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World Hearing Day: बुढ़ापे में बहरेपन से बचने के लिए 50 की उम्र तक जरूर करा लें ये 5 टेस्ट

50 साल की उम्र तक बहरेपन की समस्या से बचने के लिए कुछ हियरिंग टेस्ट कराना बहुत जरूरी है, जानें इसके बारे में।
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World Hearing Day: बुढ़ापे में बहरेपन से बचने के लिए 50 की उम्र तक जरूर करा लें ये 5 टेस्ट


आज के समय में बढ़ता ध्वनि प्रदूषण कान से जुड़ी कई बीमारियों का कारण बन रहा है। दुनियाभर में हियरिंग हेल्थ को बेहतर बनाने के लिए 3 मार्च को वर्ल्ड हियरिंग डे (World Hearing Day) मनाया जाता है। हेडफोन और कान में सुनने से जुड़े अन्य उपकरणों के इस्तेमाल से लोगों में सुनने की क्षमता की कमी हो रही है। कान हमारे कम्युनिकेशन सिस्टम का प्रमुख अंग होते हैं, सुनने की क्षमता या हियरिंग हेल्थ का सही होना हमारे लिए बेहद जरूरी होता है। जो व्यक्ति आसानी से किसी भी चीज को सुन सकते हैं उन्हें इस बात का कोई अंदाजा नही होता कि सुनने में कठिनाई या बहरापन कितना मुश्किल होता है। शरीर की हियरिंग हेल्थ का सही होना इसलिए भी जरूरी होता है क्योंकि लोगों की बातचीत, म्यूजिक या फिर किसी भी प्रकार की आवाज को सही तरीके से सुन पाना हमारे जीवन के लिए बेहद जरूरी होता है। सुनने की क्षमता में कमी (hearing loss) से बचाव के लिए या बहरेपन की समस्या का शिकार होने से बचने के लिए आपको 50 साल की उम्र में कान से जुड़े ये टेस्ट जरूर करा लेने चाहिए।

बुढ़ापे में बहरेपन से बचने के लिए जांच (Hearing Loss Tests in Hindi)

हियरिंग लॉस का इंसानों के उपर गहरा प्रभाव पड़ता है। एक व्यक्ति जिसकी सुनने की क्षमता सही हो और अचानक उसमें कमी आ जाए या सुनने की क्षमता खत्म हो जाए तो ऐसे में व्यक्ति चिंता, सामाजिक अलगाव और अवसाद ग्रस्त भी हो सकता है। ऐसे में 50 साल की उम्र में आप अगर कुछ हियरिंग टेस्ट करा लेते हैं तो इससे भविष्य में आपको बहरेपन की समस्या का खतरा नहीं रहेगा। गोंडा जिला अस्पताल के नाक, कान और गला रोग विशेषज्ञ डॉ एए खान के मुताबिक 50 साल की उम्र में हियरिंग लॉस से बचने के ये टेस्ट जरूर करा लेने चाहिए।

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1. शारीरिक परीक्षण (Physical Test)

हियरिंग टेस्ट के द्वारा किसी भी इंसान की सुनने की क्षमता की जांच की जाती है। जब आपके कान में ध्वनि तरंगे जाती हैं तो इसकी वजह से आपके ईयरड्रम में कम्पन होता है। इस टेस्ट के माध्यम से इसी की जांच की जाती है। शारीरिक परीक्षण में चिकित्सक आपको कुछ ध्वनि सुना सकते हैं जिसके आधार पर वे आपकी सुनने की क्षमता यानी हियरिंग की जांच करते हैं। इस टेस्ट के बाद अगर जरूरी होता है तो चिकित्सक आपको कुछ ड्रॉप्स या दवाओं के सेवन की सलाह देते हैं।

2. ऐप के माध्यम से जांच (App Based Hearing Test)

इस जांच में चिकित्सक मोबाइल ऐप के माध्यम से आपकी सुनने की क्षमता की जांच करते हैं। इससे आपकी कई प्रकार से हियरिंग टेस्ट किया जा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी ऐसे मोबाइल ऐप विकसित किये हैं जिसके माध्यम से ये जांच की जा सकती है।

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3. ट्यूनिंग फोर्क टेस्ट (Tuning Fork Tests)

ट्यूनिंग फोर्क टेस्ट के माध्यम से भी आपके सुनने की क्षमता की जांच की जाती है। इस टेस्ट में धातु के दो उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है जो हिट करने पर ध्वनि उत्पन्न करते हैं। इस जांच के माध्यम से आपकी हियरिंग लॉस का टेस्ट तो होता ही है साथ ही इससे यह पता लगाया जा सकता है कि आपके कान के किस हिस्से में नुकसान हुआ है।

4. ऑडियोमीटर परीक्षण (Audiometer Test)

ऑडियोमीटर परीक्षण टेस्ट के माध्यम से एडवांस लेवल पर आपके सुनने की क्षमता की जांच की जाती है। इस टेस्ट में ऑडियोलॉजिस्ट आपको एक इयरफोन पहनता है जिसके बाद आप हर कान से निर्देशित ध्वनि को सुनते हैं। जिसके बाद सबसे शांत ध्वनि को सुनने के बाद आपकी रिपोर्ट तैयार की जाती है। ऑडियोमीटर टेस्ट के माध्यम से गहनता से आपका हियरिंग टेस्ट किया जाता है। गंभीर रूप से बहरेपन की समस्या का शिकार होने पर इसका इस्तेमाल किया जाता है।

5.  एकॉस्टिक रिफ्लेक्स मेजर्स (Acoustic Reflex Measures)

एकॉस्टिक रिफ्लेक्स मेजर्स, जिसे मिडिल ईयर मसल रिफ्लेक्स (एमईएमआर) भी कहा जाता है का इस्तेमाल भी हियरिंग लॉस की समस्या में किया जाता है। इस टेस्ट के माध्यम से डॉक्टर आपकी विस्तृत जांच करता है। सामान्य रूप से जबी आप कोई तेज आवाज सुनते हैं तो कान के अंदर मौजूद एक छोटी मांसपेशी कास जाती है। इस परीक्षण के दौरान ऑडियोलॉजिस्ट कान में एक रबर की नोक रखते हैं जिसके माध्यम से कान में ध्वनि ने रिफ्लेक्स कब ट्रिगर किया है इसकी जांच होती है। 

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इन टेस्ट के माध्यम से आप हियरिंग लॉस का शिकार होने से बच सकते हैं। आपको हमेशा हियरिंग लॉस के लक्षण दिखने पर एक्सपर्ट डॉक्टर की सलाह लेकर जांच जरूर करानी चाहिए।

(All Image Source - Freepik.Com)

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