
सर्दियों के मौसम में अक्सर अस्थमा की समस्या काफी ज्यादा बढ़ जाती है। अस्थमा एक श्वसन रोग है, जिसमें व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ, सांस लेने पर घरघराहट, खांसी और सीने में जकड़न जैसी समस्याएं हो सकती हैं। आयुर्वेद में अस्थमा को श्वास रोग के रूप में जाना जाता है और इसे मैनेज करना आपके संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होता है। आयुर्वेद में ऐसी कई जड़ी-बूटियों के बारे में बताया गया है, जिसके सेवन से अस्थमा के लक्षणों को ट्रिगर होने से रोका जा सकता है या अस्थमा को कंट्रोल में रखा जा सकता है। इसलिए, आइए हरियाणा के सिरसा में स्थित रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉ. श्रेय शर्मा से जानते हैं कि अस्थमा से राहत पाने के लिए कौन-सी जड़ी-बूटियां फायदेमंद हैं?
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अस्थमा से राहत पाने के लिए जड़ी-बूटियां
आयुर्वेदिक डॉ. श्रेय शर्मा के अनुसार, अस्थमा के लक्षणों से राहत पाने के लिए इन जड़ी-बूटियों का सेवन कर सकते हैं:
1. सोमलता
सोमलता को आयुर्वेद में अस्थमा की समस्या के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। यह श्वास नलिकाओं में होने वाली सूजन को शांत करने और सांस की रुकावट को कम करने में मदद करता है। आयुर्वेद में भी अस्थमा के लिए इसे बेहतरीन जड़ी बूटियों में से एक गिना गया है। फिर भी इसका इस्तेमाल हमेशा रोगी की प्रकृति और डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए।
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2. पिप्पली
पिप्पली की तासीर गर्म होती है, जो कफ को पतला करने और बाहर निकालने में फायदेमंद होता है। जिन मरीजों में ज्यादा कफ जमा होता है, उनके लिए पिप्पली काफी उपयोगी माना जाता है, लेकिन ज्यादा मात्रा में या गलत तरीके से इसका सेवन स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं को बढ़ा सकता है, इसलिए सीमित मात्रा में ही इसका सेवन करें।
3. काकड़ासिंगी
काकड़ासिंगी की तासीर भी गर्म होती है, जो खांसी, कफ और सांस से जुड़ी समस्याओं में काफी उपयोगी माना जाता है। इसका इस्तेमाल अस्थमा से जुड़े लक्षणों को कंट्रोल करने में मदद करता है।

4. छोटी इलायची
छोटी इलायची की तासीर ठंडी होती है, जो सांस को साफ करने, बदबूदार कफ को कम करने और सीने को आराम दिलाने में मदद करते हैं। इसलिए जिन अस्थमा के मरीजों में ज्यादा गर्मी या जलन होती है, उनके लिए इलायची का सेवन फायदेमंद होता है।
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5. वासा
वासा को श्वसन तंत्र के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसकी तासीर ठंडी होती है, जो खांसी, कफ और अस्थमा को कम करने या कंट्रोल करने में मदद करता है। अस्थमा के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कई आयुर्वेदिक दवा और सिरप में वासा का इस्तेमाल किया जाता है।
6. खतमी
खतमी का इस्तेमाल गले और श्वसन मार्ग की सूजन को कम करने के लिए किया जाता है। इसकी तासीर ठंडी होती है, जो सूखी खांसी और गले में होने वाली जलन को कम करने में फायदेमंद होती है।
निष्कर्ष
अस्थमा की समस्या को कंट्रोल करने या इसके लक्षणों कम करने के लिए आप इन आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का सेवन कर सकते हैं। लेकिन, अपनी डाइट में किसी भी तरह का बदलाव करने से पहले या किसी भी जड़ी-बूटी के सेवन से पहले डॉक्टर से कंसल्ट कर लें।
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FAQ
अस्थमा किसकी वजह से होता है?
अस्थमा एक पुरानी फेफड़ों से जुड़ी बीमारी है, जो वायु मार्ग में सूजन, सिकुड़न और बलगम बनने के कारण होती है, जिससे सांस लेने में तकलीफ की समस्या बढ़ जाती है।अस्थमा के 3 प्रकार कौन से हैं?
अस्थमा के मुख्य प्रकारों में एलर्जिक अस्थमा, शारीरिक गतिविधियों से जुड़ा अस्थमा और रात के लक्षणों को बढ़ाने वाला अस्थमा शामिल है। इसके अलावा, काम के स्थान पर केमिकल के कारण अस्थमा होना या नॉन-एलर्जिक अस्थमा भी शामिल है।अस्थमा होने पर क्या दिक्कत होती है?
अस्थमा होने पर सांस लेने में तकलीफ, सांस लेने पर घरघराहट की आवाज, खांसी और सीने में जकड़न या दर्द की समस्या महसूस होती है।
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Dec 26, 2025 19:36 IST
Published By : Katyayani Tiwari
