इन 10 बातों का रखेंगे ध्यान तो नहीं खराब होंगे आपके कान, सुनने की शक्ति पर नहीं पड़ेगा असर

 तेज आवाज़ और शोर की वजह से सुनने की शक्ति कम हो सकती है, इन 10 बातों का ध्यान रखकर आप बहरेपन का शिकार होने से बच सकते हैं
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इन 10 बातों का रखेंगे ध्यान तो नहीं खराब होंगे आपके कान, सुनने की शक्ति पर नहीं पड़ेगा असर

कान हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण हिस्सों में से एक होते हैं। शरीर में पांच ज्ञानेन्द्रियां होती हैं जिनमें से एक है कान जो कि किसी भी ध्वनि को सुनने में हमारी मदद करता है। शरीर की ओवरआल सेहत के साथ-साथ ही कानों की सेहत का भी उचित ख्याल रखना चाहिए। कान हमारे कम्युनिकेशन सिस्टम का प्रमुख अंग होते हैं। सुनने की क्षमता या हियरिंग हेल्थ का सही होना हमारे लिए बेहद जरूरी होता है। जो व्यक्ति आसानी से किसी भी चीज को सुन सकते हैं उन्हें इस बात का कोई अंदाजा नही होता कि सुनने में कठिनाई या बहरापन कितना मुश्किल होता है। शरीर की हियरिंग हेल्थ का सही होना इसलिए भी जरूरी होता है क्योंकि लोगों की बातचीत, म्यूजिक या फिर किसी भी प्रकार की आवाज को सही तरीके से सुन पाना हमारे जीवन के लिए बेहद जरूरी होता है। सुनने की क्षमता में कमी (hearing loss) किसी भी व्यक्ति को सामाजिक अलगाव, अकेलापन और हताशा की तरफ भी ले जा सकती है। एक स्वस्थ जीवन के लिए हमारे कानों और हियरिंग हेल्थ का स्वस्थ रहना भी बेहद महत्वपूर्ण होता है। हालांकि जन्मजात या किसी तरह की बीमारी की वजह से हुए हियरिंग लॉस को सामान्य तरीकों से ठीक नही किया जा सकता लेकिन स्वस्थ व्यक्ति अपनी हियरिंग हेल्थ का कैसे ध्यान रख सकते हैं आइये जानते हैं इसके बारे में।

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कैसे प्रभावित होती है हमारी हियरिंग हेल्थ (Hearing Loss Causes)

सबसे पहले जानते हैं कि हियरिंग क्या होती है। किसी भी व्यक्ति के सुनने की क्षमता को दूसरी भाषा में हियरिंग बोला जाता है। हियरिंग प्रमुख रूप से दो तरह की होती है- पहली जिसे एन्वॉयर्नमेंटल हियरिंग कहते हैं और दूसरी जो आम प्रकार से लोगों के बीच कम्युनिकेशन के लिए बोले जानी वाली आवाज। हियरिंग लॉस का इंसानों के उपर गहरा प्रभाव पड़ता है। सुनने की क्षमता कम होने की वजह से हमें तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। एक व्यक्ति जिसकी सुनने की क्षमता सही हो और अचानक उसमें कमी आ जाए या सुनने की क्षमता ख़त्म हो जाए तो ऐसे में व्यक्ति चिंता, सामाजिक अलगाव और अवसाद ग्रस्त भी हो सकता है। बच्चों में हियरिंग लॉस की वजह से उनके पढाई लिखाई और रोजगार पर भी असर पड़ता है। ऐसे में जरूरी यह है कि हम अपने कानों की देखभाल सही तरीके से करें।

आजकल सबसे ज्यादा हियरिंग लॉस के मामले तेज आवाज में शोर को सुनने से हो रही है। ज्यादातर लोगों में लाउड म्यूजिक, गाड़ियों का शोर, ज्यादा देर तक जोर से होने वाले शोर को सुनने की वजह से हियरिंग लॉस की समस्या सामने आ रही है। सुनने की क्षमता को डेसिबल में मापा जाता है, 85 डेसिबल से अधिक तेज आवाज या शोर को सुनने की वजह से ही हमारे हियरिंग हेल्थ पर प्रभाव शुरू हो जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक अगर 90 डेसिबल की आवाज 15 मिनट तक लगातार कानों में पड़ जाए तो व्यक्ति हमेशा के लिए बहरा भी हो सकता है। इससे पहले कि ज्यादा देर हो जाए आप अपने दैनिक जीवन में कुछ बदलाव लाकर अपनी हियरिंग हेल्थ का ध्यान रख सकते हैं। हियरिंग लॉस या बहरेपन की कुछ वजहें इस प्रकार से हैं।

  • तेज आवाज में म्यूजिक सुनना
  • फैक्ट्री, कारखानों का शोर
  • गाड़ियों का शोर और तेज हॉर्न
  • आतिशबाजी, पटाखों के शोर
  • ध्वनि प्रदूषण

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इन तरीकों से रखें अपनी सुनने की शक्ति का ध्यान (How to Protect Your Hearing Health)

यदि कोई भी व्यक्ति अधिक देर तक तेज आवाज को सुनता है तो कहीं न खिन उसकी सुनने की क्षमता पर असर जरूर पड़ता है। तेज आवाजों को सुनने की वजह से कानों के अन्दर होने वाली छोटी संवेदी कोशिकाएं और तंतु क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। इससे व्यक्ति हमेशा के लिए बहरेपन का भी शिकार हो सकता है। भारत में यातायात से होने वाले शोर की वजह से भी बहरेपन के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के मुताबिक मुंबई की यातयात पुलिस में काम करने वाले 10 में से एक व्यक्ति को हियरिंग लॉस की समस्या देखने को मिल रही है। हॉर्न और गाड़ियों के तेज शोर के कारण इन लोगों की सुनने की क्षमता पर असर पड़ रहा है।

अगर आप अपने से तीन फीट की दूरी पर खड़े या मौजूद व्यक्ति की आवाज को सही तरीके से नही सुन सकते हैं तो माना जाता है कि ऐसे में कानों के टेस्ट की जरूरत पड़ती है। सरकार और स्वास्थ्य संगठनों की तरफ से भी इसको ध्यान में रखकर तमाम पहल की जा रही है लेकिन इससे पहले की तेज आवाज, शोर और लाउड म्यूजिक की वजह से आप भी बहरेपन के शिकार हो जाएँ इन बातों को ध्यान में जरूर रखें।

1. टीवी, रेडियो, म्यूजिक आदि को कम आवाज पर सुनें।

2. तेज आवाज वाली जगहों पर जाने से बचें या Noise प्रोटेक्शन का इस्तेमाल करें।

3. आवाज या शोर के स्तर को कम करने के लिए कस्टम इयरप्लग का इस्तेमाल करें।

4. तेज आवाज (जैसे म्यूजिक,टीवी, रेडियो, डीजे आदि)  से बचें और अपने कानों को थोडा ब्रेक जरूर दें।

5. ज्यादा तेज शोर करने वाली चीजें (जैसे, स्पीकर, आतिशबाज़ी, आदि) से दूर रहें।

6. कान साफ करने के लिए पिन, चाबियां, पेपरक्लिप्स या ऐसी दूसरी चीजों का इस्तेमाल न करें।

7. रोजाना व्यायाम करें।

8. कानों और सुनने की शक्ति का टेस्ट समय-समय पर जरूर कराएं।

9. तेज आवाज और शोरगुल वाली जगहों पर काम करने वाले लोग ईयर-प्रोटेक्शन डिवाइस का इस्तेमाल जरूर करें।

10. विटामिन और खनिजों की प्रचुर मात्रा वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करें।

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इसके अलावा शरीर की कुछ बीमारियों की वजह से भी हमारे सुनने की शक्ति पर असर पड़ता है। विशेषज्ञों का मानना है कि ब्लड प्रेशर और कार्डियक हेल्थ का भी सुनने की शक्ति या हियरिंग हेल्थ पर असर जरूर पड़ता है ऐसे में इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

  • ब्लड प्रेशर और कार्डियक हेल्थ का ध्यान रखे।
  • डायबिटीज को भी नियंत्रित रखें।
  • दवाएं जो हियरिंग लॉस की वजह बन सकती हैं उनसे दूर रहें।

तेज आवाज और ज्यादा शोर वाली जगहों पर जाने से बचें, इन जगहों पर काम करने वाले लोगों को ईयर-प्रोटेक्शन डिवाइस का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए। कानों में किसी भी प्रकार की समस्या होने पर कानों के विशेषज्ञ से संपर्क जरूर करना चाहिए। सुनने की शक्ति में कमी होने पर अपने कानों का परीक्षण करवाना चाहिए जिससे इस बात का पता चल सके कि किस हद तक आपको उपचार और सावधानी बरतने की जरूरत है। तमाम विशेषज्ञों का कहना है कि ज्यादा देर तक शोर में रहने के बाद अपने कानों को कुछ देर के लिए आराम जरूर देना चाहिए इसके लिए आप किसी शांति वाली जगह पर जा सकते हैं जहां शोरगुल या तेज आवाज न हो। अंत में, धूम्रपान की वजह से भी हमारे कानों पर और सुनने की शक्ति पर असर पड़ता है ऐसे में इससे बचने के लिए धूम्रपान से तौबा करें। यदि आप धूम्रपान करते हैं, तो छोड़ने की कोशिश करें। धूम्रपान करने वाले अन्य लोगों के आसपास जाने से भी बचें। धूम्रपान रक्त वाहिकाओं को संकुचित करके कानों में रक्त के प्रवाह को प्रतिबंधित कर सकता है जिसकी वजह से सुनने की शक्ति में कमी आ सकती है। 85 डेसिबल से अधिक कोई भी आवाज सुनने की शक्ति को कम करने का कारण बन सकता है। लगभग सभी शहरों के ट्रैफिक में होने वाला शोर भी इससे ज्यादा ही होता है ऐसी जगहों पर ज्यादा देर तक रुकने से बचना चाहिए।

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