमाल किया जाता है। उनके उपयोग से बचें और बच्चों के लिए भी प्रोडक्ट्स खरीदते समय सावधानियां बरतें। कई चीजें हमारे खुद के हाथों में होती है। कई बार हम नुकसान जानते हुए भी प्लास्टिक की थैलियों मांगते हैं या उपयोग करते हैं। इससे आपकी समस्या बढ़ सकती है।
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