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कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसमें व्यक्ति की जान जाने का जोखिम होता है। इस बीमारी में सेल्स अनियंत्रित तरीके से शरीर के प्रभावित हिस्से में बढ़ने लगते हैं और शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाते हैं। कैंसर तब होता है जब सामान्य सेल्स बदल जाते हैं और ट्यूमर गांठ बन जाते हैं। कैंसर का इलाज करने के लिए डॉक्टर दो तरह की योजनाएं बनाते हैं, जो इसके इलाज के लिए बहुत जरूरी है- ट्यूमर ग्रेड और ट्यूमर स्टेज। यह दोनों शब्द सुनने में एक जैसे लग सकते हैं, लेकिन इसका काम और महत्व इलाज में अलग-अलग होते हैं। इसलिए, आइए देहरादून के कैलाश अस्पताल के कंसल्टेंट- सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. शाश्वत तिवारी से जानते हैं कैंसर की ग्रेडिंग और स्टेजिंग में क्या अंतर है? लेकिन, उससे पहले जानने की कोशिश करते हैं कि ये होते क्या हैं?
कैंसर की ग्रेडिंग क्या है? - What is Tumor Grade in Hindi?
ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. शाश्वत तिवारी के अनुसार, ट्यूमर ग्रेड का मतलब होता है कि कैंसर सेल्स कितनी असामान्य या बदली हुई दिखती हैं, जब उन्हें माइक्रोस्कोप के नीचे देखा जाता है। ऐसे मेें ग्रेडिंग की प्रक्रिया बायोप्सी के जरिए की जाती है। बायोप्सी में शरीर के किसी हिस्से से कैंसर वाले टिशू का छोटा सैंपल लिया जाता है और उसे पैथोलॉजिस्ट माइक्रोस्कोप से चेक किया जाता है। इस टेस्ट से पता चलता है कि कैंसर सेल्स सामान्य सेल्स से कितने अलग हैं और वे कितनी तेजी से बढ़ सकते हैं।
ट्यूमर ग्रेड आमतौर पर तीन तरह के होते हैं, जिसमें-
- लो ग्रेड: इसमें कैंसर सेल्स सामान्य सेल्स जैसे दिखते हैं, जो आपके शरीर में धीरे-धीरे बढ़ती हैं और इनके फैलने की संभावना कम होती है। लो ग्रेड कैंसर आमतौर पर कम आक्रामक होते हैं।
- इंटरमीडिएट ग्रेड: यह ग्रेड लो और हाई ग्रेड के बीच में आता है। इसमें कैंसर सेल्स कुछ हद तक असामान्य होती है और फैलने की संभावना मध्यम होती है।
- हाई ग्रेड: इसमें कैंसर सेल्स बहुत असामान्य दिखाई देते हैं और सामान्य सेल्स से बिल्कुल अलग होती हैं। ये तेजी से बढ़ती हैं और शरीर के अन्य हिस्सों में फैलने की संभावना ज्यादा होती है। हाई ग्रेड कैंसर को ग्रेड 3 कैंसर भी कहा जाता है, जो बहुत ज्यादा आक्रामक माना जाता है।
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ट्यूमर ग्रेड की मदद से डॉक्टर को यह समझने में मदद मिलती है कि पेशेंट का कैंसर कितना एक्टिव है और इलाज के दौरान कैसा रिएक्ट करेगा।
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ट्यूमर स्टेज क्या है? - What is Tumor Stage in Hindi?
ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. शाश्वत तिवारी ने बताया कि ट्यूमर स्टेज का मतलब होता है कि कैंसर शरीर में कितना फैल चुका है। कैंसर स्टेज से यह पता चलता है कि कैंसर सिर्फ एक जगह तक सीमित है या फिर शरीर के अन्य हिस्सों में भी पहुंच गया है। कैंसर स्टेजिंग के लिए डॉक्टर इमेजिंग तकनीकों की मदद लेते हैं।
कैंसर स्टेजिंग आमतौर पर 3 घटक हे होते हैं, जिसमें-
- T यानी ट्यूमर: यह बताता है कि ट्यूमर का आकार कितना बड़ा है और वह आसपास के टिशू में कितना फैल चुका है।
- N यानी नोड्स: इसमें पता चलता है कि कैंसर लिम्फ नोड्स तक पहुंच चुका है या नहीं। लिम्फ नोड्स को आमतौर पर लोग गिल्टी के रूप में भी जानते हैं। अगर कैंसर लिम्फ नोड्स में पहुंच जाता है तो बीमारी के फैलने की संभावना भी बढ़ जाती है।
- M यानी मेटास्टेटिक: इसमें पता चलता है कि कैंसर शरीर के किसी दूसरे अंगों जैसे फेफड़ों, लिवर, हड्डियों आदि में फैल चुका है या नहीं। अगर कैंसर अन्य अंगों में भी फैल गया है तो इसे मेटास्टेटिक कहा जाता है।
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ट्यूमर स्टेज की मदद से डॉक्टर को यह तय करने में मदद मिलती है कि कैंसर ठीक करने के लिए किस तरह का इलाज देना जरूरी है।
कैंसर स्टेजिंग और ग्रेडिंग में क्या अंतर है?
ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. शाश्वत तिवारी के मुताबिक कैंसर ग्रेड और कैंसर स्टेज दोनों ही कैंसर के इलाज के लिए बहुत जरूरी है, लेकिन इनके बीच के अंतर को भी समझना महत्वपूर्ण है-
- कैंसर ग्रेड में सेल्स की असामान्यता और कैंसर की आक्रामकता का पता चलता है, जबकि कैंसर स्टेज में कैंसर शरीर में कितना फैल चुका है इस बारे में जानकारी मिलती है।
- ग्रेडिंग में बायोप्सी और माइक्रोस्कोपिक टेस्ट किए जाते हैं, जबकि स्टेजिंग में CT, MRI, PET स्कैन जैसे इमेजिंग टेस्ट किए जाते हैं।
- कैंसर ग्रेडिंग करने का उद्देश्य कैंसर के व्यवहार और प्रतिक्रिया को समझना है। वहीं, कैंसर स्टेज करने का उद्देश्य कैंसर के इलाज की रणनीति और इलाज के दायरे को तय करना है।
- कैंसर ग्रेडिंग ट्यूमर के बायोलॉजी को दिखाता है और कैंसर स्टेजिंद बीमारी की सीमा को दिखाता है।
निष्कर्ष
ट्यूमर ग्रेड हमें बताता है कि कैंसर कितना आक्रामक है, जबकि ट्यूमर स्टेज यह बताता है कि वह शरीर में कितना और कहा तक फैल चुका है। कैंसर के इलाज के लिए ये दोनों ही जानकारी बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है, जिसकी मदद से डॉक्टर को सही इलाज करने में मदद मिलती है।
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FAQ
कैंसर में ग्रेड क्या होता है?
कैंसर का ग्रेड यह बताता है कि माइक्रोस्कोप के नीचे कैंसर सेल्स सामान्य सेल्स की तुलना में कितने असामान्य दिखाई देते हैं और वे कितनी तेजी से बढ़ सकते हैं।स्टेजिंग का मतलब कैंसर के लिए क्या है?
कैंसर में स्टेजिंद का मतलब कैंसर के आकार और शरीर में उसके फैलाव को बांटने की एक प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया के द्वारा डॉक्टर को यह समझने में मदद मिलती है कि कैंसर कितना गंभीर है और उसका इलाज कैसे किया जा सकता है।स्टेज 2 कैंसर क्या है?
स्टेज 2 कैंसर तब होता है जब ट्यूमर स्टेज 1 की तुलना में बड़ा हो जाता है, लेकिन कैंसर अभी तक शरीर के दूसरे अंगों तक नहीं फैला होता है।
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Nov 07, 2025 15:34 IST
Published By : Katyayani Tiwari